प्रधानाध्यापक बनना गुनाह है? - Teachers of Bihar

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Sunday 27 August 2023

प्रधानाध्यापक बनना गुनाह है?

विनम्रतापूर्वक अपनी कुछ बातें रख रहा हूँ, कृपया संजीदगी से सोचियेगा।

प्रधानाध्यापकों पर काम का बहुत अधिक बोझ है और उसके साथ अच्छा व्यवहार करनेवाला शायद कोई नहीं। वह स्कूल में भी अकेला है और बाहर भी। उसके कान दो मीठे बोल सुनने को तरसते हैं, लेकिन उसे सांत्वना और दिलासा के दो शब्द मिलने के बजाय 'सुनिश्चित करें' व 'अन्यथा की जवाबदेही' जैसे ही शब्द सुनने हैं।
सुबह के 5 बजे से रात्रि के 10 बजे तक सौ तरह के अलग-अलग पत्र और उनके अनुपालन का निर्देश। सच कहें तो अगर सभी पत्रों को सम्पूर्ण मनोयोग से पढ़ा जाय तो duty का आधा हिस्सा इसी में निकल जाए। जिस पत्र को ठीक से नहीं पढ़ सके उसमें एक अपराध बोध कि कहीं कुछ आवश्यक कार्य पढ़ना छूट तो नहीं गया।
    क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि एक ही ट्रैक पर कई रेलगाड़ियाँ एक साथ दौड़ायी जा रही हैं और सब रास्ते में ही एक दूसरे से टकराकर चकनाचूर हो जा रहीं हैं। विभाग का हर एक काम महत्त्वपूर्ण भी है बढिया भी , इसमें कोई संदेह नहीं। बस लागू करने के तौर तरीकों की समीक्षा होनी चाहिए।

एक ही व्यक्ति तीन तीन स्कूलों (मध्य, माध्यमिक , +2 )के प्रधानाध्यापकीय दायित्वों का निर्वहन भी करे और कंप्यूटर भी चलाए,घंटी भी बजाए, शौचालय की सफाई भी करे , क्लास भी ले,खाना भी बनवाए ,खिलाए भी व हर हमेशा डर के साये में भी रहे कि कौन सी चूक कहाँ हो जाएगी और किस तरह के अपमान का सामना करना पड़ जाएगा।
 खैर!
अपनी बात अपनों से ही की जाती है और इससे मन का बोझ तनिक हल्का हो जाता है। रात में ब्लड प्रेशर की दवा का डोज इससे कम नहीं होना है तथापि...
  घर में आलू- दाल जुटाने के लिए किसी से कर्ज़-पैंच ली गई राशि स्कूल के आलू-दाल जुटान में खर्च हो जाती है क्योंकि वहाँ if- but नहीं करना है, वर्ना इतने बच्चे भूखे रह जाएंगे और बदनामी होगी सो अलग। घर में चूरा-दूध खाकर भले सो जाते हों, स्कूल में भोजन घटे तो एक हूक सी उठने लगती है दिल में। घर के छत व छप्पर चू रहे हैं, लेकिन स्कूल में ब्लैक बोर्ड अगर स्तरीय नहीं है, फर्श में दरारें हैं तो उसे पहले ठीक होना है चाहे पैसे के लिए जिसकी बाट जोहें,कहाँ हाथ जोड़ें।
सच कह रहा हूँ न मैं?
समय पर वेतन नहीं, अन्य मद की राशि भी नहीं...
सोचिये, जिनके बच्चे बाहर पढ़ते हैं, बैंक का EMI भरना है, घर मे चिकित्सकीय सहायता की जरूरत रहती है या साधारण सी बात कि VC के लिए या जनगणना के लिए एक अच्छे मोबाइल की जरूरत है वे क्या करें , कहाँ जाएँ। कभी कभी मन में होता है कि कहाँ फँस गए आखिर।
कुछ बेहतर पढ़े होते, कुछ बेहतर किए होते पहले ही। यहाँ तो पग-पग पर जलील और अपमानित होना है
चोर,भ्रष्ट व अकर्मण्य साबित कर दिये जाने की हद तक।

अब आप शायद ये सोच रहे हों कि मैं किसी परेशानी में फँस गया हूँ, नहीं साहब, बिल्कुल नहीं। मैं पूरी तरह जिंदादिल हूँ और खुश हूँ कि हमें कायनात ने हेडमास्टरी दी है और आज तक हजारों बच्चों की राहों में दीया जलाने की दम भर कोशिशें हमने की हैं।
निदा फ़ाज़ली साहब की चार पंक्तियाँ हम सब हमेशा याद रखते हैं...
"सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो '। एक दिन सब कुछ खत्म हो जाना है। हम भी और हमारी हेकड़ी भी, कुछ बातें रह जाएंगी तब भी मसलन आदमी को आदमी समझने की समझ।
 हेडमास्टर को भी 'आदमी' समझने का वक़्त कभी न कभी आएगा, समय बदलेगा जरूर औऱ हम कयामत तक इंतजार करने वाली मिट्टी के बने हुए लोग हैं।

(कहीं कोई इशारा नहीं, किसी से कुछ तकलीफ नहीं
 बस बहुत दिनों से गीत नहीं लिख पा रहा हूँ कोई, क्योंकि विभाग ने सृजनशीलता की प्रतिभा को कुंद कर दिया हुआ है, इसलिए यों ही कुछ लिखकर खुद को टटोल रहा हूँ)
 सबके लिए शुभकामनाएं!
 - बिहार का एक परेशान प्रधानाध्यापक

11 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर लेख। सत्य सटीक एवं हृदय स्पर्शी।

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  2. Nice presentation 👍👍

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  3. एक बड़े मंच औऱ विशाल फलक पर मेरा यह आलेख साया हुआ , यह मेरी खुशकिस्मती है डॉ गौरव साहब।
    सादर शुभकामनाएं, प्रणाम

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  4. Nice Nice present presentation

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  5. सादगी भरे अल्फाजों में बहुत ही सटीक और मार्मिक चित्रण किया है आपने ।

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  6. एक प्रधानाध्यापक के रूप में यह लेख मेरे दिल को छू गई है लगता है जैसे कि मेरे लिए ही लिखी गई है।

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    1. सादर अभिवादन, शुभकामनाएं

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  7. बहुत ही गहराई में जाकर आत्मचिंतन किया है आपने । एकदम सटिक । ताली तो बजा नहीं सकता, क्योकि में खुद ही वेदना से गुजर रहा हुँ । हाथ बेड़ियों से जकरा हुवा है । क्योंकि में खुद भी प्रधानाध्यापक कहलाता हुँ ।

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  8. वास्तविकता को आपने अपने लेखनी के माध्यम से बताने का प्रयास किया है इसके लिए आपको बहुत-बहुत साधुबाद

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  9. बेहतर और मार्मिक चित्रण।आपको इसके लिए साधुवाद।

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