संसार में नारी के तीन रूप है-पुत्री माता और पत्नी। दूसरी ओर पति-पत्नी के मेल से संतान की उत्पत्ति होती है।संतान को उत्पति के फलस्वरूप नारी माता का रूप धारण कर लेने के बाद उसको अपने संतान से अन्योन्याश्रय संबंध बन जाता है।
एक माता-पिता की यह दिली तमन्ना होती है कि उनका वंश वृद्धि हो तथा वह फले-फूले।
इसमें से विशेषकर माता जी अपने-अपने संतान के सुख-समृद्धि की कामना के लिये "जितिया" जिसे जिवितपुत्रिका भी कहा जाता है का व्रत करती है।तीन दिवसीय परंपरागत हिन्दू त्योहार जो कि आश्विन महीने में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक मनाया जाता है।यह मुख्य रूप से बिहार झारखंड,उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के नेपाली लोगों और नेपाल में भी मनाया जाता है।
जितिया एक ऐसा व्रत है जिसमें निर्जला पूरे दिन उपवास किया जाता है।इस प्रकार का पर्व करके माताओं के द्वारा अपने बच्चों की लंबी आयु,कल्याण के लिये ईश्वर से प्रार्थना की जाती है।
एक दंत कथा के अनुसार जीमूत वाहन नामक एक बहुत प्रतापी राजा,जो कि भोग-विलास से दूर था।ऐशोआराम तथा संसारिक मोह माया से अपने को दूर रखते हुये,अपना संपूर्ण राज पाट अपने छोटे भाई को छोड़कर वन गमन कर गये।ऐसा माना जाता है वन-गमन करने के दौरान किसी नारी के विलाप करने की आवाज सुनायी दी।यह सुनकर जीमूतवाहन का हृदय द्रवित होने लगा तथा वह उस रोने वाली महिला से आग्रह करने लगे कि आप कौन हैंऔर क्यों रो रही हैं?यह सुनकर वहाँ
एक वृद्ध महिला प्रकट हुई और अपने रोने का कारण बतायी कि प्रत्येक दिन गरूड यहाँ के घर से एक-एक बालक को उठाकर खा जाता है ।इसके बाद वह वृद्ध महिला
जो कि नाग कन्या का अवतार थी के पुत्र के खाये जाने की बारी थी।यह सुनकर जीमूतवाहन ने उस वृद्ध माता के पुत्र की रक्षा करने के लिये वह स्वंय एक लाल वस्त्र ओड़ कर सो गये।तभी रात में गरूड आकर जीमूतवाहन को उठाकर ले जाकर उसके एक हाथ को खाना चाहा।तभीजीमूतवाहन ने अपना दूसरा हाथ बढ़ा दिया।यह देखकर गरूड को महसूस हुआ कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है।इसके बाद गरूड ने जीमूतवाहन से पूछा कि आप कौनहैं?इस पर जीमूतवाहन ने बताया कि मैं एक राजा हूँ,जो संसारिक भोग- विलास से विरक्त होकर वन-गमन कर चुका हूँ।इस पर गरूड जी उनसे
कहते हैं कि आपको क्या वर चाहिए?इस पर जीमूतवाहन कहते हैंकि आपने अबतक जितने भी माताओं के बच्चों को मारकर खाया है,सभी जीवित हो जाय।गरूड महाराज बोले ऐसा ही होगा,कहकरअंतर्ध्यान हो गये।इसके बाद सभी
माताओं को उनके बच्चे जीवित मिल गये।तभी से राजा जीमूतवाहन के नाम पर मातायें जितिया पर्व मनाती है।
श्री विमल कुमार"विनोद"भलसुंधिया
गोड्डा(झारखंड)की लेखनी से।

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