Thursday 26 March 2020
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एक छोटी सी कोशिश - विजय सिंह
एक छोटी सी कोशिश
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कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का नाम ऐसा रखते हैं जो उनके नजर में सर्वश्रेष्ठ हो। ऐसा ही नाम दिलखुश है जिसका अर्थ है दिल को खुश करने वाला, दिल को खूश रखने वाला तथा स्वयं सदैव खुश रहने वाला। लेकिन यहाँ एक ऐसे लड़के के बारे में बताया जा रहा है जिसका कार्य नाम के बिल्कुल विपरीत था। वह हमेशा दूसरों को दुःखी करना, दिल को चोट पहुँचाना ही अपना परम कर्तव्य समझता था। पहली कक्षा से पाँचवी कक्षा तक वह हमेशा दूसरों को परेशान करते रहता था। किसी को गाली दे देना, किसी को पीट देना, किसी को धक्का दे देना, कक्षा में शोर मचाना, दरवाजे-खिड़की पर पत्थर फेंकना, यही सब उसका कार्य था। गाँव में भी लोग उस छोटे से बच्चे को सिकिया पहलवान की उपाधि दिए हुए थे। गाँव में भी अन्य बच्चे उसके सामने कुछ भी बोलने से डरते थे यहाँ तक कि बड़ों को भी गाली देकर भाग जाना, उनके ऊपर पत्थर फेंकना आम बात थी। दिन भर में कई शिकायतें उसके घर तक जाती थी फिर घर पहुँचने पर माँ-पिताजी से पिटाई उसकी दिनचर्या बन गई थी। दिन भर इधर से उधर भटकना उसका मुख्य कार्य था। विद्यालय से जब मन तब भाग जाता, मैदान में उछल-कूद करना, पेड़ पर चढ़ना, उसके प्रतिदिन के कार्य थे। घर में पिटाई लगने के बाद वह बिना खाए-पिए सो जाता। फिर देर रात माँ जगा कर उसे खाना खिलाती। उसमें यह विशेषता थी कि भोजन में जो भी मिलता उसे भरपेट खाता और बेफिक्र होकर गहरी नींद में सोता जिस कारण हमेशा स्वस्थ रहता था।
मैं विद्यालय में उसकी गतिविधियों को हमेशा देखने की कोशिश करता और वर्ग एक से पाँच तक के शिक्षकों से भी उसके बारे में जानकारी प्राप्त करते रहता। वह विद्यालय प्रतिदिन आता लेकिन कक्षा से बाहर निकल जाता और विद्यालय के पीछे मैदान में अकेले कुछ से कुछ करते रहता। मुझे कभी भी उसकी कक्षा में जाने का मौका नहीं मिलता था क्योंकि छठी से आठवीं कक्षा तक से फुर्सत नहीं होती थी। फिर वह दिन भी आ गया जब दिलखुश छठी कक्षा में आ गया मुझे उसके बारे में कुुुछ पहलेे से जानकारी थी।
नया सत्र शुरु होने पर वह भी छठी कक्षा में सबसे पीछे वाले बेंच पर बैठा दिखा जो दूसरे बच्चों से बिल्कुल अलग दिख रहा था। गंदा कपड़ा पहना था, स्नान नहीं किया था, बाल नहीं सँवारा था। वर्ग में प्रवेश करने के बाद मैंने अपना परिचय दिया और सभी बच्चों से बारी-बारी से परिचय देने को कहा। जब दिलखुश की बारी आई तो मैंने उसकी ओर देखकर मुस्कुराया और अपनी आँखें फेर ली। सभी बच्चों से बारी-बारी से परिचय प्राप्त करने के कारण घंटी बज गई और मैं दूसरी कक्षा में चला गया लेकिन दिलखुश पर मेरी नजर लगी रहती। उस दिन मैंने देखा कि वह विद्यालय छोड़कर मैदान नहीं गया और छुट्टी होने से पहले तक कक्षा में बैठा रहा। न तो किसी को गाली दी, न धक्का दिया। न तो किसी को पीटा और न ही दरवाजे-खिड़की पर पत्थर फेंका। फिर दूसरे दिन उसी तरह बैठा दिखा। मैंने उससे प्रेम पूर्वक उसका नाम पूछा फिर पिता-माता, दादा-दादी, भाई-बहन इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त की फिर उसे साफ कपड़े पहनने और स्नान करने से होने वाले फायदे को बताया और अपना विषय बताकर कक्षा से बाहर चला गया। उस दिन भी वह कक्षा छोड़कर नहीं भागा। तीसरे दिन मैंने देखा कि वह स्नान किया हुआ है, बाल भी सँवारा है और कपड़े भी साफ है। मैं मन ही मन काफी प्रसन्न हुआ और पुनः एक बार उसका नाम पूछा। जब उसने अपना नाम दिलखुश बताया तो मैंने मुस्कुराते हुए उसे दिलखुश शब्द का अर्थ और विशेषता बताते हुए उसके चेहरे के भावों को पढ़ने लगा मैंने महसूस किया कि पहले किसी ने भी उससे प्रेम पूर्वक बात करने की शायद कोशिश नहीं की थी। फिर धीरे-धीरे मनोरंजक कहानियाँ सुना कर सभी बच्चों में मिल-जुल कर प्रेम पूर्वक रहने की भावना जगाई। दिलखुश जानता सब कुछ था लेकिन वह सही दिशा-निर्देश के अभाव में रास्ते से भटक गया था। उसे उचित-अनुचित की जानकारी नहीं थी। अन्य शिक्षकों को भी दिलखुश पर नजर रखने के लिए कहा। मात्र छः माह के अंदर वह सब कुछ पढ़ने-लिखने लगा, अनुशासित रहने लगा। अपने तो शांत रहता ही दूसरे बच्चों को भी शांत रहने को कहता था। फिर मैंने उनके वर्ग शिक्षक से बात की और उसे वर्ग का मॉनिटर बना दिया। उसमें अतुलनीय परिवर्तन हुआ जिसे देख कर बहुत खुशी होती थी। फिर उसने सातवीं-आठवीं तक मन लगाकर पढ़ाई की और परीक्षा में अच्छे अंक से पास होकर दूसरा विद्यालय चला गया लेकिन मौका मिलते ही मुझसे मिलने आ जाता। मैट्रिक भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होकर अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है और अपने नाम के अनुरूप हमेशा दूसरों को प्रसन्न रखता है। जितनी बुराईयाँ थी सबको अपने मन से निकाल कर एक अच्छे बच्चे की तरह रह रहा है। मैं इस बात से प्रसन्न हूँ कि एक छोटी सी कोशिश ने राह से भटके हुए बालक को अच्छे रास्ते पर लाने में सफलता प्राप्त की।
विजय सिंह
(मड़वा बिहपुर भागलपुर)
मध्य विद्यालय मोती टोला
इस्माईलपुर भागलपुर
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बहुत बढियां सर 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद!
Deleteविजय सिंह
वाह
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मित्र!
Deleteविजय सिंह
👌👌👌
ReplyDeleteThank you so much
Deleteविजय सिंह
बहुत सार्थक कोशिश
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