ठंडा का मौसम और शिक्षक- श्री विमल कुमार'विनोद - Teachers of Bihar

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Wednesday, 21 December 2022

ठंडा का मौसम और शिक्षक- श्री विमल कुमार'विनोद

 मनोविश्लेषणात्मक लेख। 

वर्ष में तीन तरह के मौसम होते हैं-ठंडा,गर्मी और बरसात।ठंडा का मौसम जो कि 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर फरवरी तक रहता है

ठंडा का मौसम का अर्थ है कि जाड़ा महसूस होना,जिसमें लोग गर्म कपड़े पहनते हैं।अपनी प्रकृति के अनुसार यह मौसम बड़ा सुहावना होता है,जिसमें लोग घर के अंदर दुबक कर रहते हैं।इस मौसम में सोने में बहुत आनंद आता है तथा तरह-तरह के भोजन का आनंद लेने में भी मजा आता है। इस मौसम की बहुत बड़ी खूबी है कि इसमें भोजन के समान बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं ।इस मौसम में गेहूँ,चना,मसूर,आलू सेम,गोभी,टमाटर,बैंगन,सरसों इत्यादि खाद्य पदार्थ आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं जो कि लोगों के प्रमुख भोज्य पदार्थ होते हैं।

    इस मौसम की बहुत बड़ी विशेषता यह है कि इसमें गेंदा, गुलाब तथा अन्य खुबसूरत फूल खिलते हैं।इस ॠतु में बीमारी कम होती है। सरसों के फूल को देखकर भी बहुत सुन्दर लगता है।  मेरा यह आलेख "ठंडा का मौसम और शिक्षक"को तुलनात्मक रूप से अपनी लेखनी से प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है।

   शिक्षक समाज की अनमोल धरोहर है,जिसका स्वरूप जाड़े के मौसम की तरह ठंडा होता है,जो कि अपनी शीतलता से अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करते हैं।अपने विद्यार्थीयों को शिक्षा प्रदान करने के समय उनको बहुत धैर्य के साथ सीखाने का प्रयास करते हैं। चूँकि छोटे-छोटे बाल गोपाल अबोध होते हैं,जो कि बार-बार गलती करने की कोशिश करते हैं, जिसको शिक्षक अपनी शांत प्रवृत्ति से समझाने की कोशिश करते हैं।

        शिक्षा प्रदान करना एक संवेदनशील विषय है ,क्योंकि शिक्षक को वर्ग कक्ष में अपने मन मस्तिष्क को एकाग्रचित्त करके अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता होती है। ऐसे समय में यदि मानसिक तनाव उत्पन्न हो गई तो वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में असफल हो जायेगा। जैसा कि हम देखते हैं कि जाड़े के मौसम में किसान बहुत मेहनत के साथ अपने खेतों की फसल को पैदा करने का प्रयास करते हैं, मुझे लगता है कि शिक्षक को भी शिष्य रूपी फसल को बहुत ध्यान पूर्वक निर्माण करना चाहिए।

  जिस तरह हम देखते हैं कि जाड़े में खिलने वाले फूल कितने खूबसूरत होते हैं तथा उसकी अनुपम छटा दूर-दूर तक अपनी सुगंध से मन मोहित किये रहती है उसी प्रकार शिक्षक के द्वारा तैयार किया गया शिष्य भी अपनी कीर्ति से दूर-दूर तक अपने गुरुदेव के गुणों को फैलाये रहते हैं।  अपने इस आलेख के द्वारा मुझे लगता है कि शिक्षक ठंडा के मौसम की तरह अपने साये में समेट कर विद्यार्थियों  का  चहोन्मुखी विकास करने का प्रयास करेंगे ताकि वे शीतकालीन ॠतु में होने वाले फसलों की तरह अच्छी तरह से फल-फूल सकेंगे।

   अंत में मेरा पूर्ण विश्वास है कि हमारे विद्वान शिक्षक जो कि लगातार अपने विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा देने में प्रयासरत है अपने विद्यालय रूपी फुलवारी में सुन्दर,सुगंधित,खूबसूरत विद्यार्थी  रूपी फूल को तैयार करने में सफल होंगे।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा 

बाँका(बिहार)।

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