Wednesday 2 October 2019
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"वर्तमान समय में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता और गांधी कथा वाचन"- प्रमोद कुमार
"वर्तमान समय में महात्मा गांधी की प्रासंगिकता और गांधी कथा वाचन"
गांधी जी मानवता के सच्चे हितैषी थे।उन्होंने एक पर एक असाधारण कार्य किये।वे तोप गोला बारूद के बिना ही दुश्मनों को पटकनी देते रहे।वे स्वयं अच्छे आचरण करते थे तब दूसरों को उपदेश देते थे।गाँधी जी ने जीवन के छः शत्रु एवं सात सामाजिक पाप कर्म को अपने एकादश व्रत से दूर भगाने का सफल प्रयास किया है।गाँधी जी का एकादश व्रत ही उनके जीवन का निचोड़ है।"सत्य, अहिंसा, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य, असंग्रह, शारीरिक श्रम, अस्वाद, अभय, सर्वधर्म समभाव, स्वदेशी एवं अस्पृश्यता निवारण" एकादश व्रत को अपनाकर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है। गाँधी जी विचार के कारीगर है।अगर श्रम में आस्था हो तो कार्य अवश्य ही पूर्ण होंगे।श्रम की महत्ता को जो नहीं समझा वह जीवन की महत्ता को नहीं समझ सकता है।अतः श्रम को सम्मान से देखना चाहिए।अपना कार्य स्वयं करना चाहिए, दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।गाँधी जी बदनतोड़ मेहनत करते थे।इनके मेहनत से लोग घबराने लगे थे। गाँधी जी का सर्वधर्म समभाव रखते थे।उनके अनुसार धर्म की सीमा हमें संकुचित करती है।मोहन एक डरपोक बालक होते हुए भी समय आने पर आम लोगों के मन से अंग्रेजों का डर निकाल दिया था।गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को परतंत्रता की बेड़ी से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाई।।नमक सत्याग्रह के पहले गाँधी जी कष्ट सहने के लिए लोगों को प्रेरित करते थे।डर वह खेत है जहाँ अन्याय एवं दबाब का फसल तैयार किया जाता है।उन्होंने अपना -पराया का भी पहचान कराया ।अपना कौन है पराया कौन है और परायापन मिटाने का तरीका भी उन्होंने लोगों से अपनाने को कहा । गांधीजी विचारों के कारीगर थे , वह हमेशा दूसरे के मन को जीतने वाला कार्य किया करते थे । गांधीजी के मेहनत से लोग घबराने लगे थे।वे बदनतोड़ मेहनत करते थे । गाँधी जी के अनुसार कर्महीन बनकर धरती का बोझ नहीं बनना चाहिए।वे शारिरिक श्रम को परम धर्म मानते थे।स्पर्श के आधार पर एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को ऊंचा या नीचा दिखाना घोर अज्ञानता है। अस्पृश्यता निवारण से ही एक सुंदर एवं सर्वोदय समाज की कल्पना की जा सकती है। गांधी जी संकोची विचार के थे जबकि उनकी पत्नी का विचार बिल्कुल ही उनसे भिन्न था। कस्तूरबा गांधी भी अपनी शर्तों पर जीवन जिया।स्वतंत्र और साहसिक सोच रखने वाली महिला थीं।महात्मा गांधी एक सच्चा नायक के रूप में अपने आप को स्थापित किया।सहानुभूति, निष्काम कर्म, आत्ममंथन, सजगता, निडरता आदि सभी गुणों से गाँधी परिपूर्ण थे। " रघुपति राघव राजाराम" एवं "वैष्णव जन ते तेने कहिये" आदि गांधी जी के प्रिय भजन थे।
अतः आज बापू के 150 वर्षों के बाद भी गाँधी का जीवन एक दर्शन मात्र नहीं है अपितु इनके सामाजिक प्रयोग, विचार और कर्मयात्रा जीवन के लिए व्यावहारिक रूप में अतिआवश्यक है। आगामी 02 अक्टूबर 2019 से बिहार के सभी विद्यालयों में नये तरीके से "गाँधी कथा वाचन" किया जाना है।बच्चों के चरित्र निर्माण में "बापू की पाती "एवं "एक था मोहन पुस्तक "की भूमिका अहम होगी।
प्रमोद कुमार
प्रखंड साधन सेवी, डिस्ट्रिक्ट मेंटर (ToB)
प्रखंड-राजापाकर, जिला-वैशाली, बिहार
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great effort, keep it up
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