"मूल्य आधारित शिक्षा" आज के समय की माँग-विमल कुमार विनोद - Teachers of Bihar

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Monday 10 February 2020

"मूल्य आधारित शिक्षा" आज के समय की माँग-विमल कुमार विनोद

"मूल्य आधारित शिक्षा "आज के समय की मांग
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       आज के समय में जिस तरह मनुष्य आधुनिकता तथा पश्चिमी सभ्यता के अंधा-धूंध अनुकरण की ओर अग्रसर है तथा बच्चों में पश्चिमी सभ्यता हावी होता जा रहा है वैसी स्थिति में हमारा किशोरावस्था चिन्तनीय तथा सोचनीय बनकर रह गई है। ऐसी स्थिति में मूल्य आधारित तथा नैतिक शिक्षा बहुत आवश्यक हो गई है।
          मूल्य एक अर्जित व्यवहारात्मक पैटर्न है जिसका बीजारोपण सामान्य व्यक्ति के आरंभिक सामाजीकरण की प्रक्रिया के दौरान हो जाती है। बच्चों के मूल्य के विकास में माता-पिता, पास-पड़ोस एवं शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिन बच्चों को मूल्य आधारित शिक्षा मिलती है वे एक श्रेष्ठ एवं उत्तम व्यक्तित्व विकसित कर पाते हैं और समाज एवं परिवार दोनों के लिए धरोहर साबित होते हैं।
     शिक्षा मनोविज्ञानिकों का कहना है कि मूल्यों को सिखलाया जा सकता है और मूल्य आधारित शिक्षा बच्चों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिये महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब छात्रों को स्कूली जिंदगी में संतुष्टि मिलती है तो उसमें मूल्य का निर्माण होता है। बच्चों के मूल्य का विकास करने में स्कूल में शिक्षक और छात्र का संबंध घनिष्ठ और दोस्ताना होना अत्यावश्यक है।
        मूल्य आधारित शिक्षा को विकसित करने में माता- पिता, परिवार, समाज सभी का महत्वपूर्ण स्थान है लेकिन आज के समय में बच्चे आधुनिक बनने की कामना तथा पश्चिमी सभ्यता के चक्कर में पड़कर  सामाजिकता, अनुशासन, नैतिकता इत्यादि का पालन नहीं करते और बड़े बुजुर्गों के साथ अच्छा व्यवहार करने में भी काफी गिरावट देखने को मिलती है। इसके लिए छात्रों में मूल्य के संबंध में मौलिक ज्ञान की शिक्षा तथा भविष्य के परिणामों की जानकारी देना बहुत जरूरी हो गया है।
     विद्यालय के बच्चों में शैक्षिक अनुभूतियों से मूल्य का निर्माण होता है। इसके लिए विद्यालय में छात्रों के लिए तैयार किए गए पाठ्यक्रम में विविधता होनी चाहिए तथा छात्रों का आपस में मधुर संबंध, आत्मज्ञान तथा सम्मान बढ़ाने की  सक्रियता भी जरूरी है।
      मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे जब कक्षा में परिचर्चा करते हैं तो उनसे भी मूल्य विकास की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके अलावे बच्चों को स्नेह शर्तहीन 
सम्मान दिया जाना चाहिए। माता-पिता के आपसी संबंध से भी बच्चों के मूल्य का विकास प्रभावित होता है। कुछ माता-पिता प्रायः झगड़ते हैं जिससे बच्चों में मानसिक द्वन्द की स्थिति पैदा हो जाती है।
     इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मूल्यों के विकास से व्यक्ति का सर्वांगिण विकास होता है। इसके लिए माता-पिता, परिवार, शिक्षक, समाज सभी को मिलकर बच्चों
में मूल्यों का विकास करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को सुन्दर, सुदृढ़ तथा भविष्य में मिलने वाली चुनौतियों से निपटने में परेशानियों का सामना करना नहीं पड़े।
           आने वाला कल बच्चों के लिए मंगलमय हो और साथ में ढेर सारी शुभकामनाएँ भी प्राप्त हो।

श्री विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक 
राज्य संपोषित उच्च विद्यालय 
पंजवारा, बांका

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