Thursday, 19 November 2020
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बाल अधिकार-एम एस हुसैन कैमूरी
बाल अधिकार
अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस (World Children's Day) प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की स्थापना 1954 में की गयी थी। इसकी परिकल्पना एक भारतीय नागरिक वीके कृष्णा मेनन ने की थी। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता, बच्चों के प्रति जागरूकता और बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। गौरतलब है कि भारत में इस दिन को बाल अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत प्रारम्भिक काल से ही बच्चों के अधिकार एवं समानता और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है। बच्चों को किसी भी प्रकार के खतरे व जोखिम की स्थिति में सुरक्षा का अधिकार है। भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में भी 20 नवंबर को बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय नियम के मुताबिक बच्चा का मतलब यह है कि वह व्यक्ति जिसकी उम्र 18 साल से कम है। यह वैश्विक स्तर पर बालक की परिभाषा है, जिसे बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्रीय कन्वेंशन में स्वीकार किया गया है। इसे दुनिया के अधिकांश देशों ने मान्यता दी है जहाँ तक भारत का सवाल है तो भारत में भी 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति से कोई काम या मजदूरी करवाना कानूनी अपराध माना जाता है। भारत में भी 18 साल की उम्र के बाद ही कोई व्यक्ति मतदान कर सकता है, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकता है या किसी अन्य कानूनी समझौते में शामिल हो सकता है। साल 1992 में यूएनसीआरसी (United nations Convention on the rights of the Child) को स्वीकार करने के बाद भारत ने अपने बाल कानून में काफी फेरबदल किया। इसके तहत यह व्यवस्था की गई कि वो व्यक्ति जो 18 वर्ष से कम उम्र का है उसके देखभाल और संरक्षण की अति आवश्यकता है और वह राज्य से ऐसी सुविधा जो बाल संरक्षण के लिए है उसे प्राप्त करने का अधिकारी है।
इसके लिए भारतीय संविधान में सभी बच्चों के लिए कुछ खास अधिकार सुनिश्चित किये गये हैं- अनुच्छेद 21(क), 6 से 14 साल की आयु वाले सभी बच्चों की अनिवार्य और निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करना उनके अधिकार में शामिल है। अनुच्छेद 24--14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जोखिम वाले कार्य करने से सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसा नहीं होने पर कार्य कराने वाला व्यक्ति दोषी होगा। अनुच्छेद 39(घ)- आर्थिक जरूरतों की वजह से जबरन ऐसे कामों में भेजना जो बच्चों की आयु या समता के उपयुक्त नहीं है, इन सब चीजों से छुटकारा है। अनुच्छेद 39(च)- बच्चों को स्वतंत्र और गरिमामय माहौल में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएँ मुहैया कराना और शोषण से बचाना है।
इसके अलावा भारतीय संविधान में बच्चों को वयस्क पुरुष और महिला के बराबर का समान अधिकार भी प्राप्त है। अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 के तहत भेदभाव के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार, अनुच्छेद 46 के तहत जबरन बंधुआ मजदूर और सामाजिक अन्याय जैसे सभी प्रकार के शोषण से पीड़ित या शोषित समाज के व्यक्ति को बचाव का अधिकार आदि शामिल हैं।
बाल अधिकार
1. बाल विवाह निषेध- भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, जिसे 1 नवंबर 2007 से लागू किया गया है।
2. बाल श्रम निषेध- भारत में बच्चों से संबंधित सबसे अधिक वाद-विवाद वाला अधिनियम “बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 है। इस अधिनियम में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बच्चे कहाँ और कैसे काम कर सकते हैं और कहाँ वे काम नहीं कर सकते हैं।
3. शिक्षा का अधिकार- 68वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21-ए को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है जिसके तहत 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
4. बाल तस्करी- यूनिसेफ के अनुसार 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को किसी देश के भीतर या बाहर शोषण के उद्देश्य से भर्ती, परिवहन, स्थानांतरित या आश्रय प्रदान किया जाता है तो यह बाल तस्करी के अपराध के अंतर्गत आता है।
5. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000 भारत में किशोरों के न्याय के लिए प्राथमिक कानूनी ढांचा है। इस अधिनियम को 2006 और 2010 में संशोधित किया गया है। 2015 में जन भावना को देखते हुए भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा इस बिल में संशोधन किया गया और किशोर की अधिकतम उम्र को घटाकर 16 वर्ष कर दिया गया।
किसी शायर ने क्या खूब कहा है-
बच्चे मन के सच्चे, सारे जग की आँख के तारे,
ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवन को लगते प्यारे !!
एम० एस० हुसैन "कैमूरी"
उत्क्रमित मध्य विद्यालय छोटका कटरा
मोहनियां कैमूर बिहार
नोट: आलेख के सारे आँकड़े और विचार लेेेेखक के अपने हैं।
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