नजरिया
हकीकत के आईने में दिनकर के उजाले में,
देखता हूं जब मैं तुझे जगमग सितारों में,
दमक उठे रंग रुप समर्पण के पसीने में,
आश के प्रकाश दिखे टूटे हुए मन में ।
काल के कपाल पे कला के कलम से,
लिख दिया तुने अपनी चाहत के दम से,
चहक उठा चेतना सत्र शैक्षणिक आवरण से,
जर्रा जर्रा बोल रहा,चमक बिखेर रहा,बच्चों के हुनर से।
चिंतन के चाल में क्या गजब बदलाव है,
श्यामपट भी हो रंगीन यह जग रहा भाव है;
गणवेश की प्रगति में नजरिय का प्रभाव है,
दो की ओर हो रहा अब सबका झुकाव है;
नवाचार के जलवे में दिख रहा ताव है,
पढ़ने का बढ़ रहा बच्चों में चाव है।।।
गुंज रहा संदेश इसकी,बदल गया शिक्षण की पद्धति
जल उठी मशाल सबकी, फैल रहा जीवन की ज्योति
सरकारी भाव का संकोची उक्ति,उड़ रहा कपूर कीजैसी
बिहार का उत्थान अबकी ,अच्छी शिक्षा होंगी सबकी।।
✍
मनोज कुमार
संकुल समन्वयक
रा कन्या मध्य विद्यालय गोरौल
प्रखंड गोरौल ( वैशाली)
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