योग साधना की मौलिक बाते-मनोज कुमार दुबे - Teachers of Bihar

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Sunday 20 June 2021

योग साधना की मौलिक बाते-मनोज कुमार दुबे

योग साधना की मौलिक बाते

          योग हमारे शरीर, मन, भावना एवं ऊर्जा के स्‍तर पर काम करता है। इसकी वजह से मोटे तौर पर योग को चार भागों में बांटा गया है- कर्मयोग, जहां हम अपने शरीर का उपयोग करते हैं; भक्तियोग- जहां हम अपनी भावनाओं का उपयोग करते हैं; ज्ञानयोग- जहां हम मन एवं बुद्धि का प्रयोग करते हैं और क्रियायोग- जहां हम अपनी ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
          हम योग साधना की जिस किसी पद्धति का उपयोग करें, वे इन श्रेणियों में से किसी एक श्रेणी या अधिक श्रेणियों के तहत आती हैं। हर व्‍यक्ति इन चार कारकों का एक अनोखा संयोग होता है। ''योग पर सभी प्राचीन टीकाओं में इस बात पर जोर दिया गया है कि किसी गुरू के मार्गदर्शन में काम करना आवश्‍यक है।'' इसका कारण यह है कि गुरू चार मौलिक मार्गों का उपयुक्‍त संयोजन तैयार कर सकता है जो हर साधक के लिए आवश्‍यक होता है। 
योग शिक्षा- परंपरागत रूप से, परिवारों में ज्ञानी, अनुभवी एवं बुद्धिमान व्‍यक्तियों द्वारा (पश्चिम में कंवेंट में प्रदान की जानी वाली शिक्षा से इसकी तुलना की जा सकती है) और फिर आश्रमों में (जिसकी तुलना मठों से की जा सकती है) ऋषियों / मुनियों / आचार्यों द्वारा योग की शिक्षा प्रदान की जाती थी। दूसरी ओर योग की शिक्षा का उद्देश्‍य व्‍यक्ति, अस्तित्‍व का ध्‍यान रखना है। ऐसा माना जाता है कि अच्‍छा, संतुलित, एकीकृत, सच पर चलने वाला, स्‍वच्‍छ, पारदर्शी व्‍यक्ति अपने लिए, परिवार, समाज, राष्‍ट्र, प्रकृति और पूरी मानवता के लिए अधिक उपयोगी होगा। योग की शिक्षा स्‍व की शिक्षा है। विभिन्‍न जीवंत परंपराओं तथा पाठों एवं विधियों में स्‍व के साथ काम करने के व्‍यौरों को रेखांकित किया गया है जो इस महत्‍वपूर्ण क्षेत्र में योगदान कर रहे हैं जिसे योग के नाम से जाना जाता है।
          आजकल योग की शिक्षा अनेक मशहूर योग संस्‍थाओं, योग विश्‍वविद्यालयों, योग कालेजों, विश्‍वविद्यालयों के योग विभागों, प्राकृतिक चिकित्‍सा कालेजों तथा निजी न्‍यासों एवं समितियों द्वारा प्रदान की जा रही है। अस्‍पतालों, औषधालयों, चिकित्‍सा संस्‍थाओं तथा रोगहर स्‍थापनाओं में अनेक योग क्‍लीनिक, योग थेरेपी और योग प्रशिक्षण केंद्र, योग की निवारक स्‍वास्‍थ्‍य देख-रेख यूनिटें, योग अनुसंधान केंद्र आदि स्‍थापित किए गए हैं।
          योग की धरती भारत में विभिन्‍न सामाजिक रीति-रिवाज एवं अनुष्‍ठान पारिस्थितिकी संतुलन, दूसरों की चिंतन पद्धति के लिए सहिष्‍णुता तथा सभी प्राणियों के लिए सहानुभूति के लिए प्रेम प्रदर्शित करते हैं। सभी प्रकार की योग साधना को सार्थक जीवन एवं जीवन-यापन के लिए रामबाण माना जाता है। व्‍यापक स्‍वास्‍थ्‍य, सामाजिक एवं व्‍यक्तिगत दोनों के लिए इसका प्रबोधन सभी धर्मों, नस्‍लों एवं राष्‍ट्रीयताओं के लोगों के लिए इसके अभ्‍यास को उपयोगी बनाता है। योग चिरायु प्रदान करता है। योग मन मस्तिष्क को ऊर्जा से भर देता है। योग ने मनुष्य को अच्छा सोचने बोलने और कर्म करने के लिए सुगम मार्ग तैयार किया है। इसलिए 21 जून ही नहीं जीवन का प्रत्येक दिन योग दिवस के रूप में आत्मसात करने की आवश्यकता है।


मनोज कुमार दुबे 
रा. उ. उ. मा. विद्यालय भादा खुर्द बरवा डुमरी
लकड़ी नबीगंज सिवान

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