गणतंत्र दिवस, २६ जनवरी, भारतीय लोकतंत्र का वह ऐतिहासिक दिन है, जो हर भारतीय के गर्व और आत्मसम्मान का प्रतीक है। यह दिन भारतीय संविधान के लागू होने का स्मरण कराता है, जिसने भारत को एक संपूर्ण गणराज्य का स्वरूप दिया। इस दिन की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, एकता और अखंडता को रेखांकित करती है। संविधान की प्रस्तावना में "हम भारत के लोग... से शुरुआत की गई है। "प्रस्तावना" को संविधान की आत्मा कहा जाता है।
गणतंत्र दिवस का इतिहास:-
१५ अगस्त १९४७ को भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हुआ लेकिन तब तक हमारा देश अपने संविधान से शासित नहीं था। स्वतंत्रता के बाद, भारत ने एक ऐसा संविधान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया, जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करे।
२९ अगस्त १९४७ को डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ। संविधान बनाने में २ वर्ष, ११ महीने, और १८ दिन लगे। २६ नवंबर १९४९ को भारतीय संविधान अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित हुआ और २६ जनवरी १९५० को इसे पूरे देश में लागू किया गया।
२६ जनवरी का चयन इसलिए किया गया क्योंकि १९३० में इस दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने "पूर्ण स्वराज" का संकल्प लिया था। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारतीय संविधान और गणतंत्र की नींव:
भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत और समावेशी संविधान है। यह प्रत्येक नागरिक को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार प्रदान करता है। संविधान के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ - विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका - भारतीय लोकतंत्र को संतुलन और मजबूती प्रदान करते हैं।
गणतंत्र दिवस न केवल भारत के लोकतांत्रिक स्वरूप का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे कर्तव्यों और अधिकारों की याद भी दिलाता है।
गणतंत्र दिवस का उत्सव-
गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह नई दिल्ली के राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर आयोजित होता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और परेड की सलामी लेते हैं। यह परेड भारत की सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक धरोहर और प्रगति का भव्य प्रदर्शन होती है।
परेड में तीनों सेनाओं (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की झलक, राज्य-स्तरीय झांकियाँ, स्कूली बच्चों की प्रस्तुतियाँ और बहादुरी पुरस्कार प्राप्त करने वाले बच्चों की झलक अद्भुत होती है। यह परेड भारतीय विविधता में एकता का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती है।
गणतंत्र दिवस का महत्त्व:
गणतंत्र दिवस भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली की मजबूती और संविधान की सर्वोच्चता को दर्शाता है। यह दिन-
१. लोकतंत्र का पर्व- गणतंत्र दिवस यह याद दिलाता है कि भारत में जनता सर्वोच्च है और सरकार जनता के लिए, जनता द्वारा, और जनता के माध्यम से कार्य करती है।
२. राष्ट्रीय एकता और समर्पण- यह दिन भारत की विविधता में एकता, राष्ट्रीय गौरव और सामूहिक संकल्प का प्रतीक है।
३. संवैधानिक मूल्यों का सम्मान: यह हमें संविधान के प्रति सम्मान और उसके मूल्यों के पालन की प्रेरणा देता है।
४.
गणतंत्र दिवस और हमारी जिम्मेदारियाँ-
गणतंत्र दिवस न केवल उत्सव का दिन है बल्कि यह हमें अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है। संविधान ने हमें जो अधिकार दिए हैं, उनके साथ हमारे कर्तव्यों का निर्वहन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि
जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्रीयता के भेदभाव को मिटाकर एक समतामूलक समाज का निर्माण करें।
संविधान के आदर्शों का पालन करें।
समाज में शांति, भाईचारा और सौहार्द बनाए रखें।
निष्कर्ष:
इस दिवस का निष्कर्ष यह है कि गणतंत्र दिवस हमारे लिए केवल एक पर्व नहीं, बल्कि अपने लोकतांत्रिक अधिकारों, कर्तव्यों और देश के प्रति निष्ठा का पुनः स्मरण है। यह दिन हमें डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा के उन सभी महान नेताओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है, जिन्होंने भारत को एक सशक्त लोकतांत्रिक राष्ट्र का स्वरूप दिया।
आज, जब भारत प्रगति और विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है, गणतंत्र दिवस हमें प्रेरित करता है कि हम अपने संविधान की भावना के अनुरूप एक सशक्त, समतामूलक और प्रगतिशील भारत का निर्माण करें।
जय हिंद! जय भारत! जय गणतंत्र!
सुरेश कुमार गौरव, उ. म. वि रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)
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