Saturday 7 August 2021
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स्तनपान एवं पोषण-बीनू मिश्रा
स्तनपान एवं पोषण
प्रत्येक वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इसका उद्देश्य स्तनपान को प्रोत्साहन देना तथा समर्थन देना है। पहला विश्व स्तनपान सप्ताह 1992 में बनाया गया था।
शिशु जन्म के पश्चात स्तनपान एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। मां के द्वारा अपने शिशु को अपने स्तनों से आने वाला प्राकृतिक दूध पिलाने की क्रिया को स्तनपान कहते हैं। हमारे देश में सभी माताएं अपने शिशु को स्तनपान कराती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण से दस्त हो सकता है। प्रथम दूध कोलोस्ट्रम यानी वह गाढ़ा पीला दूध जो शिशु जन्म से लेकर कुछ दिनों में उत्पन्न होता है उसमें विटामिन एंटीबॉडी अन्य पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं। स्तनपान शिशु के लिए संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती। मां के दूध से यह शक्ति शिशु को प्राप्त होती है। स्तनपान से शिशुओं और माताओं को अनेक लाभ होते हैं।
शिशुओं की पौष्टिकता, सेहत, शारीरिक तथा मानसिक वृद्धि भावनात्मक और सामाजिक विकास के लिए स्तनपान एक निवेश का काम करता है। यह जीवन भर शिशुओं के व्यक्तित्व के समग्र विकास का काम करता है। जीवन के पहले 6 महीने में मां का दूध शिशु को वे सभी पोषक तत्व उप्लब्ध कराता है जो उसके अधिकतम विकास और वृद्धि के लिए जरूरी होते हैं। इसलिए शिशुओं को पहले 6 महीने के दौरान केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। पोषण के अलावा स्तनपान का सबसे मूल्यवान योगदान यह है कि इससे मां और बच्चे के बीच स्थाई सकारात्मक संबंध विकसित होते हैं। इससे शिशु का भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक विकास उसके मस्तिष्क वृद्धि पर सीधे ही प्रत्यक्ष प्रभाव डालने में सहायक होता है। स्तनपान से शिशु मृत्यु दर की संभावनाएं कम हो जाती है। कई संक्रमित बीमारियों से शिशु स्वत: सुरक्षित रहता है। अपर्याप्त स्तनपान कई बीमारियों, संक्रमण को आमंत्रित करता है। दूसरी तरफ जिन शिशुओं को उनके जीवन के प्रथम 6 माह के दौरान स्तनपान कराया जाता है उन्हें उन बच्चों के मुकाबले मधुमेह हाइपरटेंशन जैसी गैर संक्रमणीय बीमारियां होने का खतरा काफी कम रहता है जिन्हें स्तनपान नहीं कराया गया या अपर्याप्त स्तनपान कराया गया। पर्याप्त स्तनपान का लाभ बच्चों को बड़े होने के बाद भी यानी प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था के दौरान भी मिलता है। मां के दूध में कई प्राकृतिक रसायन मौजूद होते हैं जिससे शिशु की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
स्तनपान से माताओं को भी काफी लाभ होता है। जब मां अपने शिशु को स्तनपान कराती है तो उसका शरीर लगभग 450 से 500 कैलोरी खर्च करता है। इससे प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में मदद मिलती है। स्तनपान ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करता है। स्तनपान मां और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ते को मजबूत करता है।
Breastfeeding is best for our child
बीनू मिश्रा
भागलपुर बिहार
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