मेरी स्कूल डायरी (भाग 1)- सीमा कुमारी (शिक्षिका) - Teachers of Bihar

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Wednesday 28 August 2019

मेरी स्कूल डायरी (भाग 1)- सीमा कुमारी (शिक्षिका)

मेरी स्कूल डायरी (भाग 1) 


आज बच्चों को पढ़ाने के तरीकों को बदल कर देखा । पहले मैं बच्चों को प्रश्न - उत्तर लिखवाने पर अधिक जोर दिया करती थी , पता नहीं क्यों मुझे लगता था कि इन बच्चों में इतनी समझ नहीं है कि वे कक्षा में पढ़ाई गई चीजों को समझ पाएंगे और फिर प्रश्नों को अपने शब्दों में लिख भी पाएंगे या नहीं ....
लेकिन आज जब मैने अपना तरीका बदला यानी कि  लिखवाना बंद करके उन्हें पाठ की विषयवस्तु को समझाना शुरू किया तरीका यह रहा कि बच्चों को बारी - बारी से एक या दो पैरा रीडिंग लगवाई और मैं उनसे जुङ़ी बातें सरल शब्दों में समझाती रही , इसका फायदा यह हुआ कि बच्चे पढ़ने में इंटरेस्टेड भी दिखे और उनकी अशुद्धियां भी पकङ़ी गई साथ ही बच्चों से सार्थक संवाद भी हुआ ....
बच्चे प्रश्न पूछने में आगे रहे । बच्चों को अधिक से अधिक आनंद आया और वे.और वे हँसते खेलते वातावरण में पाठ्यक्रम से परिचित होते रहे ....
बच्चे काफी खुश भी दिखे कि आज मैम नहीं लिखवाएंगी । पांचवीं कक्षा के बच्चों ने तो कमाल ही कर दिया उन्हों प्रस्तावित पाठ रॉस की जंग मलेरिया के संग को न केवल समझा बल्कि अपनी भाषा में मलेरिया कैसे होता है , उसकी रोकथाम कैसे होती है एवं रोग हो जाने पर क्या करना चाहिए आदि प्रशनों का उत्तर कांपी में लिखकर भी दिखाया ....
छठी कक्षा के बच्चे काफी शोर करते थे और शैतान भी आला दर्जे के हैं लेकिन आज जब मैने उन्हें वर्ड मीनिंग याद करने को कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ कि अधिकांश बच्चों ने जिसे मैं शातिरों की सूची में सूचीबद्ध कर चुकी थी उन्होंने भी प्रस्तावित पाठ बेंगल सेलर्स के कठिन शब्दों की मीनिंग स्पेलिंग्स सहित सुनाई बस मैने पहले सुनाने वाले बच्चे का नाम अनाउंस कर दिया था फिर क्या था बच्चों मेः होङ़ मच गई वर्ड मीनि़ग्स सुनाने की ....
आज का सबसे मजेदार वाकया यह रहा कि कक्षा 7 में जब सामाजिक विज्ञान पढ़ा रही थी पर्वत , पठार और मैदान के बारे में , मैं चॉक से श्यामपट्ट पर इनकी आकृति खींच कर समझा ही रही थी कि तब तक घंटी बज गई  छुट्टी की ...
इतने में एक लङ़का मेरे सामने पलटते ही पर्वत के चित्र के सामने लिखा समोसा ....
मुझे गुस्सा भी बहुत आया और सच कहूँ तो हंसी भी आई जोर से ..
बचपन इन्हीं शरारती पलों से तो बना है ...
इनकी शरारत ने मुझे लेसन प्लान का एक नया आइडिया भी दे दिया समोसे की आकृति जैसी पहाङ़ ...
आज बस इतना ही ...

 सीमा कुमारी 

नगर शिक्षिका (स्नातक ग्रेड) 

मध्य विद्यालय बीहट , बरौनी जिला – बेगुसराय , बिहार












6 comments:

  1. A real class room transection. Infact we need to change our teaching learning practices according to need and demand of class, concept and of course children to ensure effective learning.thanks

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  2. बेहतरीन शिक्षण
    एक शिक्षक हमेशा यही सोचता है की मै जो पढ़ाउ बच्चे सीख जाय,लेकिन अक्सर भूल जाते हैँ कि बच्चों कि एक अलग दुनिया होती है बिना उनको समझे हम कुछ नहीं सीखा पाएगेl जहाँ तक मेरी समझ से आपने बच्चों को समझने का प्रयास किया जिसका प्रतिफल सामने दिखा
    बहुत बहुत बधाई

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  3. Pdhane ki nai takneek bche psnd krte h.
    Good job ma'am.

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  4. Very interesting Seema,u have to understand first the children than to decide the pedagogy. Good well done keep it up Moin

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  5. बहुत सुन्दर तरीका अपनाया आपने।KYC करके आपने बच्चों को बच्चा समझा, उनके अन्तर्मन को परखा।गिजुभाई की प्रकिया को अपनाया।भगवान आप को सदा प्रसन्न रक्खें।यही है-आकांक्षा।

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