पेड़ों से दोस्ती-अरविंद कुमार - Teachers of Bihar

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Tuesday 11 February 2020

पेड़ों से दोस्ती-अरविंद कुमार

पेड़ों से दोस्ती 
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        अरविंद सर बराबर कहा करते हैं, पेड़ों से दोस्ती करो। तुम कुछ कोई कसरत करो या न करो पेड़ों से दोस्ती जरूर करो। इस्लामिया उर्दू मध्य विद्यालय डेहरी के चहारदीवारी के भीतर दो-चार पेड़ हैं। जी हाँ, छोटे-बड़े पेड़। पीपल के, बरगद के, आम के भी। उनका कहना है कि तुम कोई भी खेल खेलो या नहीं, लेकिन पेड़ों से दोस्ती जरूर करो। पेड़ों पर चढ़ो, कूदो, उतरो। अंततः उससे दोस्ती करो। पेड़ों से लगाव रखोगे, उसके साथ खेलोगे तो तुम्हारा शारीरिक व्यायाम अपने आप हो जाएगा और फिर पेड़ों से परिचित भी हो जाओगे। उसके टहनी से, डाली से, जड़ से, पत्तियों से भी उसे देख सकोगे। निहार सकोगे, छू सकोगे और महसूस भी कर सकोगे। जब पेड़ों पर चिड़ियाँ अपना घोंसला बनाती है, बरसात के दिनों में उसी घोसले में चिड़ियों का आवास होता है। पेड़ हमें भी तो छाया देते हैं, हमारी रक्षा करते हैं और ऑक्सीजन भी देते हैं। हमारे द्वारा स्वांंस छोड़ने के उपरांत जो भी अवशिष्ट कार्बन डायऑक्साइड निकलता है उसे पेड़ ग्रहण कर अपना भोजन बनाते हैं।
       एक दिन रेहाना के पिताजी आते हैं। वह प्रधानाध्यापक के समक्ष अरविंद सर को बुलाते हैं। उनका कहना है लड़कियों को पेड़ पर नहीं चढ़ाना चाहिए। लड़कियों का पेड़ पर चढ़ना ठीक नहीं है। परन्तु अरविंद सर पेड़ का महत्व रेहाना के पिताजी को बड़े प्यार से समझाते हैं। वह बताते हैं कि पेड़ से लगाव, पेड़ को जानना, उस पर उछल कर खेलना बड़ा ही अच्छा है। पेड़ पर खेलने, चढ़ने, उसके साथ लगाव होने से पेड़ के प्रति हमारी संवेदनशीलता बढ़ती है। हमें पेड़ के महत्व का पता चलता है। हमें महसूस होता है कि पेड़ हमारे लिए कितना जरूरी है ।
      बच्चों के साथ रेहाना के पिताजी भी बैठते हैं और पेड़ के महत्व के संबंध में अरविंद सर से जानकारी प्राप्त करते हैं। सर बताते हैं कि पेड़ हमारे लिए कितना जरूरी है। अगर हम बहुत ही विवशता वश एक पेड़ काटे तो दस पेड़ जरूर लगाएँ क्योंकि यही हमें ऑक्सीजन देता है एवं कार्बन डायऑक्साइड को वातावरण से खींच कर इसे शुद्ध बनाता है। हमें आश्रय भी तो देता है, लकड़ी भी देता है, छाया भी देता है। फिर हम पेड़ से दोस्ती क्यों नहीं करें? जीव विज्ञान से पेड़ के संबंध में जो जानकारी प्राप्त करनी है उसकी सीख भी तो इन्हीं पेड़ों से मिलती है। फिर कितना मजेदार काम है पेड़ों से दोस्ती। इस बात को पिताजी भी समझ जाते हैं। तो आइए हम पेड़ों से दोस्ती करें।


अरविंद कुमार 
गौतम मध्य विद्यालय न्यू डिलियाँ 
डेहरी, रोहतास

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