दिन तुम्हारा भी बदल जाय - श्री विमल कुमार"विनोद - Teachers of Bihar

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Thursday, 9 May 2024

दिन तुम्हारा भी बदल जाय - श्री विमल कुमार"विनोद


कौन कहता है कि"आस्मां में सुराग नहीं होता,तबीयत से तो एक पत्थर उछालो यारों"।

यह कहानी जीवन में लगातार आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती है।कोई भी बालक जब जन्म लेता है तो उसके माता-पिता की यह प्रबल इच्छा होती है कि उसका बेटा पढ़- लिखकर जीवन में तरक्की करता, बहुत अच्छा बनता,विश्व के उच्च पदों को सुशोभित करता।इसमें से कुछ तो अपनी जिन्दगी के चरम-शिखर पर पहुँच कर जीवन में उत्कृष्ट कार्य कर लेते हैं,लेकिन कुछ चाहकर भी निराश हो जाते हैं,कुछ अपने समाज के सड़क छाप दोस्तों के चक्कर में फंसकर "किशोरावस्था की बाढ़ में बहने लगते हैं"।

हमलोग समाज में बहुत सारे बच्चे-

बच्ची को देखते हैं जो कि अति साधारण परिवार का होकर भी जीवन में असाधारण कार्य कर बैठते हैं जो किअपने माता-पिता,परिवार, समाज का नाम रौशन करते हुये, तरक्की के चरम शिखर पर पहुँच जाते हैं।

"दिन तुम्हारा भी बदल जाय"एक उत्प्रेरित करने वाला आलेख जो कि किसी भी बालक या बच्चे-बच्ची को जो कि जीवन के नकारात्मक पक्ष को देखकर यह सोचने लगते हैं कि आखिर क्या किया जाय,उसे समझ में नहीं आती है,वैसे लोगों को यदि मनोगत्यात्मक रूप से उत्प्रेरित करने का प्रयास किया जाय तो फिर वही नकारात्मक सोचने वाला लगातार जीवन के उच्च शिखर पर पहुँच जायेगा।इसे एक उदाहरण से समझाया जा सकता है कि एक शिक्षक को एक अविभावक कहता है कि देखिये न कि मेरा बच्चा तो पढ़ता ही नहीं है।उसके बाद वह शिक्षक उस बच्चे को कुछ लिखने देते हैं।फिर वह शिक्षक उस बच्चे के काॅपी में" अच्छा,फिर दूसरे दिन बहुत अच्छा और अंत में सबसे अच्छा लिखकर उस बच्चे का मनोगत्यात्मक तरीके से विकास कर देते हैं।इसलिये बच्चों को जीवन में लगातार आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित किया जाय ताकि वह अपने जीवन में लगातार आगे बढ़ता जाय।


श्री विमल कुमार"विनोद"भलसुंधिया

गोड्डा(झारखंड)की लेखनी से।

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