वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता- अरविंद कुमार - Teachers of Bihar

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Sunday 9 June 2019

वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में मूल्य आधारित शिक्षा की आवश्यकता- अरविंद कुमार

वर्तमान शिक्षा व्यवस्था बीसवीं सदी के पश्चात प्रादुर्भाव में आए कई नई -नई प्रणालियों का समेकित रूप है। शिक्षा में नित नए -नए प्रयोग एवं नई -नई शिक्षा तकनीकों ने वर्तमान प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा में कई महत्वपूर्ण सुधार लाए हैं। अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनाई गई शिक्षण तकनीक वास्तव में लॉर्ड मैकाले द्वारा प्रतिपादित तकनीक का ही प्रतिफल रहा है ।आजादी के पश्चात 1953 में गठित मुदलियार आयोग ,1961 में स्थापित एनसीईआरटी ,1966 में गठित कोठारी आयोग ने अंग्रेजों द्वारा अपनाई जा रही रटंत शिक्षा प्रणाली में कई जरूरी बदलाव लाए हैं ।शिक्षा इस सिद्धांत पर अवलंबित हो गया है ,जो पढ़ा जाता है वह प़ायः  भूलने वाला होता है ,जो देखा जाता है वह याद करने योग्य होता है ।परंतु, जो प्रायोगिक तौर पर करके सीखा जाता है याद होकर पूरी जिंदगी याद रहने वाला होता है। जैसा कि निजी जीवन में भी देखा करते हैं पूरी जिंदगी भी एक प्रयोगशाला है इस प्रयोगशाला में करके ,अनुभव आधारित प्राप्त शिक्षा वाकई हमें याद रहने एवं विषय की गहराई तक ले जाने वाला होता है ।आधुनिक तकनीक में इसी कारण समस्या समाधान तकनीक ,प्रयोगशाला विधि के साथ ही निर्देशन तकनीक का उपयोग हो रहा है। परीक्षा बोझ ना बने इस निमित्त प्रारंभिक शिक्षा में परीक्षा प्रणाली को हटाकर सीसीई पैटर्न पर आधारित मूल्यांकन प्रणाली का उपयोग होना शुरू हुआ है ।परंतु, इतनी नई तकनीकों के उपयोग एवं शिक्षा में प्रयोग के पश्चात भी प्रारंभिक शिक्षा की विडंबना यह है कि हमारे समाज एवं देश की प्रगति के साथ ही नैतिक रूप से पतन के गहरे गर्त में जाना हमारे देश के लिए विडंबना है ।हमारे नौनिहाल बच्चों को उपलब्ध कराई जा रही वर्तमान शिक्षा में मूल्य आधारित शिक्षा का घोर अभाव है ।अब जबकि संयुक्त परिवार टूटा चला जा रहा है एवं पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन में मूल्य आधारित चेतना समाप्त होता चला जा रहा है, शासन-प्रशासन के प्रत्येक कोने में निस्वार्थ प्रेम समाप्त होने के साथ ही नैतिकता में दिन-प्रतिदिन हो रही गिरावट एवं पद तथा गोपनीयता की शपथ लेने वाले हमारे देश के माननीय मंत्रियों, सांसदों ,विधायकों द्वारा जनता को किए जाने वाले कार्यों के बदले निजी स्वार्थ को तरजीह दिया जा रहा है तब हमें यह सोचने को मजबूर होना पड़ रहा है कि हमारी भावी पीढ़ी मे नैतिकता की शिक्षा का ज्ञान देना अति आवश्यक हो गया है ।वरना कौन जाने भूत में नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले एवं विश्व को लोकतंत्र की सीख देने वाले हमारे भारत का क्या हश्र हो? हमें वर्तमान शिक्षा प्रणाली को इस दिशा की ओर होना अति आवश्यक हो गया है कि हमारे देश के बच्चे डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा, विश्वेश्वरैया, महात्मा गांधी बने न कि ओसामा बिन लादेन और दाऊद इब्राहिम।  देश नैतिक रूप से पतन के गर्त में गिरता  चला जा रहा है ।स्कूल कॉलेज अन्य क्षेत्रों में नैतिक मूल्यों में गिरावट दिखा जा रहा है। भारतीय संस्कृति एवं इंटरनेट तथा टेलीविजन के द्वारा ज्ञान का प्रसारण हमारे देश को नैतिकता में आकंठ डूबा कर रख दिया है। आज की युवा पीढ़ी एकल परिवार के चलन, कामोत्तेजक कपड़ों के प्रचलन ,लिव -इन- रिलेशनशिप एवम जुगाड़ तकनीक से सरकारी नौकरी की प्राप्ति तथा भ्रष्टाचार, कमीशन खोरी को अपनी सांस्कृतिक प्रगति मान बैठे हैं ।उन्हें पता नहीं डार्विनवाद का सिद्धांत मानवीय मूल्यों के रास्ते में कभी नहीं आ सकता एवं एन केन प्रकारेण केवल अपनी व्यक्तिगत प्रगति ना तो कभी वास्तविक प्रगति हो सकती है ,न हीं इस प्रगति से हमारे देश का भला हो सकता है। यह मूल्यह्रास अपनी आर्थिक प्रगति के लिए पत्थरों पहाड़ों के साथ जंगलों की अवैध कटाई के रूप में  एवम दूसरी और प्लास्टिक जैसी गैर जरूर इस्तेमाल के रूप में स्पष्ट दिख रहा है ।भारत की अधिकांश प्रमुख नदियां को औद्योगिक कचरा एवं शहरी आबादी के द्वारा  दूषित  किया जा रहा है। बढ़ती आबादी के कई  बेवजह के  शोको  एवम बिलासतापुण जिंदगी जीने के तरीकों ने हमें यह सोचने को मजबूर किया है कि अब मूल्य एवं नैतिकता की शिक्षा हमारे स्कूली शिक्षा का अनिवार्य अंग बने । अब गे एवम लेसीबियन फिल्मों का बनना तो हमारे सांस्कृतिक दुर्गति के असली चित्र एवं चरित्र को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया का अमूल्यन हो गया है , एवं दिखाए जाने वाली घटनाएं भी स्वार्थ लोलिता एवं पैसे के बल पर बिकाऊ हो गई है । मुल्य निष्ठा का घोर अभाव हो गया है। इस प्रकार चेतना जरूरी हो गया है कि हमारी भावी पीढ़ी को अनैतिक बनने से नहीं रोक सके तो वाकई हमारा देश गुलाम हो जाएगा एवं यह पश्चिमी संस्कृति के विकास को पूरी तरह हमारा अस्तित्व समाप्त करने में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ़इस प्रकार वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को मूल्य की अवधारणा से इस प्रकार बनाना आवश्यक हो गया है ताकि हमारी अगली पीढ़ी नैतिक मूल्य शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करना आवश्यक हो गया है एक नैतिक मूल्य पर आधारित प्रेरक प्रसंग एवं ऐतिहासिक कहानियों को वर्ग छह से ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए प्रदूषण स्वच्छता पॉलिथीन के दुरुपयोग इत्यादि के प्रति जागरूक एवं इस संबंध में चेतना भी पाठ्यक्रम का अनिवार्य अंग बने  जनसंख्या वृद्धि के दुष्प्रभाव इसके रोकथाम हेतु सुझाव एवं उपाय भी पाठ्यक्रम में शामिल किए जाएं  एवं शिक्षा मे उन्मुक्त  सेक्स की बुराइयों को भी ें उचित स्थान माध्यमिक स्तर से ही मिले । हमारी संस्कृति कैसे पश्चिमी संस्कृति से आमूल्य है अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाकर रखने की शिक्षा भी पाठ्यक्रम में समावेश हो। देश प्रेम तथा मौलिक कर्तव्य के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए पाठ्यक्रम को इस तरह का बनाया जाए साथ आतंकवाद उग्रवाद के रास्ते कैसे व्यक्तिगत एवं देश की प्रगति का रास्ता नहीं हो सकता यह भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए यही वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की आज की जरूरत है।

अरविंद कुमार
शिक्षक
कन्या मध्य विद्यालय जमुहर
प्रखंड डेहरी,रोहतास

6 comments:

  1. धन्यबाद।
    कृपया पाश्चात्य संसकृति विशेषकर अमेरिका एवं जापान मे शिक्षा ब्यवस्था के बारे मे भी एक लेख लिखने की कृपा किया जाय।मैं सुना हूं कि अमेरिका और जापान के लोग बहुत इमानदार परिश्रमी नैतिक पर्यावंवरण के प्रति जागरुक होते है उनकी तुलना मे हमारी शिक्षा मे कहा कमी है।वे लोग बच्चो को किस ढंग की शिक्षा और किस प्रकार देते है ।विषेशतः जापान की शिक्षा ब्यवस्था के बारे मे बताएं।

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  2. धन्यबाद।
    कृपया पाश्चात्य संसकृति विशेषकर अमेरिका एवं जापान मे शिक्षा ब्यवस्था के बारे मे भी एक लेख लिखने की कृपा किया जाय।मैं सुना हूं कि अमेरिका और जापान के लोग बहुत इमानदार परिश्रमी नैतिक पर्यावंवरण के प्रति जागरुक होते है उनकी तुलना मे हमारी शिक्षा मे कहा कमी है।वे लोग बच्चो को किस ढंग की शिक्षा और किस प्रकार देते है ।विषेशतः जापान की शिक्षा ब्यवस्था के बारे मे बताएं।

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  3. धन्यवाद जानकारी प्राप्त कर जापान एवं अमेरिका के शिक्षा के बारे में लिखने का कोशिश करूंगा

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  4. क्या बिहार राज्य में दिल्ली मॉडल को लाया जा सकता है? इस पर विचार प्रकट करने की कृपा की जाय। आपका सुन्दर प्रयास निश्चित रूप से बिहार के शिक्षकों में एक नई चेतना पैदा करेगी। धन्यवाद

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