विद्यालय और चेतना सत्र-केशव कुमार कश्यप - Teachers of Bihar

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Wednesday 20 May 2020

विद्यालय और चेतना सत्र-केशव कुमार कश्यप


विद्यालय और चेतना सत्र 

          हम जानते हैं कि विद्यालय सामाजिक चेतना का केंद्र है। अगर परिभाषित किया जाय तो विद्यालय वह औपचारिक स्थल है जहाँ बच्चों का शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक, व्यवहारिक इत्यादि गुणों का विकास होता है।
चेतना- शारीरिक और मानसिक रूप से जागृत होना या आसपास के वातावरण के तत्व का बोध होने या उन्हें समझने या उनकी बातों का मूल्यांकन करने का नाम चेतना है।
चेतना सत्र- चेतना सत्र नैतिक मूल्यों और संस्कारों की संजीवनी है। बच्चों में सद्गुणों के विकास विद्यालय में प्रातः कालीन चेतना सत्र का मूल उद्देश्य है। इस सभा में समयबद्धता, सदव्यवहार, विचारों की अभिव्यक्ति एवं नेतृत्व क्षमता का व्यवहारिकरण होता है। 
          चेतना सत्र का उद्देश्य ईश वंदना के द्वारा विद्यालय में शैक्षणिक वातावरण तैयार करना है। जिस तरह हर नया काम प्रारंभ करने से पहले लगभग हम सभी मन ही मन उस कार्य की सिद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं फिर कार्य प्रारंभ करते हैं। कदाचित यह मनोवृति बचपन में विद्यालय जाने पर प्रार्थना सभा अर्थात चेतना सत्र के साथ पठन-पाठन आरंभ करने की आदत के चलते आरंभ हुई मानी जा सकती है। तथ्य एवं विभिन्न शोधों से प्रमाणित हुआ है कि प्रत्येक व्यक्ति कोई नया कार्य आरंभ करने से पूर्व अपने इष्टदेव का स्मरण अवश्य करता है। ठीक उसी तरह प्रत्येक विद्यालय में शिक्षण कार्य दैनिक चेतना-सत्र के आयोजन से ही प्रारंभ होता है। चेतना सत्र किसी भी विद्यालय का एक ऐसा दर्पण है जो उस विद्यालय के भौतिक, शैक्षिक, सामाजिक, मानसिक, सांस्कृतिक और आध्यत्मिक वातावरण का साफ एवं स्पष्ट चित्र दिखलाता है।
          सरकारी निर्देशों के अनुसार भी चेतना-सत्र से विद्यालयी कार्य की शुरुआत करनी होती है इसकी उपयोगिता इस प्रकार हो सकती है-
■ बाल संसद/मीना मंच का क्रियान्वयन उसके निर्माण का व्यवहारिकरण
■ शारीरिक सशैक्षणिक गतिविधियों से शारिरिक विकास
■ प्रसंग द्वारा नैतिक शिक्षा, मूल्यों व प्रेरणा का शिक्षण व समकालीन परिचर्चा से बच्चों में जागरुकता व सामाजिक भावना का विकास 
■ मिशन गुणवत्ता में सहायक इत्यादि।

केशव कुमार कश्यप
उ. म. वि. सरेंया टोला कमला मिश्र
प्रखण्ड- संग्रामपुर, पूर्वी चंपारण
मो.- 8292172506

51 comments:

  1. आपने अच्छा लिखा है।सच में, चेतना सत्र विद्यालय का स्वच्छ आईना है जिसमें सारे प्रतिबिंब परिलक्षित होते हैं।और पठन-पाठन के पहले ईश वंदना तो होनी ही चाहिए। अच्छी रचना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. आपने अच्छा लिखा है।सच में, चेतना सत्र विद्यालय का स्वच्छ आईना है जिसमें सारे प्रतिबिंब परिलक्षित होते हैं।और पठन-पाठन के पहले ईश वंदना तो होनी ही चाहिए। अच्छी रचना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।

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  3. बहुत बढ़िया👌👌

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  4. सुन्दर प्रस्तुति।।

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  5. चेतना सत्र एक अवसर होता है जब हम विद्यालय के सभी छात्रों के साथ मुखातिब होते हैं। इस अवसर का लाभ हम अपने अनेक उद्देश्यों को पूरा करने में कर सकते हैं विशेष रूप से नैतिक मूल्यों की शिक्षा सहित एक अच्छे नागरिक के रूप में ढालने के लिए.... उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण आलेख हेतु बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

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  6. Splendid!!!! 👌👌👌👌

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  7. महत्वपूर्ण एंव उपयोगी रचना ।

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  8. बहुत सुंदर

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  9. सटीक एवं सारगर्भित ।

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  10. बेहतर, भाषा और शैली भी आकर्षक ।

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    1. प्रयास किया है कि शैली आकर्षक हो ! प्रोत्साहन हेतु आभार!

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  11. बहुत सुंदर !

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  12. Bhut Sunder, kya gjab shbdon ko piroya hai apne

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  13. विद्यालयी गतिविधियों के मूल उद्देश्य की सुंदर व्याख्या ।उच्चतम कोटि का लेख ।

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  14. अच्छा एवं उपयोगी आलेख👌

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  15. चेतना सत्र का शब्दो से श्रृंगार ....

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    1. जी प्रयास किया है 🙂

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  16. आपके शब्दों ने हमारी चेतना को भी जागृत कर दिया🙏

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    1. आपके शब्दो मे मुझे आह्लादित कर दिया , धन्यवाद !

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  17. Sundar rachna

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  18. चेतना सत्र का भूतब नाम सुना है पर उसके बारे में सच में अगर जाना तो आपकी रचना से,अतिसुंदर👌🏼👍🏼🙏🏻🙏🏻

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  19. चेतना सत्र का खूबसूरत चित्रण, बेहद उम्दा । शब्दों से आपने चेतना सत्र का श्रृंगार कर दिया ।

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  20. बहुत बढ़िया केशव जी। आगे भी ऐसे आलेख से लोगों को लाभान्वित करते रहिए।

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  21. सभी शिक्षकों को इस महत्वपूर्ण लेख को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिए ।विद्यालय के 90% समस्यायों का हल इसमे है।

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  22. बहुत बढ़िया आलेख।

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