गांधी...एक सम्पूर्ण विचारधारा
2 अक्टूबर 1869 से लेकर 30 जनवरी 1948 ये वो दौर है जिसने एक दर्शन को,एक विचार को, एक सत्य को भौतिक रुप से महसुस किया। ये वो दौर था जिसने भारतीय इतिहास को नई दिशा दी है क्योंकि यही वो दौर था जब एक हाड़ मांस से बना इंसान का इस धरती पर जन्म हुआ, और फिर विश्व में वह अहिंसा का एक मिसाल बना और अंत में इसी दौर में ये अहिंसा का पुजारी हिंसा का शिकार होकर इस दुनिया से विदा हो गया.....जिसे पुरी दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है।
गांधी जी का जन्म भले ही भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर में हुआ, मगर वो पुरे विश्व के सर्वव्यापी एवं सर्वमान्य राजनेता थे।
गांधी भले ही हाड़ मांस से बने इंसान थे परन्तु सचमुच में वह एक विचार हैं जो हर दौर में प्रासंगिक हैं।
उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई भले ही अपने दीवान पिता करमचंद गांधी के विरासत को संभालने के लिये किया हो मगर उन्होंने
जिम्मेदारी संभाली देश की आजादी का।
गांधी एक विचार है जो अमर है, गांधी एक सोच है जो हर इंसान के दिलों में बसता है, गांधी अधेरे में उजाला हैं।
गांधी वो इंसान है जिसने हमें यह बताया की हिंसा को खत्म करने के लिये हिंसा की नहीं बल्कि अहिंसा का रास्ता सबसे बेहतर और सबसे सही है। गांधी वो है जो हमे यह सिखा गया की शत्रु सिर्फ हमारे बाहर नहीं बल्कि क्रोध,ईष्या,लोभ आदि के रुप में हमारे अन्दर भी है जो हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है।
बैरिस्टर की पढ़ाई पुरा करने के बाद गांधी जी एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रिका गये और वहां के भारतीय एवं काले लोगों की व्यथा देखकर काफी दुखी हुये। उन्होंने वहां उन भारतीयों के लिये संघर्ष करने का ईरादा किया जिसमें उन्हें काफी सफलता भी मिली।
गांधी आधुनिक युग के सबसे प्रभावकारी शख्सियत हैं।
जब पुरी दुनिया उपनिवेशवादियों के अत्याचारों से कराह रही थी(विशेषकर एशिया एवं अफ्रिका) तब गांधी जी के नितृत्व ने यह बताया की यदि सत्य के डोर को पकड़ कर अहिंसा के मार्ग पर चलते हुये अपने अधिकारों के लिये संघर्ष किया जाये तो कोई शासन उनके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती।
गांधी जी का बिहार से लगाव इस बात से जगजाहिर है की भारत में पहला सत्याग्रह(चम्पारण) बिहार में उन्होंने किसानों की वाजिब मांगों के समर्थन में किया था।
चम्पारण सत्याग्रह हो या खेड़ा आन्दोलन सबमें गांधी जी ने अपने कुशल नितृत्व की बदौलत तब के मालिकों को घुटने टेकने पर मजबुर कर दिया था।
अंग्रेजों से दो-दो हाथ करते हुये गांधी जी ने जिस प्रकार सविनय अवज्ञा आंदोलन, एवं असहयोग आंदोलन किया और स्वदेशी, हिंदु-मुस्लिम एकता के प्रयास किये उसने देश के हर तबका चाहे वो हिन्दु,मुस्लिम, मध्यम वर्ग,किसान,छात्र हो सबको एकता और राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाया।
गांधी जी के सत्य के प्रयोग ने देश के जन-जन में आशा की किरण पैदा की, और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रजो को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया।
गांधी जी का जन्म भले ही भारत में हुआ था मगर उनके विचार सरहदों से परे हैं। गांधी जी भले ही कभी अमेरिका नहीं गये मगर अमेरिका के सेन्ट्रल हाल में उनकी आदमकद प्रतिमा उनके सर्वमान्य होने की पुष्टी करता है।
आज के दौर में जब हर तरफ निराशा का माहौल है, नैतिक मुल्यों का अभाव है, हिंसात्मक विचारधारा अपने चरम पर है, मानवता मनुष्य के ह्रदय से कोसो दुर चला गया है, हर तरफ कष्ट का वातावरण है, लोभ,ईष्या जन-जन की पहचान बन चुकी है तब गांधी के विचार ही वो आखिरी किरण है जिसमें हर तरह की उम्मीद और समाधान समाहित है।
गांधी के विचार हर दौर में प्रसांगिक है।
बस जरुरत है की हम सब गांधी के विचारों को पुरी ताकत से पकड़ कर उनकी बातों को अपने जीवन में अमल में लायें।
गांधी जयन्ति की हार्दिक बधाई।
हिफजुर रहमान "रिंकु"
प्रा० वि० शेखबिघा,आमस(गया)
Bhut achha
ReplyDeleteKash mai apko ye speech live sun pati
Kyun k aap bhut achhas speech dete han
Bhut achha
ReplyDeleteKash mai apko ye speech live sun pati
Kyun k aap bhut achhas speech dete han
👌👌👌
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