कभी नहीं है होती पराई
हो दोनो की समान पढ़ाई
तभी होगी कुल की बड़ाई
मारेगी छक्का व चौका
पढ़ लिखकर ऐसी हो जाए
जो पार लगाए सबकी नौका।
रहती हरदम हँसती है
दया भाव भी रखती है
जो इस जीवन की मस्ती है।
खेले-कूदे घर व द्वार
देख प्रफुल्लित मन होता है
बना रहे ऐसा संसार।
गाओ इनका भी गुण-गान
कहलाओगे तभी महान
प्रसन्नचित्त होंगे भगवान।
मध्य विद्यालय मोती टोला
इस्माईलपुर
भागलपुर
Today there is no time to the scholers to comment on the writings of anybody or does not want to courage the writing powers of others.
ReplyDeleteVijay Singh