प्रदूषण मौत का मुख्य कारण
एक पर्यावरणीय लेख ।
प्रदूषण शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द पोलयूशनम से हुई है जिसका अर्थ है दूषित या गंदा करना। पर्यावरण को दूषित करने की प्रक्रिया प्रदूषण कहलाती है। कहा जाता है कि प्रदूषण परागण तथा जनसंख्या दोनों को मारती है । आज प्रदूषण पर्यावरण के प्रत्येक क्षेत्र में फैली हुई है । चाहे जल मिट्टी वायु ध्वनि भोजन सारे चीज प्रदूषित हो रहे हैं और इन चीजों को प्रदूषित करने के लिए मुख्य रूप से मनुष्य जिम्मेदार है। अमीरों ने अपने हितों को पूरा करने के लिए पर्यावरण को लूटा है। इस पर्यावरण को लूटने में समाज के अन्य लोग भी अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये जिम्मेदार हैं। आप अपने हितों की पूर्ति के लिये कूप या चापाकल के आस-पास कूड़ा कचरा फेंक देते हैं या जानवरों को बाँध देते हैं भूमि पर ज्यादा से ज्यादा रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं जिसका कुछ भाग ही जमीन अवशोषित करती है बाकी बचा हुआ भाग बर्षा के समय जल के साथ मिलकर जमीन के अंदर चला जाता है जिसके चलते भू-जल प्रदूषित हो जाता है। दूसरी बात यह है कि अधिक उपज प्राप्त करने के लिए लोग अनावश्यक रूप से थाइमाइट फोलिडोल तथा अन्य रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग करके उसमें उगने वाले फ़सल को प्रदूषित कर देते हैं जिसको खाने से तरह-तरह की बिमारी खासकर कैंसर होने की 40% संभावना बढ़ जाती है। आप जब खेती का काम करते हैं तो अनावश्यक रूप से रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं जिसको खाने से तरह-तरह की बिमारी जैसे यूरिक एसिड का बढ़ना रक्तचाप मानसिक तनाव चीनी की बिमारी इत्यादि होने का खतरा रहता है। साथ ही आजकल वातावरण का वायु भी काफी प्रदूषित हो गया है जिसका मुख्य कारण विकास के नाम पर तथा सड़क चौड़ीकरण के नाम पर अंधाधुंध वृक्षों की कटाई तथा सड़क निर्माण कार्य कराते समय पर्यावरण के नियमों की अवहेलना जैसे धूल उड़ने से रोकने के लिए पानी दिये जाने का अभाव दिखाई देता है जिसका जीता जागता उदाहरण गोड्डा पंजवारा निर्माणाधीन सड़क है। साथ ही ललमटिया बोआरीजोर सड़क जो कि ई सी एल राजमहल परियोजना के अंतर्गत आता है जहाँ कि कई सौ गुणा वायु प्रदूषण फैली हुई है जिसकी चिंता न तो ई सी एल को है न तो झारखंड सरकार को चिंता तो सिर्फ मुनाफा कमाने की है।
आज के समय में जब लोगों ने भू-जल को प्रदूषित कर फिल्टर करके पानी बेचने का धंधा शुरू किया उसमें भी पानी कंपनी वाले लोग रासायनिक चीजों को डालना शुरू कर दिये हैं तथा मीठा सोडा डाल कर पानी की शुद्धता को समाप्त करने पर उतारू हो गये हैं। साथ ही आजकल चावल को साफ करने तथा चमक लाने के लिए रासायनिक चीजों तथा यूरिया का प्रयोग किया जाना कितनी शर्म की बात है। मनुष्य अधिक संपत्ति कमाने के लिये स्वंय मानव विनाश का कारण है। विश्व के ज्यादातर शहरों में औधोगिक शोर तथा काफी तेज आवाज में ध्वनि विस्तारक यंत्र के प्रयोग किये जाने से ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है जो कि प्रदूषण का प्रमुख कारण है।
इस प्रकार मुझे ऐसा लगता है कि प्रदूषण परागण तथा जनसंख्या दोनों को मारती है। साथ ही किसी भी जीव की मौत का मुख्य कारण प्रदूषण है।
आपका ही विमल कुमार विनोद शिक्षक सह पर्यावरणविद पंजवारा बांका बिहार।
Sunday 14 April 2019
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प्रदूषण मौत का मुख्य कारण - विमल कुमार विनोद (शिक्षक)
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बेहतरीन प्रयास, आलेख धारदार व प्रेरणादायी है जरूरत इस बात की है कि सामान्य जन अपने जीवन में उतारे | इसी तरह आगे भी ज्वलंत मुद्दों को उठाते रहे |
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