शिक्षा और आजादी-संतोष कुमार केशरी - Teachers of Bihar

Recent

Thursday, 15 August 2024

शिक्षा और आजादी-संतोष कुमार केशरी

 कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगानेवाली,


दिल ही नही  दिमांगों में भी आग लगानेवाली। पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे, और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे।




ये  दिनकर जी की कविता है।सच, साहित्यकारों ने,कवियों ने, समाज सुधारकों ने अपनी लेखनी और विचारों के माध्यम से देश को जागृत किया। इससे आजादी के दीवाने बढ़ने लगे।शिक्षा इसका सशक्त माध्यम बना। शिक्षा क्रांतिकारियों के लिए पथ प्रदर्शक एवं सशक्त हथियार बना।


देश में महात्मा गांधी, तिलक सुभाष,भगत,आजाद,खुदीराम, मैडम भीकाजी कामा एनी बेसेंट ,अशफाक उल्ला का योगदान अविस्मरणीय है। इनके विचारों ने जनमानस को उत्प्रेरित कर देश के युवाओं को जागृत किया।


लोग इनके विचारों से अधिक प्रभावित होकर अंग्रेजों के 'फूट डालो और राज करो की नीति को समझ गये। इसका प्रभाव यह हुआ कि देशवासियों में एकता और भाईचारा बढ़ा। लेखकों एवं कथाकारों की कलम ब्रिटिश नीति को गद्य एवं पद्य के रूप में प्रस्तुत करने लगी लोग इसका अध्ययन करने लगे। इससे भारतीय लोगों के दिलो-दिमाग में अंग्रेजों के प्रति आक्रोश उत्पन्न होने लगा / कांतिकारियों के मन में अब आजादी ही एकमात्र उद्देश्य रह गया।


आज हमारा देश विकसित राष्ट्र की तरफ अग्रसर है। किन्तु, भारत में अभी भी कुछ गलत प्रथाएँ जैसे-जाति प्रथा, छुआछुत एवं ऊँच-नीच का विष आज भी प्रगति में बाधक है। मजहब के नाम पर आए दिन जो विवाद हो रहे है वो शिक्षित भारत के लिए अभिशाप है। आज शिक्षा के ऊँचे पायदान पर पहुंचने के बाद भी भूण हत्या, घुसखोरी एवं भ्रष्टाचार के कारण देश अवनति की तरफ बढ़ रहा है। गलत राजनेता भक्षक बने हुए है। समाज में चली आ रही कुप्रथाएँ भयावह एवं हृदय विदारक थी। जिसके लिए कुछ अच्छे अग्रेजो ने समाप्त किया। सती प्रथा एवं बाल विवाह को लार्ड विलियम बेटिक ने बंद किया।इसमें राजा राम मोहन राय एवं केशोचंद्र सेन का योगदान प्रबल है। शिक्षा ने महिलाओं को भी काफी प्रभावित किया। शराब बंदी और अन्य कुप्रथाओं के विरोध में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्रीय आंदोलन को गति दिया ।नारी शक्ति एक को नया आयाम मिला। पूरा देश अब आजादी के लिए धधक उठा। अब अंग्रेज तिलमिला उठे। भारत को आजादी देने में ही भलाई समझी।


अब मनुष्य स्वच्छता एवं सुन्दरता के प्रति सजग है। पर्यावरण सुरक्षा के प्रति सचेष्ट है। भविष्य के प्रति सजग है। भारतीय नागरिक पुराने दकियानुसी प्रथाओं से हट कर वैज्ञानिक एवं तार्किक सिद्धांतों की ओर अग्रसर हो रहा है।


तात्पर्य यह है कि आजादी हमें बड़ी कुरबानियों के बाद मिला। तिरंगा के नीचे लाखों कहानियां  बयां करती है। साथ ही मुक्ताकाश में फहराता यह तिरंगा हमें नवीन संदेश देकर कहता है कि अब हमारा प्रयास उन्नति की ओर होना चाहिए। पर्यावरण की सुरक्षा एवं शिक्षा हमारा प्रथम ध्येय होना चाहिए। इससे आनेवाली पीढ़ियों सुख समृद्ध हो सकें। हम सब मिलकर शिक्षा का अलख जगाकर अभिवंचित वर्गों को शिक्षित करें।शिक्षा पाकर लोग अधिकार एवं कर्तव्यों को समझेंगे।सारी समस्याओं पर विजय हासिल करेंगे।तब सही मायने में आजादी का अमृतपान मिलेगा।



संतोष कुमार केशरी

प्रथनाध्यापक म० वि० छतनवार, डुमराँव। जिला - बक्सर 

No comments:

Post a Comment