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Sunday 20 June 2021

हमारे जीवन में योग की भूमिका-राकेश कुमार

हमारे जीवन में योग की भूमिका

          अक्सर या प्रायः हम देखते हैं या अगर दूसरे शब्दों में कहें तो आगे बढ़ने को प्रगति का मार्ग कहते हैं और ये सच भी है। विज्ञान (वैज्ञानिक) नित्य नये-नये संसाधन आविष्कार कर हमारे जीवन शैली को सुविधा सम्पन्न बना दिया है। हम सभी ऐसा देख रहे हैं कि विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के दिन-रात के मेहनत से आज हमारे सामने हर चीज का विकल्प उपलब्ध है और हम कह सकते हैं कि हम तकनीकी युग के वासी हैं।लेकिन यहाँ पर एक अहम प्रश्न यह है कि आगे बढ़ने के क्रम में क्या हम पीछे के चीजों को छोड़ते जाएं? शायद आपका भी जबाब होगा नहीं। जी हाँ नियम भी यही कहता है कि हम आगे जरूर बढ़े लेकिन पीछे के चीजों को साथ लेकर बढ़े अर्थात संतुलन बनाकर चलें। संतुलन हमारे जीवन का एक ऐसा शब्द है जो हमारे जीवन को सार्थक एवं सकारात्मक ऊर्जा से लबरेज करता है। हम कितना भी तकनीक से लैस हो जाएं लेकिन प्रकृति का विकल्प शायद मुश्किल होगा और प्रकृति की गोद एवं सानिध्य की सदैव आवश्यकता होगी और इस धरोहर को संजोना अगर सीधे शब्दों में कहे तो जीवन बचाने के लिए जरूरी होगा। आज हम सभी वैश्विक महामारी कोविड-19 से ख़ौफ़ज़दा हैं। इस बीमारी नें समूची दुनिया को इस कदर भयभीत कर रखा है कि इससे बाहर निकलने में हमें कई वर्ष लग जाएंगे। इसने हमारी आधुनिक एवं विकसित जीवनशैली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया कि क्या हम सही जा रहे हैं? विगत दो वर्षों से हम सभी कोई भी गतिविधि करें चाहे वह व्यवहारिक हो या सैद्धांतिक लेकिन कोरोना की उपस्थिति अनिवार्य हो गई या कहें (व्यंग्यात्मक रूप में) उसके अनुमति के बिना कार्य करना हमारे लिए असंभव है। मैं यहां पर एक और बात का जिक्र करना चाहूंगा। प्रकृति की एक खूबसूरत विशेषता यह भी है कि उसे जुड़े अगर कोई तथ्य को अगर हम चर्चा के लिये चुनते हैं तो उससे जुड़ी हर तथ्य की चर्चा स्वतः हो जाती है। 
          मेरा आज का ये ब्लॉग प्रकृति से जुड़े जो वर्षों पहले हमारे पूर्वजों नेँ विरासत के रूप में एवं आज हमारे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण अंग का पर्याय बन चुका योग की चर्चा करने जा रहा हूं। इस तथ्य से हम सभी अवगत हैं कि कोरोना महामारी के दौरान जब हमारे इससे बचाव हेतु कोई सटीक औषधि उपलब्ध नहीं थी, न वैक्सीन तब भारतीय संस्कृति की विरासत योग एक संजीवनी के रूप में सबसे कारगर उपाय के रूप में हमारे सामने था जिसे भारत हीं नहीं पूरी दुनिया ने अपनाया और आज सभी यह मान रहे हैं कि योग केवल शारीरिक रूप से हीं नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है जो कोरोना से लड़ने हेतु सबसे आवश्यक थी। हम सभी जानते हैं कि योग चिकित्सा विज्ञान एवं प्रकृति का संतुलन बनाकर आगे बढ़ता है। योग की विशेषता यह है कि यह व्यक्ति की समस्याओं का समग्र रूप से स्वयं समाधान करता है। योग के सन्दर्भ में कहा जाता है कि इसकी सार्वदेशिक मान्यता का कारण यह है कि इस धरती के किसी भी कोने में कोई अन्य विज्ञान नहीं है जो योग के गुण, मूल, विषय, क्रमबद्ध प्रक्रिया और इसकी देनों से समता कर सके । योग भारत का प्राकृतिक विज्ञान है, जिसका उपयुक्त शिक्षण विश्व के किसी भी भाग में रहने वाले व्यक्ति को गौरव प्रदान कर सकता है। योग कितना महत्वपूर्ण है इसके संदर्भ में मैं यहाँ पर स्वामी विवेकानंद द्वारा कही बात को लिख रहा हूँ इन्होंने योग को महाविज्ञान कहा है। स्वामी विवेकानंद जी की कही बातों से इसकी महत्ता स्वतः स्पष्ट हो जाती है। योग के आठ चरण मानें जाते हैं- 1.यम  2.नियम  3.आसन 4.प्राणायाम 5.प्रत्याहार 6.धारणा 7. ध्यान 8. समाधि।
ये सभी नियम शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण है। जो हमें सन्तुलित जीवन हेतु प्रेरित करती है। योग एक ऐसा विषय है जिसकी चर्चा शब्दों की संख्या में समेटा नहीं जा सकता। मैं यहाँ पर इन शब्दों का प्रयोग इसलिए किया कि यह आलेख शिक्षक लिखित है तो बच्चों के सन्दर्भ में इसकी महत्ता की चर्चा जरूरी हो जाती है। 
          छात्र-जीवन में योग का जो विलक्षण लाभ होता है वह है छात्रों के मस्तिष्क पर इसका प्रभाव। योग मानसिक शक्ति विकसित करता है और इसके साथ ही मन की एकाग्रता बढ़ाने में भी सहायक होता है। योग के अभ्यास से ये लाभ अभ्यासी को अपने-आप होते रहता है। ऐसा इसलिए होता है कि योग के आसनों या अन्य क्रियाओं का अभ्यास करते समय अपने मन को उनके करने की विधि पर लगाना पड़ता है। मन नहीं लगाने पर क्रियाओं के करने में भूल होने की संभावना रहती है। इस तरह से योग एकाग्रता बढ़ाने में सहायक होता है। योगाभ्यास  का एक उपयोगी पक्ष है कि यह व्यक्ति के जीवन को अनुशासित करता है। उसे अपनी शक्ति का पहचान हो जाता है और उसमें  साहस, निर्भयता तथा स्वावलंबन आदि आ जाते हैं। इन गुणों के कारण छात्रों को आनेवाले दिनों के लिए अपनी तैयारी में बल मिलता है। 
          तो चलिए हम सभी अंतराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संकल्पित होते हैं कि प्रकृति के नियमों की अनदेखी नहीं करेंगे एवं योग को अपनाकर हम भी स्वस्थ होंगें एवं समाज को भी इसके प्रति प्रेरित कर एक स्वस्थ बिहार एक स्वस्थ भारत के निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। योग के साथ रहें, घर में रहें।


राकेश कुमार
मध्य विद्यालय बलुआ
मनेर (पटना)

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