भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक व्यक्तित्व उभरे, परंतु उनमें से कुछ ही ऐसे थे जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र की एकता और अखंडता को आकार दिया। सरदार वल्लभभाई पटेल उन चुनिंदा महानायकों में से थे जिन्होंने केवल स्वतंत्रता का सपना नहीं देखा, बल्कि उस सपने को एक सशक्त और एकीकृत भारत के रूप में साकार किया।
पटेल उस समय के नेता थे जब देश विभाजन और विखंडन के गहरे संकट से गुजर रहा था। ब्रिटिश शासन से मुक्ति के बाद भारत के सामने 560 से अधिक रियासतों को एक संघ में जोड़ने की चुनौती थी। कुछ रियासतें स्वतंत्र रहना चाहती थीं, कुछ पाकिस्तान में विलय की सोच रखती थीं। ऐसे समय में पटेल ने अपने दृढ़ निश्चय, कूटनीतिक बुद्धिमत्ता और राजनीतिक दूरदर्शिता से इस असंभव लगने वाले कार्य को संभव कर दिखाया। जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर जैसी जटिल रियासतों का भारत में समावेश उनकी अटूट इच्छाशक्ति और रणनीतिक समझ का प्रमाण था।
लेकिन उनका योगदान केवल सीमाओं को जोड़ने तक सीमित नहीं था। पटेल समझते थे कि असली एकता भौगोलिक नहीं, हृदयों की होती है। वे भारत के विविध रंगों—भाषाओं, परंपराओं और संस्कृतियों—को एक सूत्र में पिरोना चाहते थे। उनके विचार में एकता का अर्थ एकरूपता नहीं, बल्कि विविधता का सामंजस्य था। यही कारण है कि उन्होंने ऐसे भारत की कल्पना की जहाँ विभिन्न पहचानें नष्ट न हों, बल्कि मिलकर राष्ट्र की ताकत बनें।
आज का भारत तेजी से बदल रहा है। तकनीकी विकास, वैश्वीकरण, और बदलती सामाजिक संरचनाओं के बीच पटेल का विचार अधिक प्रासंगिक हो गया है। एक ओर डिजिटल युग नई संभावनाएँ ला रहा है, तो दूसरी ओर मिथ्या सूचनाएँ और सामाजिक विभाजन नई चुनौतियाँ भी प्रस्तुत कर रहे हैं। ऐसे समय में सरदार पटेल की एकता की भावना हमें याद दिलाती है कि राष्ट्र केवल सीमाओं या शासन से नहीं, बल्कि जनमानस की एकजुटता से बनता है।
भारत सरकार की पहलें जैसे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’, ‘रन फॉर यूनिटी’ और ‘देखो अपना देश’ अभियान, उसी परंपरा का विस्तार हैं जिसे पटेल ने आरंभ किया था। गुजरात के केवड़िया में भव्य ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ उसी लौहपुरुष की विचारधारा का जीवंत प्रतीक है, जो आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती है कि एकता एक दिन में नहीं बनती—यह प्रतिदिन अर्जित की जाती है।
आर्थिक असमानता, सामाजिक भेदभाव, और सांप्रदायिक तनाव जैसी चुनौतियाँ आज भी भारत के समक्ष उपस्थित हैं। ऐसे में पटेल की शिक्षाएँ हमारी राह रोशन करती हैं—एकता का अर्थ एक-दूसरे को समझना, सहयोग करना और साझा प्रगति की दिशा में आगे बढ़ना है।
सरदार पटेल ने भारत को एकता का भूगोल दिया, अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम उसे एकता की भावना से सींचे। जब हर नागरिक यह अनुभव करे कि वह राष्ट्र की मुख्यधारा का अभिन्न हिस्सा है, तभी पटेल का सपना पूर्ण होगा।
उनकी विरासत केवल स्मारकों में नहीं, बल्कि उस विश्वास में जीवित है कि “हम अलग हो सकते हैं, परंतु भारत हमारी साझा पहचान है।” यही भावना आज के भारत का पथप्रदर्शक है और यही सरदार पटेल के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि।
प्रस्तुति - अवधेश कुमार
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल

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