एक बचपन-विकास कुमार पांडे (शिक्षक) - Teachers of Bihar

Recent

Sunday 14 April 2019

एक बचपन-विकास कुमार पांडे (शिक्षक)

सिसकता है
एक बचपन
गरीबी के बोझ तले
दम कहीं पर तोड़ता है,
एक बचपन
खेलने की उमर में
दर-दर कहीं भटकता है,
कहीं हाथ पसारता है
कहीं करतब दिखाता है,
कहीं कचरे के ढेर में
अपने लिए कुछ चुनता है,
कहीं किसी ढाबे पर
वो छोटू बनकर रहता है,
एक बचपन
अठखेलपन अपना भूलता है,
जिम्मेवारियों की मुठ्ठी में
अल्हड़पन उसका भींचता है,
कहीं मजदूरी करता है
तो कहीं नौकर सा रहता है,
एक बचपन
बस एक सवाल करता है,
वो भी तो है एक नौनिहाल
इस देश का, इस मिट्टी का
फिर क्यों उसका बचपन
इस तरह सिसकता है ?
चन्द सिक्के बटोरने को
दर-दर क्यों भटकता है ?
एक बचपन...
आखिर क्यों सिसकता है ?
            -- विकास कुमार पांडे
उत्क्रमित मध्य विद्यालय नेकनाम टोला ,बड़हरा ,भोजपुर

No comments:

Post a Comment