हमारा देश हमारी जिम्मेदारी - कुमकुम कुमारी "काव्याकृति" - Teachers of Bihar

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Wednesday 14 August 2024

हमारा देश हमारी जिम्मेदारी - कुमकुम कुमारी "काव्याकृति"


         राष्ट्र के कल्याणार्थ हम,

        अपना कर्म करते जाएँगे।

        स्वार्थ साधना की आँधी में,

          अपनी दृष्टि न गवाएँगे।।


जी हाँ, आज यही भाव भारत के हर एक नागरिक के मन में जगाने की आवश्यकता है, तभी भारत फिर से अपनी पुरातन संस्कृति को जीवंत कर पाएगा और दुनिया का मार्ग प्रशस्त करने में सक्षम होगा। आज हमारा देश आजादी की 78 वीं वर्षगाँठ बड़े हर्षोल्लास से मना रहा है। हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ है। तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। देश के कोने-कोने से भारत माता के जयकारे की गूँज सुनाई दे रही है। हर भारतवासी आज खुश है, आनंदित है। आज का दिन हम भारतवासी के लिए गौरव का दिन है। एक दूसरे को गले लगाकर बधाइयाँ देने, मिठाइयाँ खाने-खिलाने के साथ-साथ आज का दिन भारत माँ के उन वीर शहीदों को याद करने का भी है जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर हमें यह आजादी दिलाई है। हमारे देश के अनेक वीर सपूतों ने अंग्रेजों द्वारा दी गई नाना प्रकार के यातनाओं को सहकर, अपनी जान की कुर्बानियाँ देकर माँ भारती के पैरों में पड़ी परतंत्रता की बेड़ियाँ तोड़कर भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विश्व मानचित्र पर उदयमान किया।


           इनके अटल इरादें देख,

       फिरंगियों का रोम-रोम थर्राया।

         भारत माँ के वीर सपूतों ने,

         भारत का मान बढ़ाया।।

    

आज हमारे देश को आजाद हुए सात दशक बीत चुके हैं और इन सात दशकों में जमाना काफी बदल गया है।आज भारत विश्व मानचित्र पर एक सशक्त राष्ट्र का रूप ले चुका है। ऐसे में हम भारत के लोगों का यह परम कर्त्तव्य हो जाता है कि हम अपनी आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करें। साथ ही हम अपने बच्चों को यह भी बताए कि जिस स्वतंत्र भारत में आज हम स्वतंत्रता पूर्वक सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं, इसे प्राप्त करने में हमारे अपनों ने ही खून बहाई है। अंग्रेजों की तरह-तरह की यातनाओं को सहा है। काल-कोठरी में डाले गए, कोड़े से पीटे गए, अंग्रेजों की गालियां एवं गोलियाँ खाई, फाँसी के फंदों पर चढ़ाए गए। अपने उन वीर शहीदों की कुर्बानियों की वजह से ही आज हम आजादी का रसास्वादन कर पा रहे हैं। यानी आजादी हमें अंग्रेजों द्वारा दिया गया कोई उपहार नहीं है, बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए हमने हजारों-हजार कुर्बानियाँ दी हैं, यातनाएँ झेली है। 


             हजारों कुर्बानियाँ देकर

            हमने यह आजादी पाई है।

           भारत माँ की रक्षा करने की

              कसमें हमने खाई है।।


इसलिए स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर हम उन वीर शहीदों को नमन करते हैं और संकल्प लेते हैं कि किसी भी कीमत पर हम भारत माँ के आँचल में कोई दाग नहीं लगने देंगे। देश हमारे लिए सर्वोपरि है। इसकी रक्षा हमारा परम् कर्तव्य है। हमें आजादी के सही अर्थ को समझना होगा। स्वतंत्रता और स्वच्छंदता के भेद को समझना होगा। अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्त्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा तभी हम एक अच्छे नागरिक बन पाएँगे। और हम अपने बच्चों को यह भी बताऍंगे कि आज हम जिस खोज व अविष्कार पर गर्व कर रहे हैं उसका रहस्य हमारे शास्त्रों में विद्यमान है जिसे जानने की हमें जरूरत है। हमारे पास गर्व करने के अथाह भंडार है, हमारा समृद्ध इतिहास है, हमारी चेतनामयी सांस्कृतिक विरासत है जो हमें "मुट्ठी में आसमान" को करने की बुलंद हौसला प्रदान करती है।


        स्वाधीनता के पावन अवसर पर

           आओ हम शुभ कर्म करें।

            देश को संप्रभु बनाने में

        अपना भी कुछ योगदान करें।।

            जय भारत, जय भारती


          कुमकुम कुमारी "काव्याकृति"

                         शिक्षिका

          मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर

       


  कुमकुम कुमारी "काव्याकृति"

                         शिक्षिका

          मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर

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