मुस्कान की बीमारी-मनु कुमारी - Teachers of Bihar

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Friday 28 May 2021

मुस्कान की बीमारी-मनु कुमारी


मुस्कान की बीमारी

          यह बात उन दिनों की है जब मेरी नयी- नयी बहाली हुई थी। प्रखण्ड शिक्षिका के रूप में। अभी दो महीने हीं हुए होंगे। हर रोज की तरह मैं गुरूवार को  कक्षा 7 में हिंदी पढा रही थी । तभी सभी बच्चों के बीच में मेरी नजर उस लड़की की ढूंढ रही थी जो पढाई में अच्छी थी, जिज्ञासु थी और मिलनसार प्रकृति की थी । वह दो दिनों से विद्यालय नहीं आ रही थी । मैं पढा रही थी लेकिन कहीं ना कहीं मुझे उसकी कमी महसूस हो रही थी । मैंने उसके बारे में उसके घर के काफी निकट रहने वाली बच्चियों से पूछा तो उसने कहा " मैडम मुस्कान को बीमारी हो गया है।  "व्हार  बेमारी हय गेलकी, नी ओस्तोक मैडम!  हे भगवान! ये क्या हो गया ? दो दिन पहले तो वह बिल्कुल ठीक थी आज उसे अचानक कौन सा बीमारी हो गया। "  बीमारी " शब्द सुनने पर अधिकांश मतलब कोई बड़ी  बीमारी होती है । मैं उसे लेकर चिंतित हो गयी । चुंकि उस समय मैंने नया-नया योगदान हीं लिया था 2008 में। मैं ठीक से नहीं जानती थी कि उसका घर कहाँ है। हलांकि विद्यालय से कुछ हीं दूरी पर "मुस्कान" का घर था ।  मैंने निश्चय किया कि मैं प्रधानाध्यापक से अनुमति लेकर उससे मिलने जाऊंगी । मध्यावकाश में मैं एक-दो बच्चियों के साथ उसके घर गयी ।  उसके घर में परिवार के सभी लोग थे । उसके पिता ने कहा! "मेडमे बोठवा कुर्सी दे । फिर तुरंत उसकी माँ कुर्सी दी । मैंने कहा! "छोड़िये ना चाची! "हम तो बस मुस्कान से मिलने आये हैं। एक बार उससे मिला दीजिये मन को सुकून मिल जाएगा। क्या हुआ है उसे ?  उन्होंने धीरे से कहा! "पेट में बेमारी हय गेलकी मैडम! घोरे छैक । "बहुत ला कानै छिलकी । मैंने कहा "बुलाइये ना ? लड़की लोग बुलाने अंदर गयी । "नी ओसतोक मैडम ! वह नहीं आ रही थी । उसकी भाभी भी बगल में थी । उसकी भाभी से मैंने पूछा! कौन सी बिमारी है इसे ? आपलोग बिमारी, बिमारी कह रहे हैं, नाम तो बताईये? गाँव की औरतें पढी- लिखी भले हीं ना हो लेकिन अंग्रेज़ी शब्द का व्यवहार जरूर करती है । उसकी भाभी ने कहा! "मैडम येम सी हो गया है"। इतना दर्द हुआ कि मुंह सूख गया चलिये दिखाते हैं । खाना - पीना भी नहीं  खा रही ।  फिर जैसे मैं अन्दर गयी तो देखी वह दर्द से बेहोश जैसे पडी है उसके बाल सब बिखरे जैसे।  पसीने से भींगा बदन । मुझे देखकर, वह प्रणाम मैडम कहते हुए उठने की कोशिश की । मैंने कहा ! क्या हुआ मुस्कान? मैडम बिमारी हो गया। लगता था जान निकल जाएगा दर्द से । दवा ली कोई? नहीं मैडम गरम पानी से सेंक ली हूँ थोड़ा राहत है लेकिन अन्दर हीं अदर तीव्र दर्द है और कमजोरी भी । मैंने कहा चिंता मत करो । घबराने की कोई बात नहीं ये सब बातें सामान्य है । ठीक हो जाएगा । इत्तेफाक से मेरे पर्स में दर्द निवारक गोली मेफटल स्पाॅस 250 mg  था मैंने उसे आधा गोली दे दी पानी के साथ और कहा अभी पांच मिनट में आराम होगा।  उधर से एक महिला बोली हमलोग गोली नहीं देते हैं नोकसान करेगा तब ? हम लोग तो दरद को सहे हैं कभी दवा दारू नही किये । पहले जमाने की बात कुछ और थी ।  असहनीय दर्द होने पर दवा लेनी चाहिए ये बात मैंने उनलोगों से कही। यह कोई बीमारी नहीं है । माहवारी होना लडकियों एवं उसके पूरे परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है। यह किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव हैं। शारीरिक और मानसिक बदलाव लड़के-लड़कियों में होते हैं। लड़कों का आवाज भारी होता है, दाढ़ी, मूंछे आना शुरू हो जाता है। और लडकियों में मासिक धर्म का आना, स्तनों का बढना, मानसिक परिपक्वता का विकास होता है। यह उत्तम स्वास्थ्य, सम्मान एवं भविष्य में एक स्वस्थ माँ बनने का संकेत है। यह कोई अभिशाप नहीं, कोई अपवित्र चीज नहीं बल्कि ईश्वर प्रदत्त दिया संपूर्ण नारीत्व होने की पहचान है । इससे लड़कियों का, नारियों का मान, सम्मान, एवं गरिमा में निखार आता है। मैं जब इन बातों को बता रही थी बहुत सारी महिलायें हमको घेर ली । मैंने पूछा - आपलोग इस्तेमाल किये गए कपड़ों को कहाँ फेकते हैं। उनलोगों ने कहा बारी झारी के एक कोना में छुपाकर फेंकते हैं। आप इसे गढ्ढे में खोदकर भी डाल सकते हैं तब कीटाणु नहीं फैलेगा। मैडम थोड़ा और जानकारी दीजिये दूसरी महिला बगल से बोली। मैंने कहा अगर बहुत ज्यादा दर्द हो, ज्यादा रक्तस्राव हो, एक सप्ताह से ज्यादा तो तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए l सभी ने धन्यवाद कहा। मुस्कान का दर्द ठीक हो गया वह उठकर बैठ गयी और बाल संवारने लगी । बहुत खुश हुई हमें देखकर। धन्यवाद भी दी । मैंने कहा! "ये तो मेरा फर्ज था । उसने कहा! "क्या मैं कल विद्यालय आ सकती हूँ। मैंने कहा! "क्यूँ नहीं ? तुम पढ सकती हो, खेल सकती हो, थोड़ा व्यायाम भी कर सकती हो । तबीयत के हिसाब से । खूब खुश रहो । मैडम यखुदी  हमसार घर बेरूवा  चल । मैंने कहा- फिर कभी। मैं विद्यालय जा रही हूँ पढाई शुरू होगी । इतना कहकर मैं निकल गयी । आज फिर जब किसी बच्ची के मुँह से "बीमारी " माहवारी के संदर्भ में सुनती हूँ तो हंसी आ जाती है और मैं पुनः उसे समझा देती हूँ। क्योंकि जागरूकता किसी अच्छे कार्य के लिए सिर्फ एक बार कह देने से नहीं होगा। बार-बार के प्रयास से हमें शत-प्रतिशत उपलब्धि निश्चय हीं प्राप्त होगी। 


स्वरचित :-
मनु कुमारी
प्रखण्ड शिक्षिका 
मध्य विद्यालय सुरीगाँव
बायसी, पूर्णियाँ, बिहार 

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