योग प्राणायाम और हमारा स्वास्थ्य-भवानंद सिंह - Teachers of Bihar

Recent

Sunday 20 June 2021

योग प्राणायाम और हमारा स्वास्थ्य-भवानंद सिंह

योग प्राणायाम और हमारा स्वास्थ्य
            
          योग और प्राणायाम शब्द पर अगर विचार किया जाय तो पता चलता है कि योग संस्कृत भाषा के योग: अर्थात् युज शब्द से बना है। योग और प्राणायाम एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। योग का शाब्दिक अर्थ जुड़ना अथवा जोड़ना होता है। योग शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने का काम करता है। बहुत से धर्म अथवा पंथ में इसे साधना और ध्यान से जोड़कर देखा जाता है। वहीं हम अगर प्राणायाम की बात करें तो इसका निम्न अर्थ निकलता है। आइए पहले हम इसका संधिविच्छेद करते हैं - प्राण+आयाम=प्राणायाम। यहाँ प्राण का अर्थ श्वांस से है और आयाम का अर्थ विस्तार। इस प्रकार देखा जाय तो प्राणायाम का अर्थ श्वांस का विस्तार करना है। अर्थात हम कह सकते हैं कि प्राणायाम के माध्यम से सकारात्मक ऊर्जा को शरीर के नाड़ियों में पहुँचाती है। जिससे व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करते हैं । 
          योग और प्राणायाम की उत्पत्ति के संबंध में यह माना जाता है कि जब से यहाँ सभ्यता संस्कृति का विकास हुआ है तब से इस धरातल पर योग एवं प्राणायाम भी किया जा रहा है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि सभ्यता संस्कृति के विकास के साथ-साथ योग का भी विकास हुआ। योग विधा में आदि गुरु शिव को पहले योगी कहा गया है। शिव को विभिन्न योग मुद्राओं में भी दिखाया गया है। इससे ऐसा लगता है कि शिव ही आदि योग गुरु हैं।
          यूँ तो लोग प्राचीन काल से ही योग और प्राणायाम करते आ रहे हैं। अगस्त्य नाम के महाऋषि ने योग को पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैलाया। योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में ही हुआ। भारत होते हुए योग अन्य देशों में फैला और लोकप्रिय हुआ। अनेक वैदिक ऋषि मुनियों से भी योग का प्रारंभ माना जाता है। इस काल में कृष्ण, धनवन्तरी, महावीर, बुद्ध आदि ने अपनी-अपनी तरह से इसका विस्तार किया । महाऋषि पतंजलि ने योग को व्यवस्थित रूप दिया और उसी का फार्मूला अभी तक चल रहा है। इसे जन-जन तक पहुँचाने का काम बाबा रामदेव के द्वारा किया गया। आज लाखों लोगों ने इसे अपनाया और निरोगी जीवन पाया। 
          शारीरिक स्फूर्ति और मानसिक मजबूती के लिए मनुष्य को योग और प्राणायाम करना बहुत जरुरी है। साधारणतः योग और प्राणायाम को एक ही अर्थ में लिया जाता है,जबकि दोनों में कुछ भिन्नताएँ हैं । जहाँ योग शारीरिक मजबूती जैसे - मांसपेशियों को मजबूत करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढा़ने, शारीरिक रूप से सुन्दर तथा स्वस्थ्य रहने के लिए किया जाता है। वहीं अगर हम प्राणायाम की बात करें तोयह श्वांस संबंधी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। श्वांस के द्वारा शरीर के अंदर विशुद्ध वायु का संचार होता है और लाल रक्तकण में ऑक्सीजन की अच्छी मात्रा को बनाकर रखता है । प्राणायाम के द्वारा शुद्ध वायु ग्रहण करने से हमारे शरीर की मृत कोशिकाएँ भी जागृत होने लगती है।इससे व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे रोग मुक्त होने लगता है। इससे शरीर का आंतरिक अंग काफी मजबूत हो जाता है तथा शारीरिक ऊर्जा का स्तर काफी अच्छी हो जाती है। जिससे व्यक्ति स्वस्थ एवं निरोगी जीवन जीते हैं।
                 शरीर के अंदर मुख्य रूप से वात, पित्त एवं कफ दोष के कारण ही बीमारी उत्पन्न होती है। शरीर में वायु एवं आकाशीय ऊर्जा के बिगड़ने से वायु संबंधी विकार जन्म लेता है।जल तथा अग्नि चक्र के बिगड़ने से पित्त दोष तथा पृथ्वी और जल संतुलन के बिगड़ने से कफ संबंधी विकार उत्पन्न होता है।भलाई इसी में है कि समय रहते इन विकारों की पहचान करें और समाधान हेतु अग्रसर रहें । इन तीनों दोषों के संतुलन को बनाए रखने के लिए योग एवं प्राणायाम करना जरुरी है।नियमित रूप से योग तथा प्राणायाम किया जाय तो शरीर के अंदर होने वाले वात, पित्त एवं कफ को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है।जिससे व्यक्ति रोग मुक्त जीवन जी सकते हैं।
            योग तथा प्राणायाम हमें प्रकृति से जोड़ने का काम करती है।प्रकृति हमें अनेक नैसर्गिक वस्तुएं प्रदान की है। जैसे-पृथ्वी, जल, नदियाँ, पहाड़, सूर्य का प्रकाश आदि।इन सब चीजों के लिए प्रकृति कोई मूल्य नहीं लेता है।ठीक उसी तरह योग भी प्रकृति के द्वारा दिया गया मुफ्त का उपहार है। जिससे नियम पूर्वक अपना कर निरोगी जीवन जी सकते हैं।योग और प्राणायाम को प्राकृतिक वातावरण में किया जाना चाहिए।योग और प्राणायाम करने का सही समय पहली सुबह यानि ब्रह्म मुहूर्त होता है।इस समय प्राकृतिक वातावरण बिल्कुल शांत रहता है और योग करने वाले व्यक्ति का ध्यान एकाग्रचित्त होकर एक जगह केन्द्रित रहता है।बिना किसी कोलाहल के योग करने से अधिक-से-अधिक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।योगी स्वस्थ जीवन जी पाते हैं।
           योग एवं प्राणायाम करते समय कुछ सावधानी बरतना भी आवश्यक है। कुछ योग और आसन ऐसे हैं जिसे गर्भवती महिलाएँ तथा गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को दक्ष प्रशिक्षक अथवा निपुण योग गुरु की निगरानी में उनसे सलाह करके योग करना चाहिए। जिससे किसी प्रकार की हानि न हो और वह सुखमय जीवन व्यतीत कर सके। 
          चुनौती पूर्ण बीमारियों से लड़ने के लिए भारतीय योग संस्थान तथा हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अथक प्रयास से योग को अधिकांश देशों ने अपनाया। उसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून 2015 को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस धोषित किया। तब से अब तक 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। यह दिवस अन्तर्राष्ट्रीय त्योहार जैसे माहौल में मनाया जाता है। अनेक देशों ने योग के प्रचार प्रसार के लिए अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कई देशों के बजट में भी इसके लिए प्रावधान किए गए हैं। इसलिए कहा जाता है कि "करो योग रहो निरोग"। बहुत से सरकारी विद्यालय में भी योग को रुटीन में शामिल किया गया है और बच्चे इससे लाभान्वित हो रहे हैं।
          इस प्रकार हम निष्कर्ष के तौर पर कह सकते हैं कि अगर दक्ष एवं प्रशिक्षित योग गुरु से योग सीखकर योग किया जाय तो स्वास्थ्य संबंधी अनेक फायदे संभव है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ ही नहीं अपितु व्यक्ति के व्यक्तित्व में भी निखार आ जाता है। बहुत ऐसे उदाहरण देखे गए हैं कि योग को अपनाने से असाध्य रोगों से भी लोगों को छुटकारा मिला है।योग का एक खास विशेषता है कि यह हर उम्र के लोग कर सकते हैं। योग के अनेक विशेषताओं के कारण ही इसे अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में 21 जून को मनाने का निर्णय लिया गया।

करो योग रहो निरोग


भवानंद सिंह
उ. मा. वि. मधुलता
रानीगंज अररिया

1 comment:

  1. धन्यवाद सर, आप के द्वारा दी गई जानकारी, बहुत ही लाभकारी है।
    स्वास्थ्य सुरक्षा - Health Tips

    ReplyDelete