अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस-हर्ष नारायण दास - Teachers of Bihar

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Thursday 19 November 2020

अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस-हर्ष नारायण दास

अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस

          बच्चे ही हमारा भविष्य है लेकिन अगर बच्चे अपने अधिकारों से वंचित रह जाएँगे तो एक बेहतर दुनिया का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। हमारी पीढ़ी को ये माँग करनी चाहिये कि सरकार व्यवसाय और समुदायों के नेता अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें और बाल अधिकारों के लिए कार्रवाई करें। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिये कि हर बच्चे को हर अधिकार प्राप्त हो। अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस सबसे पहले 1954 में 20 नवम्बर को मनाया गया था।इस दिन बाल अधिकारों को अपनाया गया था।अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस का उद्देश्य लोगों को बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस की परिकल्पना वी० के० कृष्णमेनन ने दी थी। यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता, बच्चों के प्रति जागरूकता और बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिये मनाया  जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के बच्चों के बीच में पारस्परिक सहयोग और सामंजस्य स्थापित किया जा सके। विश्व के सभी बच्चों के कल्याण के लिए विभिन्न कल्याणकारी कार्यों का संचालन किया जा सके। बच्चों के मानवाधिकारों को बाल अधिकार कहते हैं।
          20 नवम्बर को पूरा विश्व अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस मनाता है और पालकों को बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास करता है।बाल अधिकार दिवस पर बच्चों को संविधान के द्वारा दिये गए बाल अधिकारों को जानें---
शिक्षा- शिक्षा विकास की पहली सीढ़ी है। शिक्षा पाना हर बच्चे का अधिकार है। हर बच्चे को प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त करने का  अधिकार है। देश का हर बच्चा शिक्षा पाने का अधिकारी है। सरकारी स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा के साथ मध्याह्न भोजन, पोशाकऔर पुस्तकें भी प्रदान की जाती है।
स्वास्थ्य- स्वस्थ्य रहने का हर बच्चे को अधिकार है।अगर किसी कारण से उसका स्वास्थ्य खराब होता है। तो उसे तुरन्त उचित उपचार पाने का भी अधिकार है। कई पालक बीमारी में उपचार के बजाय अन्य उपायों जैसे झाड़ फूँक और अंधविश्वासों पर ध्यान देते हैं जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है। उपचार के लिए लड़के- लड़की में किसी भी प्रकार का भेद करना भी गलत है।सभी को समयपर उपचार पाने का अधिकार है।
प्रोत्साहन- बच्चों के विकास में सीखना बहुत अहम है।करके सीखने के प्रक्रिया में कई बार उनसे गलती हो जाती है जो कि स्वाभाविक है। ऐसे में प्रायः माता-पिता उन्हें सजा देते हैं जो कि गलत है। बच्चों से गलती अनजाने में होती है। उन्हें आगे गलती न करने और कार्य बेहतर तरीके से करने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए।सुरक्षा- मारना या हिंसा करना भी बच्चों के अधिकार के खिलाफ है। हर बच्चोंको सुरक्षा पाने का अधिकार है।उसके साथ किसी प्रकार हिंसा न हो। कोई उसका यौन शोषण न करें। बच्चे का अधिकार है कि वह स्वस्थ सामाजिक वातावरण में विकास करे। साथ ही घर का वातावरण सुरक्षित और खुशनुमा हो, यह भी पालकों की जिम्मेदारी है।
खेल- बच्चों को मैदान या खुली जगह में खेलने का अधिकार है। हमारा कर्तव्य है कि बच्चों को खेल का स्थान और समय उपलब्ध कराएँ। इसमें भी लड़के और लड़कियों  दोनों को खेलने के समान अवसर देने चाहिए।
भोजन- भरपेट भोजन पाना हर बच्चे का अधिकार है।लड़के-लड़की को एक समान भोजन मिले। हमारी जिम्मेदारी है कि बच्चे भूखे न रहे। साथ ही उन्हें ऐसा पोषक भोजन मिले जिससे उनका सम्पूर्ण विकास हो सके।
विचार रखना- हर बच्चे को अपने विचारों को सबके सामने रखने का या अपनी बात कहने का अधिकार है।हमारा दायित्व है कि बच्चों की बातें ध्यान से सुने और उनपर विचार भी करें। घर का माहौल ऐसा हो कि बच्चा  बेझिझक मनकी बात कह सके।
विशेष सुरक्षा- निःशक्त या दिव्यांग बच्चों को पूर्ण सुरक्षा पाने का अधिकार है। उन्हें आयोजनों, समारोहों में उपेक्षित नहीं किया जाना  चाहिए।
          हमारी जिम्मेदारी है कि हम बाल अधिकारों को जाने और अधिक से अधिक पालकों को इस विषय में जागरूक करें। तभी बाल अधिकार दिवस मनाना सार्थक होगा। आइये अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस पर हम प्रण करें कि हम बाल अधिकारों का सम्मान करें।

हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा
फारबिसगंज (अररिया)

नोट- उपरोक्त विचार लेखक के स्वयं के हैं।

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