विद्यालय प्रधान की भूमिका- श्री विमल कुमार 'विनोद' - Teachers of Bihar

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Thursday 11 July 2019

विद्यालय प्रधान की भूमिका- श्री विमल कुमार 'विनोद'

"विद्यालय प्रधान की भूमिका"

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कोई भी प्रशासन की भूमिका लूथर गुलीफ के 'POSDCORB'के सिद्धांत परआधारित है जो कि Planning,
Organising,Staffing,Direction,Co-Ordination,Reporting,Budget इत्यादि बातों पर निर्भर करती है।
  विद्यालय एक प्रशासन है जिसमें विद्यालय प्रधान की भूमिका बहुत महत्व रखती है।संपूर्ण विद्यालय की गतिविधि विद्यालय प्रधान के चारों ओर घूमती रहती है।विद्यालय प्रधान की निम्नलिखित भूमिका विद्यालय के चहोनमुखी
विकास का कारण बन सकती है---
(1)विद्यालय प्रधान के समय की पाबंदी-किसी भी संस्थान के  प्रमुख की पहली विशेषता होती है
समय से काम में आना तथा समय के बाद संस्थान से जाना।यदि विद्यालय प्रधान समय से काम पर आते हैं तो उनको देखकर अन्य विद्यालय कर्मी भी समय से विद्यालय में काम पर आयेंगे।साथ ही जब सभी विद्यालय कर्मी समय पर काम मेंआयेंगे तो कक्षायें सुचारु रूप से चल पायेंगी तथा विद्यालय का पूर्ण विकास भी हो पायेगा।

(2)विद्यालय की सभी गतिविधि पर ध्यान देना-विद्यालय प्रधान को विद्यालय में उपस्थित होने के बाद प्रार्थना,बच्चों की गतिविधि,वर्ग कक्ष,बच्चों के गणवेश,विद्यालय समय सारणी,वर्गकक्ष का पर्यवेक्षण,बच्चों की समस्या तथा
उसका समाधान,शिक्षकों की समस्या इत्यादि पर ध्यान देना चाहिए।

(3)नेतृत्व का गुण-नेता का काम होता है कि वह अपने संस्थान के विकास के लिये तथा उसके सारे
पहलुओं पर बारीकी के साथ विचार करे जिससे कि उसका विकास संभव हो सके।

(4)कुशल प्रबंधक-विद्यालय प्रधान को एक अच्छा प्रबंधक भी होना चाहिये।इसके अंतर्गत उनको यह ध्यान देने की जरूरत है कि विद्यालय को सुचारू रूप से  चलाने के लिए किस चीज की आवश्यकता है तथा किस प्रकार से इसका विकास हो,के संबंध मेंसोचना तथा उसको मूर्त रूप प्रदान करना।

(5)कुशल प्रशासक-विद्यालय प्रधान को एक कुशल प्रशासक भी होना चाहिये।प्रशासक का अर्थ होता है कि विद्यालय को चलाने के लिए किस प्रकार की नीति निर्धारित किया जाय तथा किसी काम को सुचारू रूप से
चलाने के लिये नीतियों में किस प्रकार का फेरबदल किया जाय।विद्यालय को चलाने के लिए भी विद्यालय प्रधान को अच्छी तथा गुणवत्ता पूर्ण नीतियों को बनाने का प्रयास करना चाहिए।

(6)मजबूत संगठनकर्ता-विद्यालय प्रधान को विद्यालय के सारे लोगों को एक साथ लेकर चलने का गुण होना चाहिये।यदि विद्यालय प्रधान  में सभी कर्मियों को एक साथ लेकर चलने का गुण होगा तो  निश्चित रूप से विद्यालय की तरक्की होगी वरना यह संभव नहीं होगा।

(7) शीघ्र निर्णय लेने की शक्ति- विद्यालय प्रधान में समय के अनुसार तुरंत निर्णय लेने की शक्ति होनी चाहिये जिससे कि समस्या का समाधान किया जा सके तथा विद्यालय का विकास हो सके।मेरा विश्वास है कि जब विपरीतपरिस्थिति में विद्यालय चलाने की जिम्मेदारी मिलती है,उस समय विद्यालय प्रधान को अपने विवेक के अनुसार विद्यालय हित में कठोर निर्णय लेना चाहिए।क्योंकि अगर विद्यालय में यदि अव्यवस्था
फैल जाती है,और विद्यालय प्रधान कठोर निर्णय नहीं ले पाते हैं तो विद्यालय में अराजकता फैल जायेगी तथा विद्यालय की व्यवस्था भी खराब हो जायेगी। साथ ही विद्यालय प्रधान को यह भी देखने की जरूरत है कि बच्चों का आर्थिक शोषण न हो, क्योंकि आज के समय में ऐसा देखा जा रहा है विद्यालय में भी बच्चों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि को भी लोग डकर जाने का प्रयास करते हैं जिसको विद्यालय प्रधान को रोकने का प्रयास करना
चाहिये।
               अंत में हम कह सकते हैं कि विद्यालय में घटित होने वालीप्रत्येक गतिविधि के लिये विद्यालय प्रधान ही पूर्णरूपेण से जिम्मेवार समझा जायेगा।विद्यालय रूपी नाव के चालक के रूप में विद्यालय प्रधान को ही मुख्य रूप से जिम्मेदार समझा जाना चाहिये।इसीलिएआज के समय में विद्यालय प्रधान को अपने आप में अच्छे गुण को  विकसित करने का प्रयास करना चाहिए तथा बच्चों में अच्छी नैतिकता,अनुशासन,आदर्श युक्त गुणों का विकास करना चाहिए।

श्री विमल कुमार" विनोद"
 प्रभारी प्रधानाध्यापक
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
पंजवारा बांका



6 comments:

  1. सारी परेशानियों के बावजूद उत्साही बना रहे।
    एक सटीक विश्लेषण

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  2. बेहतर मार्गदर्शन अौर अनुकरणीय विचार के लिए अापको बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  3. Bahut hi vivek purn ,and anukaraniy sujhad ke liye hardik badhai...

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  4. Bahut hi sundar hai lekin vidyalaya pradhan ko har subject ki basic jankari hona bhi jaroori hai.

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  5. बहुत ही अच्छा।
    एक मार्गदर्शन।
    धन्यवाद

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  6. विद्यालय प्रधान की सारी जवाबदेही है । पर इसमें शिक्षकों के सहयोग के साथ साथ ग्रामीण के सहयोग की भी आवश्यकता है। आखिर जिनके बच्चों के भविष्य के लिए स्कूल को इतना बेहतर बनाया जा रहा हो और वो ही सरकारी विद्यालय को खैराती विद्यालय समझे। और जो भी विद्यालय में बच्चों के विकास और गुणवत्ता के लिए लगाया जाए उसे ही उखाड़ दे। और बोलने पर कहे 'तोहर घारा से लागलाय सर। सरकार के गेलै।' और यदि कानूनी कार्रवाई की बात करने पर आपके जान पर बन आये तो क्या कीजियेगा।

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