मिड डे मील(लघुकथा)-राजीव नयन कुमार - Teachers of Bihar

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Tuesday, 11 February 2020

मिड डे मील(लघुकथा)-राजीव नयन कुमार


मिड डे मील (लघुकथा)
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      विद्यालय में टिफ़िन की घंटी लगते ही बच्चे अपनी-अपनी थाली लेकर कतारबद्ध हो गए। सोहन मास्टर की नज़र सात वर्षीय मासूम मीठी के ऊपर जा टिकी थी। मीठी आज पुनः हमेशा की तरह मिड डे मील लेकर अपने घर की तरफ बढ़ चली। मीठी का घर विद्यालय के पास ही था। घर के नाम पर बांस और पुआल से बनी टूटी-फूटी झोपड़ी। माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। सोहन मास्टर के मना करने के बाद भी मीठी नहीं रूकती। कुछ क्षण के लिए रूकती और सीधा घर की तरफ भागती। मास्टर जी की उत्सुकता चरम पर थी। आज वो मीठी के पीछे-पीछे चल दिए। मीठी खाना लिए सीधे अपने झोपड़ीनुमा घर में प्रवेश कर गई। सोहन मास्टर खिड़की से झाँकते ही आवाक रह गए। मीठी अपने छोटे हाथों से अपने दो वर्षीय भाई को खाना खिलाकर शेष खाने को खाकर अपने भूख को मिटाने का प्रयास कर रही थी। मास्टर जी मिड डे मील की सार्थकता एवं मीठी के खोये हुए मासूम चेहरे का राज समझ चुके थे।


राजीव नयन कुमार
मध्य विद्यालय खरांटी 
ओबरा, औरंगाबाद

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