राज्य की उत्पत्ति के शक्ति सिद्धांत का मानना है कि"राज्य की उत्पत्ति शक्ति का प्रतिफल है" अर्थात जब दो शक्तिशाली व्यक्ति आपस में लड़ते हैं तो एक उसमें विजीत होता है,जिसका साम्राज्य कमजोर पर थोपा जाता है।विश्व की राजनीति इसका गवाह है कि लगातार शक्तिशाली राष्ट्रों ने अपने से कमजोर राष्ट्र पर जबर्दस्ती आक्रमण कर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास किया जिसके हजारों-हजार उदाहरण विश्व राजनीति में भरे पड़े हैं। इसी संदर्भ में "अहंकार ही विनाश का कारण"एक मनोविश्लेषणात्मक लेख को प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूँ।
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है,जो सोच सकता है,चिंतन कर सकता है,जो कि विश्व का सबसे शक्तिशाली प्राणी माना जाता है लेकिन मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी जो कि उसके विनाश का मुख्य कारण है,वह'मैं' जिसे "अहम्" कहा जाता है जहाँ से अहंकार का जन्म होता है जो कि लोगों के विनाश का मुख्य कारण है।हाॅबस नामक महान चिंतक का कहना है कि" सभी मनुष्य स्वभाव से स्वार्थी होते है"तथा अपने अहंकार के बल पर लोगों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं। विश्व राजनीति में प्रारंभ से ही संयुक्त राज्य अमेरिका,सोवियत संघीय गणराज्य रूस,फ्रांस ब्रिटेन,स्पेन,जर्मनी,जापान,इराक इरान,इटली,चीन इत्यादि देशों के द्वारा एक दूसरे पर अपना आधिपत्य थोपने का प्रयास किया जाता रहा।अमेरिका के द्वारा विश्व में शक्ति संतुलन बनाये रखने हेतु राष्ट्र संघ,संयुक्त राष्ट्र संघ को भी अपना आधिपत्य स्वीकार करवाने का प्रयास करता रहा।चीन,उत्तर-दक्षिण कोरिया फ्रांस तथा अन्य इस्लामिक देश तथा भारत-पाकिस्तान आदि भी अपने प्रभुत्व की लड़ाई के लिये विश्व जनमानस को अशांति के चौखट पर लाकर खड़ा करने का प्रयास करते रहे।
आज के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस ने विश्व के सारेअहंकारी राष्ट्र के महानायक का अभिमान नष्ट करने में जरा सी भी देर न की।एक साधारण सा जैविक वायरस ने विश्व के महारथियों को अपने आप को बचा पाने के लिये दुनिया के नजर में एक निरीह प्राणी की भांति एक दूसरे के सामने हाथ पसारे खड़ा कर दिया। कल तक दूसरे को कर्ज देने वाला आज अपने आप को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा पाने में असमर्थ महसूस कर रहा है, इससे बड़ी बदनसीबी क्या हो सकती है?इसलिये यदि मैं एक साधारण व्यक्ति की तरह जीवन यापन करने का प्रयास करूँ तो कितना अच्छा हो सकता है।
विश्व के साथ-साथ भारत वर्ष में भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने वर्चस्व की लड़ाई में कितने निर्दोष लोगों के परिवार की जिन्दगी तबाह कर दी। जरा सोचिये कि आवेश में आकर आप किसी को बर्बाद कर देते हैं,उससे आपको क्या मिलने वाला है?आज आपने किसी की जिंदगी तबाह की ,कल उससे भी खराब स्थिति आपकी होने वाली है।कोरोना वायरस संकट का सूत्रधार चाहे जो कोई भी हो,आज वह भी स्वंय उसकी चक्की में पीसा जा रहा है। विश्व के वैसे देश जिन्होंने विश्व राजनीति में शक्तिशाली राष्ट्रों का प्रभुत्व स्वीकार नहीं किया ,उन राष्ट्रों के संगठन ने संयुक्त सैन्य कारवाई करते हुये उनको नष्ट करने में जरा सी भी देरी नहीं की। विश्व के महाशक्तिशाली देशों ने विश्व राजनीति में प्रभुत्त्व जमाने के लिये शीतयुद्ध में भाग लेकर (जब संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघीय गणराज्य दो महाशक्ति) थे,शक्ति संतुलन बनाये रखने के लिये विश्व को तबाही के कगार पर पहुँचा दिया।
इसलिये प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन को साधरण ढंग से जीने का प्रयास करना चाहिए,लेकिन लोगों के जीवन में अहंकार भरा हुआ है जो कि उसके विनाश का मुख्य कारण है।ठीक ही कहा गया है कि"अहंकार ही विनाश का मुख्य कारण है"।इसलिए चैन की जिन्दगी जीने के लिये प्रेममयी सौहार्दपूर्ण वातावरण में जीने का प्रयास करना चाहिए ताकि विनाश का सामना न करना पड़े।
आने वाले कल की ढेर सारी शुभकामनाओंके साथ,आपका ही
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"प्रभारी
प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा बांका(बिहार)

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