युवा शक्ति किसी भी राष्ट्र की असली धरोहर होती है। यह जब सही दिशा में चलती है तो हमारा देश शीर्ष की ओर बढ़ रहा होता है। युवजनों को कैरियर के प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता होती है। लोकोक्ति है।- बीसे विद्या तीसे धन चालीस के बाद ठनठनाठन । अर्थात् बीस वर्ष में विद्या-प्राप्ति, तीस वर्ष तक योग्यता व क्षमतानुसार अच्छे से अच्छा पोस्ट प्राप्त कर लेना, नहीं तो चालीस वर्ष के बाद जो कुछ प्राप्त होगा, उसी में संतोष करना होगा ।
..... युवाओं को सही दिशा में उद्योगी प्रवृत्ति के साथ अनवरत बढ़ने की आवश्यकता होती है। जैसा कि नीतिशतक में कहा गया है, उद्योगिनम्पुरुषसिंहमुपैतिलक्ष्मी: । अर्थात् उद्योगी मनुष्यों को ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
.....योग्यता, कौशल, दक्षता यह सब आगे बढ़ने के महान साधन हैं। दक्षता निरंतर अभ्यास से प्राप्त होती है। इन्हें नशा, व्यसन और कुसंग से सदा दूर रहने की आवश्यकता है। शारीरिक बल के साथ-साथ उन्हें आत्मविश्वास और आत्मबल से संपन्न होने की आवश्यकता है।.. रश्मिरथी में दिनकर जी ने लिखा है।- 'पत्थर-सी हो मांसपेशियां लोहे से भुजदंड अभय, नस-नस में हो लहर आग की, तभी जवानी पाती जय ।'
.....गिरीन्द्र मोहन झा

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