चैन की नींद- श्री विमल कुमार"विनोद" - Teachers of Bihar

Recent

Wednesday, 28 December 2022

चैन की नींद- श्री विमल कुमार"विनोद"

एक मनोविश्लेषणात्मक लेख।

जीवन सुख और दुःख के मिलन से बना है।प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सुखी रहना चाहता है,दुःख किसी को भी अच्छा नहीं लगता है। इसी सुख और दुःख के चक्कर में पूरा जनमानस निन्यानवे के चक्कर में पड़कर परेशान रहता है।सुबह से शाम तक लोगों के जीवन में अधिक-से-आधिक संपत्ति कमाने की होड़ में लगा हुआ है,चारों ओर अधिक-से-अधिक संपत्ति कमाने की होड़ सी लगी हुई है।चारों ओर अधिक-से-अधिक संपत्ति कमाने की होड़ में लोगों ने अपनों को भी नहीं बख्शा।इस अधिक-से- अधिक धन संपत्ति अर्जन करने वालों के दौड़ में मैंने भी अपने को अछूता नहीं रख पाया,जिसके चक्कर में रातों को भी नींद नहीं आती है,मानसिक तनाव बना रहता है।छोटे-छोटे बच्चों की परवरिश ठीक से नहीं हो पाती है,रात भर आँखों में ही गुजर जाती है।मुझे ऐसा लगता है कि बहुत सारे लोग तो अपने बाल- बच्चे की परवरिश करने के लिये चिलचिलाती ढंड में भी सड़कों पर काम करने निकल जाते है,तो कुछ लोग अधिक-से-अधिक रूपया कमाने के लालच में दूसरे गरीब गुरूबा लोगों से अपनी जान को हथेली में लेकर काम करने को मजबूर कर देते हैं।

जीवन की अदभुत कहानी है,कोई खाने के बिना मरता है तो कोई खाते-खाते मरता है तथा कुछ ऐसे भी बदनसीब हैं,जिन्होंने जीवन में संपत्ति तो बहुत कमाई परन्तु तरह-तरह की बीमारियां के शिकार हो गये और सूखी रोटी तथा करेली की सब्जी खाने को मजबूर है,जबकि उनके घर में काम करने वाले को सुन्दर-सुन्दर भोजन खाने को मिलता है।

मेरा यह आलेख एक चमचमाते हुये शहर के बड़े होटल के बगल में एक गरीब गुरबा व्यक्ति सड़क के बगल में बिछावन लगाकर धूप के आनंद लेते हुये"चैन की नींद"ले रहे हैं,जिनको न तो जीवन में बहुत धन-संपत्ति कमाने की होड़ है और न तो कल के लिये बहुत कमाने की ललक है।इस तरह के इस दुनिया में अनगिनत लोग हैं, जो कि दिन भर इधर-उधर माँग कर या मजदूरी करके शाम को ईश्वर के भरोसे फूटपाथ पर सो लेते है।

सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात तो यह है कि हम जिन्दगी में अंधाधुंध कमाने का प्रयास करते हैं,अपना,अपने बच्चों के सुख चैन के लिये दूसरों का हक मारने में जरा सी भी नहीं सोंचते हैं।बहुत समय लोग जीवन में अपने जीवन का दुरुपयोग करते हुये संपत्ति तो अर्जित कर लेते हैं,लेकिन बाद बाकी जीवन में कानून के दांव- पेंच में फँसकर जीवन भर पश्चाताप करते रहते हैं।

अंत में मुझे लगता है कि एक मजदूरी करने वाला दिन भर मजदूरी करने के बाद फूटपाथ में"चैन की नींद" का मजा लेता है,जहाँ उसे न तो मानसिक तनाव है और न ही कल की चिंता,बस जहाँ जगह मिल गई वहीं पर यह  सोचकर सो गये कि कल को किसने देखा है।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार"विनोद"

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,बांका(बिहार)

No comments:

Post a Comment