पापा जी शराब नहीं पीना- श्री विमल कुमार' "विनोद" - Teachers of Bihar

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Wednesday, 21 December 2022

पापा जी शराब नहीं पीना- श्री विमल कुमार' "विनोद"

परिवार में माता-पिता दोनों का उत्तरदायित्व होता है बच्चों का विकास करना।चूँकि परिवार में पिता का काम है घर चलाने के लिये आवश्यक सामग्री की व्यवस्था करना तथा परिश्रम करके रूपये कमाना जिससे कि परिवार का भरण पोषण हो सके एवं माता जी का काम है परिवार के सभी सदस्यों की देखभाल करना तथा उसके पालन-पोषण के लिये भोजन तथा अन्य आवश्यक चीजों की व्यवस्था करना।

प्राचीन जमाने से ही समाज में सोम रस का लोग सेवन करते रहे हैं,जहाँ पर ताड़,खजूर,महुआ,फल ,चावल इत्यादि से बनाये जाने वाले चीजों से बनाये जाने वाले रस का सेवन कर कभी-कभी जीवन का आनंद लेते थे।लेकिन आज के समय में यह एक आवश्यक बुराई के रूप में विकसित होती जा रही है जहाँ शराब पीना समाज के लिये घातक सिद्ध होता जा रहा है तथा हजारों-हजार परिवार नशा का शिकार होता जा रहा है। जिससे लोगों का हंसता-खेलता परिवार तबाही का शिकार हो जाता है।

संपूर्ण देश के साथ-साथ झारखंड को शराब पीने तथा शराब का धंधा करने वालों ने अपना चरागाह बना रखा हैऔर आज यह कैंसर की तरह संपूर्ण समाज को ग्रसित करती जा रही है। बहुत सारे जगहों पर अधिकतर स्थानीय हाट-बाजार को ही  शराब का धंधा करने वाले महाजनों ने अपना चरागाह बना रखा है, जहाँ पर शराब की बिक्री धड़ल्ले से होती है।इसमें से कुछ ऐसे भी हाट-बाजार है जो कि  प्रमुख सड़क के  दोनों  किनारों पर  लगते हैं।

मुझे लगता है कि सरकार की नीति भी कुछ ऐसी है कि शराब बनाने तथा बेचने वाले ज्यादा तर भोले-भाले लोग है जिसका दुरुपयोग समाज के पूँजीपति महाजन(धनाडय व्यापारी) लोगों को पूँजी देकर शराब बनवाते हैं तथा उसका फायदा उठाते हैं। आज ऐसा देखा जा रहा है कि जिस आदिवासी समाज को लोग शराब पीने वालों की श्रेणी में रखते थे,उसमें कमी आती हुई नजर आती है।

मेरा यह आलेख"पापा जी शराब मत पीना"जिसमें एक साधारण परिवार की लड़की जिसके सिर पर शराबी पिता के द्वारा परिवार को तंग किये जाने के कारण चोट लग गयी है जो कि अपनी जिंदगी पर अफसोस करते हुये अपने पिता जी से शराब न पीने का अनुरोध करती है।आगे वह कहती है कि पापा जीआप यदि शराब पीयेंगे तो हमलोगोंका पूरा परिवार बिखर कर विनाश के कगार पर चला जायेगा।हमलोग पूरा परिवार अनपढ़,गंवार बनकर रह जायेंगे।वह लड़की अपने पिताजी से कहती है कि "जीना है तो पापा शराब मत पीना"।बड़ी मुश्किल से अम्मा घर को चलाती है ,खुद भूखे रहकर सबको खिलाती है।

  अंत में एक शिक्षक तथा समाज के शुभचिंतक होने के नाते सभी लोगों से अनुरोध है कि बिहार की तरह नशा मुक्त समाज बनाने का संकल्प लेते हुये आदर्श स


माज का निर्माण करने का संकल्प लें। किसी ने ठीक ही कहा है कि"नशा का जो हुआ शिकार उजड़ा  उसका घर परिवार"आगे पुनः कहा जाता है कि"नशा नाश का जड़ है भाई इसकी कथा बड़ी दुःखदायी।"साथ ही हम कह सकते हैं कि आज के समय में जितनी भी सड़क दुर्घटना होती है उसमें अधिकांशतःशराब पीने के कारण से। आगे प्रशासन से भी अनुरोध है कि हाट-बाजारों में खुलेआम शराब बेचने वालों पर पाबंदी लगानी चाहिए।जिससे बहुत सारे इंसानों की जिंदगी दुर्घटना होने से बच सकती है।

 आलेख साभार- श्री विमल कुमार' "विनोद"

प्रभारी प्रधानाध्यापक राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा

बांका(बिहार)।

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