एक दर्द भरी गाथा जिन्दगी जन्म-मृत्यु,सुख-दुःख, विरह-मिलन,अंधेरा-उजाला का समावेश है।मनुष्य के साथ-साथ जब कोई भी जीव का इस पृथ्वी पर आगमन होता है,तो लोग बहुत खुश होते हैं,सोहर गाये जाते हैं,बधैया बजायी जाती हैऔर नवागंतुक मेहमान रूपी शिशु के आगमन की खुशी में मस्ती में डूब जाते हैं।यहीं से उसके जीवन तथा उसके सुन्दर तथा सुखद भविष्य की कामना की जाती है।
मेरा यह आलेख"मौत जीवन का कडुवा सच" विश्व के अन्य जीवों की तरह मनुष्य की जिंदगी पर आधारित है,क्योंकि इस पृथ्वी में जब कोई "शिशु"जन्म लेता है तो उसके माता-पिता तथा परिवार वाले बहुत अरमान के साथ उसका पालन-पोषण यह सोचकर करते हैं कि आने वाले कल के दिनों में जिन्दगी ऐशो-आराम के साथ बीत जायेगी,लेकिन ऐसा होता नहीं है।क्योंकि जिस जिन्दगी को बड़े अरमान के साथ सजाने- संवारने का प्रयास किया जा रहा है,वह एक दिन ठुकरा देती है।
"कडुवा"का अर्थ होता है,जो देखने सुनने में सत्य तथा दिल की गहराई को छूता है ,कयोंकि सत्य हमेशा कठोर ही होता है। यानि जन्म के बाद हर व्यक्ति जिसने जन्म लिया है,उसको मृत्यु को वरन करना ही होगा। मनुष्य अपने जीवन के स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करते हैं कि वह पढ़-लिख कर एक चमकता हुआ सितारा की तरह अपने परिवार,समाज,राष्ट्र तथा विश्व का संचालक एवं कर्णधार बनेगा। बहुत समय ऐसा होता भी है, लेकिन मनुष्य जिस जिन्दगी को बड़े अरमान के साथ पालता-पोषता है वह किसी समय ऐन मौके पर धोखा देकर अपनी जीवन लीला को पूरा करके असामयिक निधन के गाल में समा जायेगा इसकी कल्पना शायद किसी ने सोची भी न होगी वैसे ही जैसे"जाने चले जाते हैं कहाँ दुनिया से जाने वाले" वाली बात होती है।
मृत्यु जीवन का सार्वभौमिक सत्य है को प्राप्त चर लेने के बाद संपूर्ण परिवार वाले मोह माया के जाल में फंसकर निर्जीव लाश को पकड़ कर रोते-बिलखते हैं लेकिन मृत्यु को वरन् कर चुका शव आपके लिये इस दुनिया से सदा-सदा के लिये अपनी जीवन लीला को समाप्त करके इस दुनिया से जा चुका है,ठीक वैसा ही जैसे,"चले जाते हैं कहाँ,दुनिया से जाने वाले" जिन्दगी कितनी बेबफा है जो असामयिक निधन बन कर जीव को अपने गाल में समा लेती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि"एक व्यक्ति अपने जीवन में कृषि कार्य कर जीवन में तरक्की करना चाहता है लेकिन अचानक उसकी तबियत खराब हो जाती है,और वह काल के गाल में समा जाता है। इसके बाद घर के खुशी का माहौल गम के अंधेरे में डूब जाता है,मौत कितनी कड़वा है मेरे मित्रों,महसूस करने की चीज है। विश्व में ऐसे अनगिनत उदाहरण भरे पड़े हैं"के तह पर जाकर जब झाँकने की कोशिश करेंगे तो पता चलेगा कि"सब कर्मों का फल है"।इन कर्मों में कुछ सपष्ट दिखाई पड़ते हैं,कुछ महसूस करने की चीज है।
इस संबंध में मेरी राय है कि लोगों को मनुष्य योनि में जन्म लेने के बाद से जीवन के सुन्दर,सुन्दर कर्मों को करना चाहिये,जो कि जिन्दगी की बेबफाई के बाद भी एक इतिहास बनकर,,जीवन जीने की आइना दिखाती रहेगी,लेकिन सब कुछ जानने के बाबजूद भी हमारे आँखों पर काला चश्मा चढ़ा हुआ है,जो कि भाई-भतीजा, वंशवाद,लूट-खसोट-खसोट,छीना-झपटी के रूप में इस इस संसार में व्याप्त है।
अंत में, मेरा मानना है कि जिन्दगी एक ख़ुशनसीब हसीन तोहफा है,जिसका मजा लीजिये और वह मजा तब मिलेगा,जब आप अच्छे कर्मों को करते हुये जीवन जीने की कोशिश करेंगे।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार"विनोद" प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय
पंजवारा,बांका(बिहार)।

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