कहाँ जाए हमारे बिहार बोर्ड के बच्चे?-अमृता चंद्रा - Teachers of Bihar

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Wednesday 4 August 2021

कहाँ जाए हमारे बिहार बोर्ड के बच्चे?-अमृता चंद्रा

कहाँ जाए हमारे बिहार बोर्ड के बच्चे


          एक ही स्कूल के 17 बच्चे टॉप किये पटना में। सभी स्कूलों का एक ही हाल। सभी स्कूल में मैक्सिमम बच्चे 91% मार्क्स  लाये। क्या इसी साल सभी मेधावी बच्चे ही हैं ! पटना के एक नामी गिरामी विद्यालय में सभी 17 बच्चे इतने होनहार निकले की सभी का मार्क्स 500 में 499 आया। केंद्रीय विद्यालयों में मैक्सिमम बच्चो के मार्क्स  91% से ऊपर जबकि हर साल इसका रिजल्ट सामान्य होता था। करीब करीब सभी स्कूल का वही हाल। कितनों का उदाहरण दिया जाए। तो क्या यह समझा जाये कि सभी ने बहती गंगा में हाथ धो लिया। न न हाथ नहीं धोया पूरा डुबकी ही लगा दिया।
          आज कल सभी जगहों पर एडमिशन मार्क्स बेसिस पर या किसी भी जॉब में अपॉइंटमेंट में मेधा अंक निकाला जाता है। उस परिथिति में ये सारे बच्चे आगे हो जाएंगे। क्या बिहार बोर्ड के बच्चे इन सभी बच्चो के मार्क्स के सामने टिक पाएंगे?सोचनीय! 
          CBSE बोर्ड द्वारा कुछ स्कूल का नाम अनाउंस हुआ था जिसमें कहा गया था कि लिस्टेड स्कूल मनमाने ढंग से रिजल्ट बनाये हैं। उन्हें सुधारा जाए पर कहीं कुछ सुधरा हुआ प्रतीत नही होता है। ये किस तरह का मूल्यांकन? क्या इस तरह से हम अपने बच्चों के टैलेंट को सही रूप में जान पाएंगे या एक भरम की स्थिति रहेगी ? क्या इस तरह के रिजल्ट से हमारे वे बच्चे (बिहार बोर्ड) जो कड़ी परीक्षा प्रणाली में एग्जाम देकर पास हुए वे कहां तक टिक पाएंगे। अर्थात वे बच्चे जो किसी प्रतियोगिता में आगे निकल पाएंगे जिसका आधार मार्क्स बेसिस पर होगा? क्या इस तरह के रिजल्ट से किसी एक समुदाय के बच्चों के साथ नाइंसाफी नही हो रही? 
          हमारे बिहार बोर्ड के बच्चे जो करोना काल मे भी कड़ी परीक्षा प्रणाली में एग्जाम दिये और पास किये वे सारे एक गरीब तबके से आते हैं। जिनके माता-पिता के आँखों में एक सपना रहता है कि उनके बच्चे आगे चलकर कुछ करेंगे। उनके पास इतना संसाधन नंही होता कि वे अपने बच्चों को ट्यूशन या कोचिंग में पढ़ा सके। वे खुद से मेहनत कर पढाई किये और एग्जाम दिये। वे बच्चे इस CBSE बोर्ड के बच्चों के मार्क्स के सामने टिक ही नही पाएंगे।
          क्या इस तरह के रिजल्ट को देखकर हमें अपनी एडमिशन प्रकिया और चयन प्रक्रिया में सुधार नहीं करनी चाहिए जिसका आधार मार्क्स हो। इस तरह से उन बच्चों का ही नुकसान नहीं बल्कि समाज का भी नुकसान होगा। हमारे सामने वैसे कर्मचारी होंगे जिनको मार्क्स के आधार पर तो चुन लिया गया है पर टेलेंट कुछ भी नहीं।
सोचिए जरा!


अमृता चंद्रा 
उत्क्रमित उच्चतर माद्यमिक विद्यालय मौजीपुर फतुहा पटना

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर,जमीनी हकीकत बयां करता आलेख है।

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    1. बहुत बढ़िया,
      आपने बिहार बोर्ड के बच्चों के लिए काफी कुछ लिखा है। लेकिन सरकार की नजर पड़े,और कुछ अमल किया जाय तब तो?
      हमारे यहां बस अंग्रेज़ी भाषा की बोल-बाला रहती हैं। गरीब के बच्चों की ओर किसका ध्यान होता है।

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  2. जमीनी हकीकत
    मै भी उसी तरह से पीड़ित बच्चे का पिता हूं।

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  3. बहुत अच्छा है । लेकिन हम आप चिल्लाते ही रह जाएंगे,सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगेगी।

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  4. एक बात मै ए सुनी थी की बिहार की माटी को श्राप मिला ही की जब तक यहाँ के बच्चे बाहर नही जाएंगे, कुछ बनेंगे नही। क्या ये सत्य है, अमृता जी।

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