मौर्य वंश के सम्राट अशोक की जयंती पर विशेष - सुरेश कुमार गौरव - Teachers of Bihar

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Tuesday 16 April 2024

मौर्य वंश के सम्राट अशोक की जयंती पर विशेष - सुरेश कुमार गौरव

🌹मौर्य वंश का प्रतापी राजा बिंदुसार पुत्र चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे ।

सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य (राजा प्रियदर्शी देवताओं का प्रिय) था उनका राजकाल ईसा पूर्व 269 से, 232 प्राचीन भारत में था।

🌹 मौर्य राजवंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अखण्ड भारत पर राज्य किया है तथा उनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के दक्षिण तथा मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़गानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था। सम्राट अशोक का साम्राज्य आज का सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार के अधिकांश भूभाग पर था, यह विशाल साम्राज्य उस समय तक से आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है।

🌹 चक्रवर्ती सम्राट अशोक विश्व के सभी महान एवं शक्तिशाली सम्राटों एवं राजाओं की पंक्तियों में हमेशा शीर्ष स्थान पर ही रहे हैं। सम्राट अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है - ‘सम्राटों का सम्राट’, और यह स्थान भारत में केवल सम्राट अशोक को प्राप्त है।'

🌹 सम्राट अशोक को अपने विस्तृत साम्राज्य के साथ बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भी जाना जाता है। सम्राट अशोक ने संपूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्वीपों में भी बौद्ध पंथ का प्रचार प्रसार किया।

🌹 उनके स्तम्भ एवं शिलालेख आज भी ऐतिहासिक जानकारी अन्य किसी भी सम्राट या राजा से बहुत व्यापक रूप में मिल जाती है। सम्राट अशोक प्रेम, सहिष्णुता, सत्य, अहिंसा एवं शाकाहारी जीवन प्रणाली में पूरा विश्वास करते थे। इसलिए उनका नाम इतिहास में महान परोपकारी सम्राट के रूप में भी लिया जाता है।

🌹 सम्राट अशोक को धर्माराजिका चक्रवात, सम्राट, राज्ञश्रेष्ठ, मगधराज, भूपतिं, मौर्यराजा, अशोक, धर्माशोक, असोक्वाध्हन, अशोकवर्धन भी कहा जाता है।

🌹 सम्राट अशोक का जन्म 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र, पटना बिहार में हुआ ता और इनका निधन 232 ईसा पूर्व में हुआ पाटलिपुत्र, इनकी समाधि पटना में है।

🌹 इनकी जीवनसंगी देवी कारुवाकी,पद्मावती,तिष्यरक्षिता थीं.

इनकी संतानें  महेन्द्र,संघमित्रा,तीवल,कुणाल,चारुमती,

🌹 इनकी माता का नाम सुभद्रांगी (रानी धर्मा) था.

🌹 ऐसा माना जाता है कि कलिंग युद्ध के दो साल पहले ही सम्राट अशोक भगवान बुद्ध की मानवतावादी शिक्षाओं से प्रभावित होकर बौद्ध अनुयायी हो गये और उन्ही की स्मृति में उन्होने कई स्तम्भ खड़े कर दिये जो आज भी नेपाल बुद्ध जन्मस्थली - लुम्बिनी - में मायादेवी मन्दिर के पास, सारनाथ, बौद्ध मन्दिर बोधगया, कुशीनगर एवं आदी श्रीलंका, थाईलैण्ड, चीन इन देशों में आज भी अशोक स्तम्भ के रूप में देखे जा सकते है।

🌹 सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफ़गानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया। सम्राट अशोक अपने पूरे जीवन में एक भी युद्ध नहीं हारे।


🌹 सम्राट अशोक के ही समय में 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी जिसमें तक्षशिला, नालन्दा, विक्रमशिला, कन्धार आदि विश्वविद्यालय प्रमुख थे.इन्हीं विश्वविद्यालयों में विदेश से कई छात्र शिक्षा पाने भारत आया करते थे.ये विश्वविद्यालय उस समय के उत्कृट विश्वविद्यालय थे। शिलालेख शुरू करने वाला पहला शासक सम्राट अशोक ही थे। अशोक ने सर्वप्रथम बौद्ध पन्थ का सिद्धान्त लागू किया जो आज भी प्रासंगिक हैं।


🌹 ऐसा प्रतापी सम्राट जिसका साम्राज्य विस्तार सबसे अधिक था। कलिंग युद्ध के बाद इनका युद्ध से विराग हुआ और बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में लग गए और जीवनपर्यंत इस कार्य में लगे रहे।


🌹 भारत के शासनादेश में इनके कार्यकाल के कुछ शासन पद्धति भी लिए गए हैं। भारतीय मुद्रा में सारनाथ स्तंभ से लिए गए प्रतीक चिन्ह व शासनादेश के प्रतीकों में इनके कार्यकाल के प्रति रुचि रखते हैं। इससे प्रतीत होता है कि वे कितने प्रतापी राजा थे। उनके बुद्धं शरणं गच्छामि का संदेश संपूर्ण विश्व को शांति और अहिंसा का संदेश देता है।

जयंती पर इस प्रतापी सम्राट को कोटि-कोटि नमन है। 


@सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक, पटना, बिहार की कलम से 

 

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