15 अगस्त 1947 का दिन भारत के इतिहास और हर भारतीय नागरिक के लिए सबसे अहम दिन है। यही वह दिन है जब पहली बार भारत के लोगों ने एक आजाद देश में सांस लेना शुरू किया। आज हमारे देश को अंग्रेजों की 200 सालों की गुलामी से मुक्ति मिले 77 बरस पूरे हो गए हैं। भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस बडे़ धूम-धाम और पूरे उत्साह के साथ मना रहा है। यह ऐतिहासिक दिन है और हमारे देशवासियों के बीच देशप्रेम, समर्पण और एकता का प्रतीक है। सरकार के हर घर तिरंगा अभियान में देश की जनता पूरे जोश के साथ हिस्सा ले रही है।
भारत एक ऐसा देश है जिस पर पहले अंग्रेजों का शासन था और इन शासकों से छुटकारा पाने के लिए भारत ने संघर्ष किया और अपनी आज़ादी हासिल की। लेकिन इस लंबी लड़ाई के दौरान, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई और उन लोगों और देश के हर नागरिक के बलिदान की वजह से, भारत एक आज़ाद देश और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी को पाने के लिए हमने लंबा संघर्ष किया। अपना पूरा जीवन, पूरी जवानी आजादी को पाने में झोंक दी। देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, मंगल पाण्डे, ,राजगुरु, सुखदेव, जवाहरलाल नेहरु, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक जैसे कई क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों का अहम योगदान रहा। भारत मां के इन सच्चे सपूतों के लंबे संघर्ष के कारण स्वतंत्रता का सपना साकार हुआ। आज 15 अगस्त, 1947 का जिक्र होते ही गर्व से हर भारतीय का सीना चौड़ा हो उठता है।
भारत को 1947 में आजादी मिल गई थी लेकिन, इस आजादी की लड़ाई कई वर्षों लंबी और कठिन थी। स्वतंत्रता की इस लड़ाई का नेतृत्व प्रख्यात नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने किया। खून पसीना बहाकर, अपने भविष्य का निःस्वार्थ त्याग कर, अपने जीवन का बलिदान दिया और करोड़ों भारतीयों को ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता दिवस हमारे पूर्वजों के इन बलिदानों की याद दिलाता है। यह हमें अपनी स्वतंत्रता को संजोने और राष्ट्र की भलाई के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।
इस वर्ष भारत के स्वतंत्रता दिवस का विषय 'विकसित भारत' है, जो वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह विषय 2047 तक राष्ट्र को एक विकसित राष्ट्र में बदलने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो औपनिवेशिक शासन से मुक्ति का 100 वां वर्ष होगा।
आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के हिस्से के रूप में, पिछले वर्ष की थीम "राष्ट्र पहले, हमेशा पहले" थी, जिसका उद्देश्य एकजुटता और देशभक्ति को प्रोत्साहित करना था। भारत और यहां के निवासी अपना स्वतंत्रता दिवस मनाने को लेकर अविश्वसनीय रूप से भावुक और उत्साही है। देश भर से लोग अपनी पृष्ठभूमि, जाति, धर्म या सांस्कृतिक प्रथाओं में असमानताओं से बेपरवाह होकर, इस उत्सव में भाग लेने के लिए सड़कों पर इकट्ठा होते हैं। इस दिन लोग गर्व से अपने देश का झंडा फहराना और राष्ट्रगान जैसे देशभक्ति गीत गाना पसंद करते हैं।
लता मंगेशकर का लोकप्रिय व सदाबहार गीत के बोल “ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँखों में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी” हमारे स्वतंत्रता के सच्चे सार बयान करता है।15 अगस्त के दिन हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वतंत्रता का सही उपयोग कर हम एक समृद्ध और समान समाज की दिशा में काम करें।
भारत ने अंग्रेजों से संघर्ष के दिनों में एक संविधान बनाया था और आज़ादी के बाद यह लागू हुआ। इस संविधान में भारतीय नागरिकों को कई मौलिक अधिकार दिए गए जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये अधिकार वो आज़ादी हैं जो संविधान ने हर नागरिक को दी हैं।
ये अधिकार हैं समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति और शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संवैधानिक उपचारों का अधिकार, शिक्षा का अधिकार। ये सभी अधिकार हर वो स्वतंत्रता देते हैं जो किसी और देश में नहीं मिल सकती।
यह दिन हमें याद दिलाता है जब हमारा देश, विदेशी शासन के अधीन था। राष्ट्र-भक्ति और वीरता से ओत-प्रोत देश-प्रेमियों ने अनेक जोखिम उठाए और सर्वोच्च बलिदान दिए। हम उनकी पावन स्मृति को नमन करते हैं। उनके अथक प्रयासों के बल पर भारत की आत्मा सदियों की नींद से जाग उठी। अंतर-धारा के रूप में सदैव विद्यमान रही हमारी विभिन्न परंपराओं और मूल्यों को, पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारे महान स्वाधीनता सेनानियों ने नई अभिव्यक्ति प्रदान की मार्गदर्शक-नक्षत्र की तरह, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वाधीनता संग्राम की विभिन्न परंपराओं और उनकी विविध अभिव्यक्तियों को एकजुट किया।
15 अगस्त भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक है और यह हमें हर साल एक नई प्रेरणा देकर जाता है। साथ ही यह दिन हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और संघर्ष की याद दिलाता है ताकि हम आजाद होने के महत्व को याद रखें।साथ ही यह दिन देश की प्रगति के लिए हमारी जिम्मेदारियों को समझाता है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने देश को और ज्यादा मजबूत, एकजुट और समृद्ध बनाएं।
यह दिन है अभिमान का, है भारत माता के मान का ! नहीं जाएगा रक्त व्यर्थ, वीरों के बलिदान का !!
जय हिन्द जय भारत
डाॅ रणधीर कुमार राणा
सहायक शिक्षक
राजकीय बबुजन विशेश्वर बालिका उच्च माध्यमिक (+2) विद्यालय, सुपौल
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