"टीचर्स ऑफ बिहार" का शौर्य गीत - मणिकांत मणि - Teachers of Bihar

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Wednesday, 22 January 2020

"टीचर्स ऑफ बिहार" का शौर्य गीत - मणिकांत मणि



टीचर्स आफ बिहार" का शौर्य गीत
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गुमनामी  से  बाहर  लाने  को जो है बेकरार,
वो मंच है " टीचर्स आफ बिहार"ऽऽऽ----२
खोई गरिमा को जो वापस लाने को तैयार,
वो मंच है "टीचर्स आफ बिहार"ऽऽऽ------२

सर्व सत्य है गुरु-शिष्य का,
सेतु बनकर खड़ा वो आज।
शिक्षा हित में परख रहा वो, 
कैसा हो सरकार समाज?
फूंक-फूंक के कदम बढ़ाकर,फिर करता इज़हार,
वो मंच है "टीचर्स आफ बिहार"ऽऽऽ ------२ टेक

जो है सच में जागा शिक्षक,
कभी न वो भूलेगा नाम।
एक हितैषी बनकर वो
भेज रहा जन-जन तक पैगाम।
जिसके कारण बाँट रहे हम, आपस में विचार,
वो मंच है "टीचर्स आफ बिहार"ऽऽऽ ------२ टेक

देख रहे हैं हम सब जो..,
एक मामूली झाँकी है।
जितने ख्वाइश है स्व मन में,
धरा पे लाना बाँकि है।
जिसे करता है "कांतमणि" अभिनंदन बारम्बार।
वो मंच है "टीचर्स आफ बिहार"ऽऽऽ-----२ टेक
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मणिकांत मणि
रा. प्रा. वि. हरदियां बेदौली                
पालीगंज, पटना (बिहार) 

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