मेरी किताब-मो. जाहिद हुसैन - Teachers of Bihar

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Thursday 7 October 2021

मेरी किताब-मो. जाहिद हुसैन

मेरी किताब

          किताब ज्ञान सागर है। अध्ययन से अपने अंतर्मन से ब्रह्मांड के रत्ती-रत्ती भर का दर्शन निःसंदेह संभव है। आधुनिक युग के ई-बुक (e-book) की दुनिया में भी किताबों की अपनी अहमियत है। एकांत में यदि आप प्रकृति की गोद में न हों तो यह आनंद की घाटियों में निश्चित रूप से ले जाएगी। यह जिजीविषा को तृप्त करती है। यह प्रत्येक प्रश्न का उत्तर है। प्रत्येक किताब एक मिसाल है और उसे जीवन में ओढ़ना, बिछौना बनाना तपस्या है। 
          किताब जब लिखने की बात आती है तो हम समझते हैं कि यह केवल महान लोगों का कार्य है। अनेक तथ्यों, आंकड़ों और अनुभवों को समेटना विरले लोगों का कार्य है तो यह समझ लीजिए कि प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे भी अपनी समझ की किताब रच सकते हैं जो दूसरों को समझने के लिए शायद ज़्यादा होगा। बस, शिक्षकों का निर्देशन एवं परामर्श की आवश्यकता है। यदि बच्चे बाल-समाचार निकाल सकते हैं तो बाल पत्रिका भी निकाल सकते हैं और फिर किताब भी। उनकी हलकी चिंगारी सी जिज्ञासा को आग बनाने की आवश्यकता है। बच्चे तो नन्हे पौधे होते हैं, जिसमें असीम संभावनाएं ( Possibilities) होती हैं। संभावनाओं के बीज तो उसके अंदर होते ही हैं। बस, उसे पनपने के लिए वातावरण का निर्माण करने की आवश्यकता है। बच्चे अखबारों से रुचिकर कहानियां, चुटकुले, कविता, सुंदर-सुंदर चित्र और पहेलियां आदि संग्रह कर सकते हैं। वर्ग एवं स्तर के अनुसार किए गए पुस्तकों से इनके संग्रह बच्चों के द्वारा इस प्रकार किये जा सकते हैं- दो वर्णों वाले शब्द, तीन वर्णों वाले शब्द, चार वर्णों वाले शब्द और 5 वर्णों वाले शब्द आदि। इसी तरह से अंग्रेजी में भी किया जा सकता है। अंग्रेजी में वैसे शब्दों को भी पुस्तकों से ढूंढवाया जा सकता है जिसमें एक भी स्वर वर्ण (Vowel) न हो या फिर वैसे शब्दों को भी जिसमें सभी स्वर वर्ण (Vowels) हों। इनके चुनाव के लिए शब्दकोश (Dictionary) का सहारा लिया जाना चाहिए। खोजबीन बच्चों के द्वारा ही होनी चाहिए ताकि शब्दकोश से शब्दों को ढूंढने के समय ज्यादा सीख सकें। अनुस्वार वाले शब्द, चंद्रबिंदु वाले शब्द, मात्रा वाले शब्द एवं संयुक्ताक्षरों को चुनवाया जा सकता है। इसका दस्तावेजीकरण  "हस्त लिखित पुस्तक" का रूप लेने लगेगा। बच्चे विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे चित्र बनाते हैं। जिस बच्चे के द्वारा जो भी शब्दों, वाक्यों, अनुच्छेदों, कहानियों, चुटकुलों, बाल कविताएं और पहेलियों आदि का संग्रह किए जाएं उसे उस बच्चे के शैक्षणिक प्रोफाइल (Academic Profiles) में रखा जाना चाहिए। हिंदी में ऐसे वाक्यों को पुस्तकों, अखबारों या पत्र-पत्रिकाओं से ढूंढने के लिए कहा जाए जिससे विभिन्न शब्दों के लिंग निर्णय हो सके। शब्दों को हाई लाईटर या पेंसिल से चिन्हित किया जा सकता है ताकि बच्चों की समझ बन सके कि यह स्त्रीलिंग है या पुलिंग। अंग्रेजी में ऐसे वाक्यों को ढूंढवाया जा सकता है जिसमें auxiliary verb का उपयोग हो ताकि किस कर्ता (Subject) के साथ कौन-सी क्रिया (verb) का उपयोग होती है, जाना जा सके। अंग्रेजी में   Singulars and Plurals की अवधारणा देने के लिए विभिन्न Persons को ढूंढवाया जाए ताकि  किस Person के साथ Verb में s, es लगाया जाता है और किसमें नहीं। आनंद ही आनंद में यह धारणा पक्की हो जाएगी। धीरे-धीरे इसी तरह व्याकरण के सभी गुत्थियों को सुलझाया जा सकता है। इसी तरह सभी Parts of speech की सूचीकरण की जा सकती है लेकिन इससे पहले उसका कंसेप्ट दे दिया जाना चाहिए- जैसे कि Verb क्या है ? Adverb क्या है और  Adjective क्या है आदि? पार्ट्स ऑफ स्पीच का अच्छा खासा संग्रह  हो जाएगा जिसे बच्चों से अलग-अलग पन्नों पर लिखवाकर ले लिया जाना चाहिए। इस गतिविधि से अवधारणा बिल्कुल आत्मसात हो जाएगी। अनायास ही बच्चों में कल्पनाशीलता (Imagination), रचनात्मकता (Creativity), मौलिकता (Originality) आने लगेगी। बच्चे अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं से जो भी अपनी पसंद के चित्र, सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान, माथापच्ची और भूल-भुलैया, निबंध, पत्र, डायरी लेखन, संस्मरण, यात्रा वृतांत, साक्षात्कार, हास्य-व्यंग, जीवनी, संस्मरण, प्रेरक प्रसंग, प्रेरक कहानी, प्रेरक वाक्य एवं रिपोर्ताज आदि को संग्रह करते हैं, उसे उनके फाइलों में रखवा दें। भाषा की इन  विधाओं पर कार्य करवाने से बच्चों में रचनात्मकता आती है। क्रियाकलाप बच्चों के ग्रेड और लेवल को देखकर ही करवाया जाना चाहिए।
          बच्चे बहुत अच्छे संग्राहक (Good collector) होते हैं। शिक्षकों को उनके इस सहजात गुण को भुनाना चाहिए। विभिन्न पत्तियों से हरबेरियम और विभिन्न बीजों को कागज पर चिपकाया जा सकता है। पौधों के फूलों के सुंदर-सुंदर चित्र बनवाए जा सकते हैं। बच्चों को बात करने की आजादी दी जानी चाहिए ताकि वे अपने विचार को अपनी भाषा दे सकें। अपनी कल्पना को दूसरों में बांट सकें। कहानियां सुनाई जाए। उसे अपने हिसाब से एवं अपनी भाषा में लिखने की छूट दी जाए। देखेंगे कि बच्चे अलग-अलग अंदाज में लिखेंगे। उन्हें प्रेरित कर लघु कहानियां लिखवायी जा सकती है। बच्चे लघु कहानियों को अंग्रेजी या आंचलिक भाषा में स्तर के अनुसार रूपांतरित कर सकते हैं। यह पहले मौखिक हो, फिर लिखित।
          बच्चों के द्वारा खुद की बनाई चीजों से काफी प्यार होता है। वे उसे संजोकर रखते हैं। ऐसा खोजबीन और सीखने-सिखाने का अभिनव प्रयोग बच्चों को ज्ञान, व्यवहार एवं  कार्यकुशलता की प्रकाष्ठा तक ले जाएगा जो बिल्कुल बिना बोझ के (Learning without burden) होगा। यह अनुभव को बांटने और बच्चों की प्रतिभा को चमकाने का अच्छा तरीका हो सकता है। 
          और आज तो ICT का जमाना है। बच्चे या शिक्षक, इसे प्रिंटेड पुस्तक में बदल सकते हैं और उसका कवर पेज बच्चों के द्वारा ही बनाई गई तस्वीर से आकर्षक बनाया जा सकता है। बच्चों के अलग-अलग मेहनत, लगन और ज्ञान का मान रखते हुए उनके किताबों का नाम उनके पसंद से रखा जाना चाहिए। यथा- मंथन, उमंग, परिश्रम, लगन, ज्ञान सागर, बाल-लुभावन, अमृत, मेरी किताब, मेरी पुस्तक और मेरी रचना आदि नाम सुझाने में शिक्षक की भूमिका सुगमकर्ता की हो। विद्यालय के किसी भी समारोह के अवसर पर उन पुस्तकों का लोकार्पण प्रबुद्धजनों से करवाया जा सकता है। यह सभी किताबें विद्यालय की "बाल रचित निधि" होगी जो  बाल-पुस्तकालय की शोभा बढ़ाएंगे।
          पुस्तकों का प्रदर्शन बाल मेला में किया जा सकता है और उससे जो भी मुनाफा हो, उससे बच्चों के लिए पारितोषिक वितरण किया जा सकता है या फिर बच्चों की भागीदारी एवं नेतृत्व के विकास हेतु रकम को किन-किन चीजों पर खर्च किया जाए, इसका फैसला लेने का भी हक उन्हें ही दिया जाए क्योंकि उनकी खुद की लिखी हुई किताबों की अपनी कमाई है जो किसी राॅयलटी (Royality) से भी बढ़कर है। यदि विद्यालय प्रबंधन एवं प्रशासन किसी प्रकाशक से उनके चुनिंदा किताबों को पब्लिश (Publish) करवा दें तो उनकी प्रतिभा का लाभ अन्य लोगों को मिल सकेगा और वास्तव में उस बच्चे को रॉयल्टी मिल सकेगी और यह बिल्कुल संभव है। केवल और यदि केवल हम वास्तविक शिक्षक बन जाएं और बच्चों में उत्साह एवं सीखने की ललक भर दें। बच्चे जब भी, जहां भी, उस पुस्तक को देखेंगे बहुत ही गर्व से कहेंगे "यह किताब मेरी है" इसकी रचना मैंने की है। यह मेरे दिमाग की उपज है। ऐसा अभिनव प्रयोग भाषा शिक्षण में बहुत बड़ा कदम होगा जो भाषा शिक्षण के सभी मांगों की पूर्ति करेगा।

              
मो. जाहिद हुसैन 
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मलह विगहा
चंडी, नालंदा

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