मनुष्य प्रतिदिन अपने जीवन में कुछ उत्कृष्ट कार्य करने की बात सोचता है।किसी कार्य को उत्कृष्ट तरीके से करने के साथ-साथ उस क्षेत्र में महारथ हासिल करने का प्रयास करता है,जिससे उसको अपने कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
किसी भी कार्य को करते समय लोगों को उस कार्य में कौशल का विकास करना चाहिये।जैसे कि एक शिक्षक को विद्यालय में बच्चों को तरह-तरह के नवाचारों से युक्त होकर सीखाने का प्रयास करना चाहिये,जिससे कि शिक्षा के क्षेत्र में बच्चे अपने चरम शिखर तक पहुँच सके।जब आप किसी भी काम को पूरी निष्ठा तथा लगन के साथ करेंगे तो आपको बहुत खुशी होगी तथा उससे मानसिक शांति होगी।इसके साथ ही जब मानसिक शांति होगी तो लोगों के मन मस्तिष्क में"निखार"आयेगा।
"निखार"सिर्फ चेहरे पर ही नहीं आता है,बल्कि निखार को अंतरात्मा की पुकार से भी अच्छे कार्यों को करके लाया जा सकता है।
"निखार"के लिये कार्य के प्रति समर्पण का भी होना आवश्यक है।यदि आप किसी भी कार्य को समर्पण की भावना से करते हैं तो आपकी कार्कुशलता का विकास होता जायेगा तथा आपकी तरक्की दिन-दुनी-रात चौगुनी होती जायेगी।प्रत्येक मनुष्य जो कि अपने जिन्दगी में लगातार मेहनत तथा परिश्रम के साथ कार्य करता है तो उसकी कार्यकुशलता में निखार आना अवश्यमभावी है।
"निखार" के लिये कठिन प्रयास की जरूरत होती है और कठिन प्रयास के लिये सकारात्मक सोच की जरूरत होती है।लोगों को अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने के लिये सकारात्मक सोच के साथ जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिये।जब लोगों को यह महसूस होने लगेगा कि मैं मेहनत करके अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर को प्राप्त कर लूँगा और उसके लिये लगातार मेहनत करता ही रहता है,तो वह अपने मुकाम पर पहुँच जाता है।साथ ही जब वह अपने मुकाम पर पहुँच जाता है तो उसको बहुत खुशी होती है।इसके बाद जब किसी को अपने सुन्दर कार्य को करने के बाद आत्मसंतुष्टि होती है तो वह तनाव मुक्त महसूस करता है तथा जब वह तनाव मुक्त महसूस करता है तो उसका शारीरिक,मानसिक विकास के साथ-साथ चिंतन करने की शक्ति भी बढ़ती जाती है।साथ ही जब लोगों को मानसिक तथा आंतरिक रूप से खुशी प्राप्त होगी तो उसके शरीर के अंदर निखार आने लगेगा।
कुछ लोग विशेषकर महिलायें यह सोचती है कि आधुनिक तरीके से रूप सज्जा करने से चेहरे पर निखार आती है,जिस बात से मैं अपने आप को सहमत नहीं मानता हूँ।मेरा विचार है कि किसी भी व्यक्ति मे निखार, उसके द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों को करने से हो होता है।इसलिये हमलोगों को अपने कार्य के प्रति समर्पण की भावना होनी चाहिये और जब हम लोगों में कार्य के प्रति समर्पण की भावना होगी तभी हमलोगों के चेहरे तथा मन-मस्तिष्क,कार्य क्षमता में निखार आने की संभावना बनेगी।
अंत में,मेरा मानना है कि हमलोगों को अपने-अपने कार्य के प्रति सकारात्मक सोच के साथ सुन्दर-सुन्दर कार्यों को करने की बात सोचनी चाहिये तभी हमलोग अपने जीवन की अगली पौदान पर आगे बढ़ते हुये जीवन में "निखार"ला सकते हैं।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद" भलसुंधिया,गोड्डा(झारखंड)

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