दोष नहीं, गुण दिखाएं- गिरीन्द्र मोहन झा - Teachers of Bihar

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Tuesday 2 July 2024

दोष नहीं, गुण दिखाएं- गिरीन्द्र मोहन झा

 

माँ शारदामणि रामकृष्ण परमहँस की भार्या थी । स्वामी विवेकानंद कहते, Mother, You are my goal.(माँ आप जैसा बनना मेरा लक्ष्य है । वे प्राय: कहती थी, "आप मन की शान्ति चाहते हैं, तो दूसरों में दोष न देखें, देखना है तो गुणों को देखें । अपने दोष देख उसमें सुधार करें ।"


.....प्राय: किसी का दोष दिखाकर आप उसे सुधार नहीं पाते, उनका गुण उन्हें दिखा दीजिए, वह खुद ही बेहतर होता चला जाता है, दोष छूटते चले जाते हैं । मैंने कई बार ऐसा होते देखा है ।

......शिक्षक का शिक्षण के साथ-साथ यह भी कर्त्तव्य है कि छात्र-छात्राओं के दोष नहीं, उनके गुण उन्हें दिखा दे, उनका vision उन्हें बताने का प्रयास करे । स्वामी विवेकानंद का कहना है, "यदि आप बार-बार बच्चों को मूर्ख और गधा कहेंगे तो वह वही हो जाएगा । उनका गुण, उनकी प्रतिभा उन्हें दिखा दीजिए, वह खुद ही बेहतर होते और बेहतर करते चले जाएगा ।" कभी-कभी शिक्षक का एक वचन भी छात्रों के जीवन की बेहतरी में अहम भूमिका निभा देता है । सिस्टर निवेदिता जब भारत में योगदान देने लगी तो उनकी भाषा यहाँ के लोगों के समझ में नहीं आ रही थी तो आयरलैंड की उस ऋषिका ने स्वामी विवेकानंद के सम्मुख अपनी समस्या रखी तो समाधान के रूप में स्वामी जी ने उनसे एक ही वाक्य कहा, 'तुम केवल भारत से प्रेम करो ।' फिर सिस्टर को कभी कोई प्रश्न करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी । 

.....छात्र-छात्राओं के लिए दोष दिखाना, निंदा और अतिशय प्रशंसा तीनों ही हानिकारक होती है । आपका एक वाक्य ऐसा होना चाहिए, जो उनके जीवन को बदलने और बेहतर करने में अपनी भूमिका निभा सके ।

गिरीन्द्र मोहन झा +2 शिक्षक, +2 भागीरथ उच्च विद्यालय, चैनपुर-पड़री, सहरसा

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