शिक्षक और अभिभावक में हो ताल मेल, तब बनता है बच्चों का अच्छा भविष्य
बच्चों की पढ़ाई और जीवन सँवारने में सबसे बड़ा योगदान माता-पिता और शिक्षक दोनों का होता है। स्कूल में शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं, समझाते हैं और आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं। लेकिन स्कूल के बाहर, घर में – अभिभावकों की जिम्मेदारी सबसे बड़ी होती है।
हम देखते हैं कि कई बच्चे बिना नाश्ता किए स्कूल आते हैं। भूखे पेट उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता। कुछ बच्चे बहुत कमजोर या सुस्त दिखाई देते हैं, क्योंकि पेट खाली होता है। अभिभावकों से निवेदन है कि वे बच्चों को स्कूल भेजने से पहले थोड़ा नाश्ता जरूर दें – चाहे चाय और बासी रोटी हीं क्यों न हो।प्रत्येक दिन चेतना सत्र में एक न एक बच्चा बेहोश होकर गिर जाता है।इसमें संख्या ज्यादा लड़कियों की होती है।जिन्हें ज्यादा पोषण की जरूरत है।
कई बच्चे गंदे या फटे कपड़े पहनकर आते हैं। उनकी ड्रेस में बटन टूटे होते हैं या कपड़े मैले रहते हैं और पैर में चप्पल भी नहीं।इससे उनका आत्मविश्वास कम होता है और वे खुद को दूसरों से कम समझते हैं। स्कूल ड्रेस सिर्फ कपड़ा नहीं, अनुशासन और सम्मान की पहचान है। माता-पिता से विनती है कि बच्चों की ड्रेस साफ रखें और समय पर साफ करें।
साथ ही, यह भी ध्यान देना जरूरी है कि बच्चा घर आकर पढ़ाई करता है या नहीं। वह किन दोस्तों के साथ समय बिताता है? मोबाइल और टीवी में कितना समय दे रहा है? ये सब बातें बच्चे के भविष्य को तय करती हैं।
जब शिक्षक और माता-पिता मिलकर बच्चे को सही दिशा देते हैं, तभी बच्चा आत्मविश्वासी, समझदार और संस्कारी बनता है।आइए, हम सब मिलकर ऐसा शैक्षणिक माहौल बनाएं जहाँ हर बच्चा भरा पेट, साफ कपड़े और उत्साह के साथ स्कूल आए।
विप्लव कुमार, विशिष्ट शिक्षक
मध्य विद्यालय अरिहाना
आजमनगर, कटिहार
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