शिक्षा,बुद्धि और ज्ञान - श्री विमल कुमार "विनोद" - Teachers of Bihar

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Sunday 30 July 2023

शिक्षा,बुद्धि और ज्ञान - श्री विमल कुमार "विनोद"


 एक मनोविश्लेषणात्मक,समालोचात्मक लेख।

मनोविज्ञान जो कि साधारण अर्थ में मन और मस्तिष्क का अध्ययन करती है।

मनोविज्ञान का अंग्रेजी 'Psychology' जो कि "Psyche"तथा"Logos" के मिलने से बना है,,जिसका शाब्दिक

अर्थ"आत्मा का अध्ययन "होता है।मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण

भाग"शिक्षा मनोविज्ञान"है जिसके अंतर्गत शिक्षा,ज्ञान और बुद्धि तीन प्रमुख बातों का भी वर्णन किया गया है,जिसका मैं समालोचात्मक समीक्षा वर्णन करने जा रहा हूँ।

(1)शिक्षा-शिक्षा का साधारण अर्थ है"व्यक्ति के व्यवहार में

परिवर्तन"।इसका संबंध उन प्रकिया से है जो व्यक्ति के अंदर वांछनीय आदतों,कुशलता एवं मनोवृत्ति में विकास लाता है,जो उसे एक अच्छा नागरिक तथा सदस्य बनने के लिये मदद करता है।यह एक प्रक्रिया है,जिसमें व्यवहार को उचित दिशा में आकार दिया जाता है।व्यवहार का यह आकार अथवा सुधार व्यक्ति को समाज के साथ उच्च समायोजन करने में सहायक होता है।

(2)बुद्धि-बुद्धि एक बहुत ही महत्वपूर्ण मानसिक,अमूर्त प्रत्यय है,जिसे केवल अप्रत्यक्ष रूप से समझा जा सकता है।तार्किक चिंतन के लिये बुद्धि की बहुत आवश्यकता है।विशेषकर बुद्धि एक ऐसी चीज है जो कि अमूर्त चिंतन की चीज होती है तथा इसका विकास किशोरावस्था तक होता है,लेकिन सीखने की प्रक्रिया जन्म के बाद से मृत्यु के पहले तक चलती रहती है।साथ ही बुद्धि पर वंशानुक्रम और वातावरण का भी प्रभाव पड़ता है।

(3)ज्ञान-ज्ञान किसी भी नई-नई वस्तुओं के बारे में जानकारी है। ज्ञान का उद्देश्य किसी वस्तु के संबंध में जैसी वह है,वैसी ही होनी चाहिये की ओर इंगित करता ।ज्ञान के लिये यह आवश्यक है कि सत्यता, विश्वसनीयता होनी चाहिये।ज्ञान का एक प्रमुख साधन इन्द्रियों द्वारा प्राप्त अनुभव का प्रत्यक्षीकरण है,जैसे मनुष्य की पाँच ज्ञानेन्द्रियों आँख,नाक,कान,जीभ और त्वचा उसे क्रमशः देखकर,सुनकर, सूंघकर,स्वाद लेकर तथा स्पर्श करके सांसारिक वस्तुओं के बारे में तरह-तरह का ज्ञान प्रदान करती है।

जहाँ तक समालोचात्मक समीक्षा की बात है,तो ऐसा देखा जाता है कि बुद्धि तथा ज्ञान सारी बातें शिक्षा से ही जुड़ी हुई है।लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि शिक्षा प्राप्त किया हुआ प्रत्येक मनुष्य ज्ञानी ही होगा या शिक्षा प्राप्त किया हुआ मनुष्य हमेशा विवेकपूर्ण कार्य ही करेगा यह संभव नहीं है।उदाहरण के लिये आत्महत्या करना,किसी की हत्या करना , किसी को आशय के साथ क्षति पहुँचाना,समाज में विध्वंसक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना एक शिक्षित मनुष्य का बुद्धि पूर्ण कार्य नहीं हो सकता है।

एक सवाल यह भी उठता है कि क्या एक कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति बुद्धिमान हो सकता है या नहीं,तो मुझे ऐसा लगता है कि एक अशिक्षित मनुष्य यदि अपने बच्चों को शिक्षित बनाकर समाज का अच्छा तथा सृजनशील व्यक्ति तैयार कर देता है तो यह विश्व का एक उत्कृष्ट कृत्य माना जाता है।

बुद्धि की जब बात चलती है तो बुद्धि के बारे में कहा सकता है कि एक बुद्धिमान मनुष्य परिस्थिति के साथ समायोजन करना जानता है।

जहाँ तक शिक्षा और ज्ञान की बात आती है तो मुझे लगता है कि बहुत सारे लोग विद्यालयी शिक्षा जिसे औपचारिक शिक्षा देने का मुख्य केन्द्र माना जाता है,के बिना भी इस सांसारिक दुनियां में 

सकारात्मक सोच विकसित करके ज्ञान को प्राप्त करता है तथा अपने सुन्दर विचारों को समाज के लोगों तक फैलाने का प्रयास करता है।

अंत में मेरा मानना है कि ज्ञान तथा बुद्धि दोनों का शिक्षा से गहरा लगाव है,क्योंकि शिक्षा के अभाव में मनुष्य का विकास हो पाना असंभव है।इसके बाबजूद भी मैंने जिन-जिन आधार पर अपनी सोच के माध्यम से इस आलेख को तैयार करने का प्रयास किया है,वह मेरी सकारात्मक सोच की उपज है।


आलेख साभार -श्री विमल कुमार "विनोद"भलसुंधिया,गोड्डा(झारखंड)।

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