मोहित-सैयद जाबिर हुसैन - Teachers of Bihar

Recent

Tuesday 19 May 2020

मोहित-सैयद जाबिर हुसैन



          मोहित

          आज इस लॉकडाउन में मुझे अपने विद्यालय के साथ-साथ दूसरी कक्षा के छात्र मोहित की याद आ गई। शिक्षक बनने के उपरांत विद्यालय में पहला दिन था। बच्चों की उपस्थिति लेने के उपरांत बच्चों से खूब बातें की। बातचीत के दौरान विद्यालय के बहुत से हालातों की जानकारी बच्चों के माध्यम से मिली। इसी क्रम में यह बात भी पता चला कि मोहित कई दिनों से विद्यालय नहीं आता है। मैंने इसकी वजह जानने की कोशिश की तो कोई सटीक जानकारी नहीं मिली। मैंने एक योजना बनाई। मैंने मुंसी गुरुजी से बात की और मोहित को उसके घर से बाल संसद के सदस्यों द्वारा बुलवाने भेजा पर वो नहीं आया। 
          विद्यालय के अन्य कार्यों को करते-करते तीन दिन और बीत गए। पुनः मोहित का ध्यान आया तो मैंने बाल संसद के दो  सदस्यों को साथ में लेकर गाँव का भ्रमण किया और मोहित के घर पर भी गया। वहाँ पता चला कि उसके पिताजी कहीं बाहर रहते हैं और वह घर पर अपनी माँ का कहना नहीं मानता है। इसी लापरवाही में वह विद्यालय कई दिनों से नहीं आ पा रहा है। मैंने उसकी माँ से बात की और अगले दिन उन्हें मोहित के साथ विद्यालय आने के लिए प्रेरित किया। फिर क्या था नए वाले गुरुजी के नाम पर मोहित की माँ मोहित को लेकर विद्यालय आई। योजना के अनुसार हम दोनों शिक्षक मोहित से बहुत ही प्यार से बातचीत की और उसे  विद्यालय में विगत कुछ दिनों में हुए नए कार्यों से अवगत कराए। मैंने उससे कहा- देखो मोहित! हम शिक्षक और विद्यालय के सभी बच्चे विभिन्न प्रकार के  सुंदर चित्र बनाकर एक खाली तेल के टीन वाले डब्बे पर चिपका कर एक कूड़ेदान का निर्माण किए हैं। अब सभी अपने फटे  कागज या विद्यालय के कूड़े को इस कूड़ेदान में डालते हैं। ये चित्र जो दीवार पर लगे हैं वो तुम्हारे सहपाठियों के भी है। जब से मैं आया हूँ बहुत सारे रोचक कार्यों को विद्यालय में करने के बारे में सोच रखा है जिसमें तुम्हारी भी भागेदारी जरूरी है। सभी बच्चे मनोरंजनपूर्ण माहौल में पढ़ाई करते है। जब मैंने बच्चों से पूछा कि मैंने सही कहा न, तो सभी बच्चों ने एक स्वर में कहा- हाँ! मोहित के दिमाग में विद्यालय प्रतिदिन आने के लिए ऐसा सफल प्रयास किया गया। मोहित ने अब प्रतिदिन विद्यालय आने के लिए सबों के सामने वचन दिया और अपनी खुशी जाहिर की। मैंने सभी बच्चों से मोहित के लिए जोरदार तालियाँ बजवाई और इस दौरान मोहित कि माँ भी खुश हुई। कुछ दिनों बाद अगले बाल संसद के पुनर्गठन में मोहित बाल संसद का सक्रिय सदस्य बना और इस प्रकार मोहित अपने  विद्यालय से हमेशा के लिए जुड़ गया।



सैयद जाबिर हुसैन
शिक्षक सह निष्ठा प्रशिक्षक
न्यू प्राथमिक विद्यालय बहुआरा
कुदरा, कैमूर, बिहार

29 comments:

  1. बहुत सुन्दर और अनुकरणीय पहल👌👌👌

    ReplyDelete
  2. अति विशिष्ट पहल👌👌👌

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुन्दर पहल

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर सर

    ReplyDelete
  5. प्रेरणार्थक!

    ReplyDelete
  6. सराहनीय कार्य सर जी

    ReplyDelete
  7. लाजवाब
    !मेरे अजीज शिक्षक साथी,
    सैय्यद जाबिर हुसैन साहब,
    आप यूं ही अपनी रचना से शिक्षक समाज को प्रेरित करते रहें ।

    ReplyDelete
  8. आप जैसे सृजनशील शिक्षक हमलोगों के प्रखण्ड और जिला में हैं तो निश्चित ही एक नई ऊंचाइयों पर जा सकते हैं हमलोग,,,।

    ReplyDelete
  9. अच्छी पहल है।आप ऐसा ही लिखते रहें।ध धन्यवाद

    ReplyDelete
  10. आपका आलेख प्रेरणादायक है ।सर जी, एक शिक्षक का रोल अपने विद्यालय कैसा होना चाहिए, उसका बेहतरीन
    चित्रण आपने इस article मे किया है ।
    बहुत -बहुत मुबारकबाद सर जी ।अशरफ अली मधुबनी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर जी।

      Delete
  11. आपका आलेख प्रेरणादायक है ।सर जी, एक शिक्षक का रोल अपने विद्यालय कैसा होना चाहिए, उसका बेहतरीन
    चित्रण आपने इस article मे किया है ।
    बहुत -बहुत मुबारकबाद सर जी ।अशरफ अली मधुबनी ।

    ReplyDelete
  12. स्कूल की ललक आपने जगाया, NCERT से जुड़े मथुरा में आयोजित काम की जो समझ विकसित हुई थी वह यहाँ फलीभूत हो रही है

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बिल्कुल ।आप जैसे साथियों का भी साथ मिला ।

      Delete
  13. हम सबकों मोहित फिर से नहीं प्राप्त करना परे इसके लिए सतत अभ्यास की जरूरत रहती है।बधाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. सतत प्रयास पढ़े कृपया

      Delete
    2. सतत प्रयास पढ़े कृपया

      Delete
  14. सराहनीय एवं उत्प्रेरित कल्पना

    ReplyDelete
  15. हौशला आफजाई के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  16. सराहनीय प्रयास मोहित और मोहित जैसे विधार्थियों के लिए...👌

    ReplyDelete
  17. आपका आलेख हम शिक्षकों को अपने कर्तव्य को हर परिस्थिति मे विचलित हुए बिना करने की सीख देता है ।यह कहकर अपना पल्लू झार लेना उचित नही कि यह छात्र पढने वाला नही है कोशिश करनी बेकार है ।हमे अपनी कोशिश अलग -अलग ढंग से अंतिम क्षण तक जारी रखनी चाहिए ।सुन्दर और कर्तव्य पथ पर डटे रहने की सीख देनेवाले इस आलेख के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर ।

    ReplyDelete
  18. आपका आलेख मेरा हौसला बढा दिया, ,,,,और इस बंद पर भी मेरे विश्वास को मजबूती प्रदान किया कि :
    दुनिया मे वही व्यक्ति है ताजीम के काबिल
    जिस व्यक्ति ने हालात का रूख मोड़ दिया हो ।
    इस आलेख के लिए धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  19. आपका आलेख मेरा हौसला बढा दिया, ,,,,और इस बंद पर भी मेरे विश्वास को मजबूती प्रदान किया है कि :
    #दुनिया मे वही व्यक्ति है ताजीम के काबिल
    जिस व्यक्ति ने हालात का रूख मोड़ दिया हो ।।
    इस आलेख के लिए धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  20. आपका आलेख हम शिक्षको यह संदेश देता है :
    A teacher is like the candle which lights other in consuming itself.
    आप इस तरह काआलेख आगे भी जारी रखें,,,,,धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  21. आपके जज्बे और कोशिश की जितनी प्रशंसा की जाए कम है ।मुझे तो लगता है कि आप मिशन मोड मे अपने कर्तव्य को अंजाम है एक शिक्षक के रूप मे ।तभी तो किसी शायर ने क्या खूब कहा है :
    यही जुनून यही एक ख्वाब मेरा है
    वहां चिराग जला दूं जहां अंधेरा है ।
    आप इसी जज्बे और जुनून केसाथ काम करते रहें ईश्वर
    से यही मेरी दुआ है ।

    ReplyDelete
  22. अंजाम देते हैं एक शिक्षक के रूप मे ।यह पढा जाए ।।

    ReplyDelete