मुफ्त राशन योजना- श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Tuesday 14 February 2023

मुफ्त राशन योजना- श्री विमल कुमार "विनोद"

आज का राज्य लोक कल्याणकारी राज्य है,जहाँ पर सरकार का काम लोगों की पालने के पूर्व से लेकर मृत्यु के बाद तक जनता की सेवा करना है। सेवा करने का मतलब लोगों का सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक तथा शैक्षणिक विकास करना है।

विकास के लिये उत्पादन करने की सख्त आवश्यकता होती है क्योंकि उत्पादन करने से ही लोगों की सकल घरेलू आय में वृद्धि होगी,जो कि देश के विकास का मुख्य कारण होगा।

विकास करने के लिये लोगों को काम करना होगा।काम करने से उस व्यक्ति को मजदूरी मिलेगी।साथ ही काम करने से लोगों का शारीरिक तथा कार्य करने की क्षमता का विकास होगा। 

काम करने के लिये व्यक्ति में उसे कार्य की आवश्यकता होनी चाहिए,साथ ही इसके लिये उसके पेट में भूख होनी चाहिए। क्योंकि जब भूख रहेगी तभी लोग काम करना चाहेंगे। 

सरकार लोक कल्याणकारी राज्य में जनता को मुफ्त में राशन देकर उसके कार्य को करने की क्षमता को घटा देती है,साथ ही उसमें काम करने की उर्जा को कम कर देती है।

यह सत्य बात है कि किसी भी व्यक्ति को जिसको मुफ्त में अनाज मिल जायेगा तो वह कमाने की बात क्यों सोचेगा।सरकार के लोगों के द्वारा तो मुफ्त में प्रत्येक परिवार को अनाज देकर उसके अंदर काम करने की क्षमता का ह्रास करने का प्रयास किया जाता है।चूँकि किसी भी व्यक्ति के पेट की क्षुधा जब मिट जायेगी तो उसको आराम महसूस होने लगेगी, और जब आराम मिलने लगेगी तो फिर उसके अंदर काम करने की क्षमता का ह्रास होने लगेगा।

चूँकि भारत एक कृषि प्रधान देश है,जहाँ के अधिकतर लोग किसान ही हैं। इस देश में लोगों को काम करना आवश्यक हो जाता है,लेकिन जब लोगों को मुफ्त में अनाज मिल जायेगा तो लोगों को कृषि कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं रह जायेगी।

सरकार की "मुफ्त अनाज" देने की नीति जो कि आने वाले समय में विकास तथा उत्पादन का ह्रास करने में अहम भूमिका निभाने जा रही है।

सरकार इस तरह के कार्य को करके एक ओर गरीब-गूरूबा जनता को अपना वोट बैंक बनाना चाहिए रही है तो दूसरी ओर यह" गरीबी और बेरोजगारी को जन्म देने का" एक प्रमुख कारण माना जायेगा।

आज ऐसा देखा जा रहा है कि लोग राशन की दुकान से मुफ्त का अनाज को लेकर बाजार में बेच देते हैं,जो कि देश की अर्थव्यवस्था के लिये घातक सिद्ध होने जा रही है।

इसलिए सरकार को चाहिए कि मुफ्त का अनाज न बाँट कर लोगों को रोजगार मुहैया कराने का अधिक-से-अधिक अवसर प्रदान करे। 

लोगों को उनके खेतों में कृषि कार्य को बढ़ाने के लिये सस्ते ढ़ंग से पूंजी

उपलब्ध कराया जाय ताकि सकल घरेलू आय एवं राष्ट्रीय आय में वृद्धि हो सके।


आलेख साभार-श्री विमल कुमार "विनोद"भलसुंधिया,गोड्डा(झारखंड)।

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