एक मनोविश्लेषणत्मक लेख।
ठंड और गर्मी दोनों एक दूसरे के परस्पर विरोधी महसूस करने वाली चीज होती है।"ठंड" का अर्थ है,"अल्पताप"(हाइपोथर्मिया) शरीर की वह स्थिति होती है, जिसमें शरीर का तापमान सामान्य से कम हो जाता है,इसमें शरीर का तापमान 35डिग्री सेल्सियस से कम हो जाता है।शरीर के सूचारू रूप से चलने हेतु कई रासायनिक क्रियाओं की आवश्यकता होती है।आवश्यक तापमान बनाये रखने के लिये मस्तिष्क कई तरीके से कार्य करता है।जब ये कार्यशैली बिगड़ जाती है तब उष्मा के उत्पादन के स्थान पर उष्मा का ह्रास होने लगता है।कई बार रोग के कारण शरीर का तापमान प्रभावित होता है,ऐसे में शरीर का कोर तापमान किसी भी वातावरण से बिगड़ सकता है,इसे सेकेंडरी हाइपोथर्मिया कहा जाता है,जिसका एक प्रमुख कारणों में ठंड लगना है।
"ठंड"का मौसम जीवन का एक खुशनुमा मौसम होता है।इस मौसम की सबसे बड़ी खुबी होती है कि आपको भोजन करने में बहुत मजा आता है क्योंकि इस मौसम में आप जितना भी भोजन कर लीजिये,कोई परेशानी नहीं होने वाली है।साथ ही आपको नये -नये फसलों के व्यंजन भोजन के लिये प्राप्त होते हैं,साथ ही तरह- तरह की सब्जियों की भरमार सी रहती है।
मेरा यह आलेख"ठंड"मुख्य रूप से लोगों को जो ठंड,कनकनी महसूस होती है उस पर आधारित है,जिसमें लोग गर्मी पाने के लिये एक दूसरे के साथ दुबक कर रहने की कोशिश करते हैं ताकि थोड़ी सी गर्मी महसूस हो सके।इस वर्ष का सबसे ठंडा दिन आज महसूस हो रही थी जब मैं अपने दुपहिया गाड़ी से अपने काम पर जा रहा था-रास्ते में तो ऐसी महसूस हो रही थी कि कहीं यदि अलाव मिल जाती तो गाड़ी को बगल में लगाकर थोड़ी सी आग ताप लेते।
दूसरी बात दोपहिया पर यदि सर जी के साथ मैडम जी भी बैठे हैं तो वहाँ भी सट कर बैठने से लगता है कि ठंड कम लगेगी क्योंकि जीवन में ठंड का जितना मजा है,उतना ही सजा भी है क्योंकि यदि ठंड मार दिया तो फिर क्या कहना। एक दिन मैं जब गाड़ी से अपने काम पर जा रहा था तो देखा कि आगे चल रही एक दोपहिया पर बैठी एक मैडम जी अपने हाथों को ठंड से बचाने के लिये अपने सर के जींस के पाॅकेट पर हाथ डालकर अपने हाथों को ठंड से बचाने की कोशिश कर रही थी। इसके अलावे घर,परिवार,गाँव, चौक-चौराहा में भी ठंड से बचने के लिये सरकारी तथा निजी स्तर पर भी आग का अलाव जलाया जाता है,जहाँ पर लोग एक साथ बैठकर आग तापने का आनंद लेते हैं।कहा भी गया है कि"ठंडा में आग,प्रिये का दर्शन,दूध का बना हुआ भोजन तथा राजा के द्वारा दिया गया दान अमृत के समान होता है।इस प्रकार ठंड से बचने के लिये लोग गर्म कपड़े को पहनते हैं,रात में रजाई तथा गर्म कपड़े का प्रयोग करते हैं।इसलिये ठंड से बचने का प्रयास कीजिये और जीवन में ठंड का आनन्द लीजिये।
आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"
प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,
बांका(बिहार)।

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