उपयोगी है निष्ठा का ऑनलाइन प्रशिक्षण-चन्द्रशेखर प्रसाद साहु - Teachers of Bihar

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Wednesday, 21 October 2020

उपयोगी है निष्ठा का ऑनलाइन प्रशिक्षण-चन्द्रशेखर प्रसाद साहु

उपयोगी है 'निष्ठा' का ऑनलाइन प्रशिक्षण

          शिक्षकों की क्षमता संवर्धन एवं अध्यापन कौशल को प्रभावी बनाने के लिए समय-समय पर शिक्षक प्रशिक्षण का आयोजन एक सार्थक पहल है।  शिक्षा के बदलते स्वरूप एवं शिक्षण शास्त्र में उत्पन्न नवीन अवधारणाओं से अवगत होने के लिए शिक्षकों को इस प्रकार के प्रशिक्षण में शामिल होना आवश्यक है। शिक्षकों के अध्यापन शैली को समृद्ध बनाने के लिए एनसीईआरटी नई दिल्ली ने 'निष्ठा' शीर्षक से एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किया है। वैसे तो यह प्रशिक्षण उन शिक्षकों के लिए निदेशित है जो 'निष्ठा ' के ऑफलाइन प्रशिक्षण से छूट गए हैं परंतु इस कोर्स में शामिल विषय-वस्तुओं एवं मुद्दों से परिचित होना सभी शिक्षकों के लिए जरूरी है। इसलिए इस ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी शिक्षकों को स्वतः जुड़ना चाहिए। उन्हें अपने  विभिन्न कौशलों का विकास करना चाहिए तथा विद्यालय के वातावरण एवं बच्चों को नई दृष्टि से समझना एवं विचार करना चाहिए।
          जिस प्रकार से शैक्षिक एवं सामाजिक परिवेश में परिवर्तन हो रहे हैं, वैसी स्थिति में शिक्षकों के सामने आ रही शैक्षणिक चुनौतियों के समाधान के लिए यह प्रशिक्षण प्राप्त करना उपयोगी है। यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उत्पन्न नवीन अवधारणाओं से शिक्षकों को अवगत कराता है बल्कि यह शिक्षण-अधिगम में उपस्थित बाधाओं को दूर करने के नए तरीकों पर भी सुझाव देता है। इस कोर्स से जुड़कर शिक्षक बच्चों के लायक और अधिक उपयोगी बन सकते हैं। 'निष्ठा' के अंतर्गत आयोजित तीन कोर्स DIKSHA एप पर उपलब्ध है। DIKSHA एप से जुड़कर शिक्षक तीनों कोर्स 1- पाठ्यचर्या और समावेशी कक्षा, 2- विद्यालय में स्वास्थ्य और कल्याण और 3- स्वस्थ विद्यालयी परिवेश निर्मित करने के लिए व्यक्तिगत सामाजिक योग्यता विकसित करना ।
          यह तीनों मॉडयूल 'निष्ठा' के ऑफलाइन कोर्स में भी शामिल थे। ऑनलाइन के अंतर्गत यह तीनों कोर्स शिक्षकों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। इस कोर्स में वीडियो, आलेख एवं गतिविधि के माध्यम से अवधारणाओं को स्पष्ट करने का बेहतरीन प्रयास किया गया है। बिहार राज्य के शिक्षकों के लिए हिंदी भाषा में उपलब्ध यह कोर्स बहुत ही सुगम एवं सहज है। इसकी भाषा बहुत सरल एवं बोधगम्य है। कई गतिविधियों एवं उदाहरणों के कोर्स में शामिल होने से  शिक्षकों के लिए यह प्रशिक्षण रोचक एवं प्रभावी है। शिक्षक इस कोर्स को ऑनलाइन पूरा करने में जरा भी नीरस, उबाऊ एवं खिन्नता महसूस नहीं करते हैं।
          पहले कोर्स में पाठ्यचर्या और समावेशी कक्षा की अवधारणा को बेहतरीन शैली में स्पष्ट किया गया है। सभी देश की एक शिक्षा नीति होती है, उसी शिक्षा नीति के आधार पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, पाठ्यचर्या, पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तक, शिक्षण अधिगम सामग्री और सीखने के प्रतिफल निर्धारित किए जाते हैं। इस कोर्स में उन भिन्नताओं पर भी प्रकाश डाला गया है जो हमारी कक्षाओं में व्याप्त रहती है। कुछ बच्चे तेजी से सीखते हैं, कुछ धीमी गति से तो कुछ बिल्कुल भी नहीं। इन भिन्नताओं के मद्देनजर इस कोर्स में कुछ टिप्स बताए गए हैं जिनके माध्यम से हम बच्चों के अधिगम स्तर में सुधार ला सकते हैं। बच्चों में ये जो भिन्नताएँ देखी जाती है, इसका कारण सामाजिक और आर्थिक कारण भी है। शिक्षक अपने शिक्षण विधियों में और पाठ्यचर्या में लचीलापन ढूंढकर कक्षायी भिन्नता को कम कर सकते हैं। इस प्रकार यह कोर्स पाठ्यचर्या और समावेशी कक्षा पर समग्र चर्चा है।
          विद्यालय में स्वास्थ्य और कल्याण का यह मॉडयूल स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर सामग्रता में चर्चा करता है। इसमें यह दृष्टिकोण रखा गया है कि बच्चों के स्वास्थ्य से तात्पर्य शारीरिक अंगों के निरोग होने भर नहीं है बल्कि यह बच्चों के सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य के विभिन्न आयामों से जुड़ा है। बच्चों का  समुचित वृद्धि एवं विकास उनका अधिकार है, शिक्षकों को इस तथ्य का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। इसमें योग को बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक बताया गया है। बच्चों को शारीरिक, भावनात्मक एवं मानसिक स्तर पर सशक्त बनाने के लिए तथा इस स्तर पर उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें योग्य बनाने पर चर्चा की गई है। 
          तीसरा कोर्स  बच्चों में व्यक्तिगत-सामाजिक योग्यता विकसित करने से संबंधित है। इसमें विद्यालय परिवेश को स्वस्थ बनाने पर चर्चा की गई है। यह मॉडयूल शिक्षकों एवं बच्चों के लिए अति महत्वपूर्ण है। बच्चों और शिक्षकों के व्यक्तिगत एवं सामाजिक संबंधों को स्वस्थ एवं प्रभावी बनाने के लिए यह मॉडल बहुत उपयोगी है। हमें बच्चों के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए उसका सम्मान करना चाहिए। साथ ही उनके एवं स्वयं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। बच्चों के साथ हमारा विश्वास का संबंध अवश्य होना चाहिए, उन्हें यह अनुभूति होनी चाहिए कि शिक्षक हमारे विश्वास पात्रों में सबसे श्रेष्ठ हैं। बच्चों के साथ शिक्षकों की गहरी संवेदना होनी चाहिए। संवेदनशील व्यक्ति ही किसी का मददगार एवं देखभाल करने में सहायक हो सकते हैं ।
          तीनों मॉडयूल में कई प्रकार की गतिविधियाँ एवं प्रश्नोत्तरी भी  है जो शिक्षकों को जिज्ञासा एवं नवीन संकल्पनाओं से जोड़ता है। यह मॉडयूल शिक्षा के आधुनिक परिवेश में बेहद प्रासंगिक है जो शिक्षण अनुभवों को समृद्धि प्रदान करने वाला है। इन मॉडयूल्स का ऑनलाइन अध्ययन ध्यानपूर्वक करना अपेक्षित है। एकाग्रता, सजगता और क्रमिकता से इस कोर्स का अध्ययन शिक्षकों के लिए निस्संदेह ही लाभकारी है। सभी शिक्षकों को DIKSHA एप से जुड़कर इस कोर्स का अध्ययन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। इसमें समाहित अध्ययन सामग्री शिक्षकों को विद्यालय एवं बच्चों के संदर्भ में नवीन दृष्टिकोण प्रदान करने वाला है।


चंद्रशेखर प्रसाद साहु
कुटुंबा, औरँगाबाद (बिहार)
   

3 comments:

  1. Syllabus को अपडेट करें सर, 1 मोड्यूल सही लिखा लेकिन दूसरे मोड्यूल का नाम स्वस्थ विद्यालयी परिवेश निर्मित करने के लिए व्यक्तिगत सामाजिक योग्यता विकसित करना है व तीसरे मोड्यूल का नाम विद्यालय में स्वास्थ्य और कल्याण है।

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    1. मित्र से निवेदन है कि यदि निष्ठा पर किसी प्रकार का शोध कार्य हुआ हो तो उसकी जानकारी मिल जाए तो बहुत धन्यवाद होगा

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  2. Certificate download nahi load ho raha hai

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