एक मनोविश्लेषणात्मक लेख।
प्रत्येक नारी के जीवन की इच्छा होती है,माँ बनने की।यह इच्छा केवल मनुष्य में ही नहीं बल्कि विश्व के सारे जीव-जंतुओं में होती है।विश्व के सारे जीव-जंतु गर्भ धारण करने के बाद अपने बच्चे को जन्म देना तथा लालन-पालन करना अपना अहोभाग्य समझती है।कोई भी मादा जीव जब गर्भ धारण करती है तो उसके जीवन का एक लक्ष्य होता है अपने बच्चे को जन्म देकर अपने जीवन से बांझीन के कलंक से मुक्ति पाना।
इस संसार की कोई भी मादा प्राणी चाहे अंडा देने वाली पक्षी हो या गर्भ धारण करने वाली जीव उसका एक उद्देश्य होता है मातृत्व के सुख को प्राप्त करना।जब कोई मादा जीव गर्भ धारण करती है तो पल-पल उसके विकास की बात सोचती है। मेरा यह आलेख केरल की उस हाथिनी की जीवन गाथा पर आधारित है,जिसे पर्यावरण के दुश्मन,दरिन्दों ने अनानास के फल के अंदर बम भरकर उसे खिला डाला,जिसके विस्फोट होते ही उस हाथिनी का मुँह का जबड़ा जल जाता है।बम विस्फोट से जख्मी होने के बाबजूद भी मातृत्व के गुण से ओतप्रोत मादा हाथिनी ने किसी पर वार नहीं किया बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म देने तक अपने को जिन्दा रखना चाह कर जल में ठंडा प्राप्त करने के घुस गई।
मुझे लगता है कि जैव-विविधता के दुश्मन आज भी जीवों को बेकार ही मार देने का अपराध करते हैं।सृष्टि के एक मात्र विवेकशील जीव जिनको ईश्वर ने सोचने,समझने की शक्ति प्रदान की है,लेकिन पागलपंथी का शिकार होकर पशुधन की हानि पहुँचाने से बाज नहीं आते हैं।
अंत में,एक शिक्षक सह पर्यावरण प्रेमी होने के नाते मैं सभी लोगों से अनुरोध करता हूँ कि सभी जीवों के प्रति प्रेम कीजिये,नहीं तो यह प्रकृति किसी को भी छोड़ने वाली नहीं है।सभी जीवों के साथ अपनत्व का संबंध बनाये रखिये नहीं तो पर्यावरण संतुलन बिगड़ जायेगा तथा उसकी अंतिम परिणति कोरोना वायरस के संक्रमण से भी जयादे बदतर होती जायेगी।इसलिये वन्य जीव तथा अन्य जीवों के साथ प्रेम, भाईचारा,सौहार्द का संबंध बनाये रखिये नहीं तो सुन्दर जीवन जीने का सपना अधूरा ही रह जायेगा।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा बांका ।

No comments:
Post a Comment