सुख के सब साथी दुःख में न कोय--अरविंद कुमार - Teachers of Bihar

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Thursday, 2 April 2020

सुख के सब साथी दुःख में न कोय--अरविंद कुमार




सुख..के..सब..साथी..दुःख..में..न..कोय.. 
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          फिल्म गोपी के लिए रफी साहब के द्वारा गाए गए ये गीत इस महामारी में काफी चरितार्थ हो रहा है।
आज दुःख की घड़ी में सबसे ज्यादा सरकारी महकमें ही सरकार व जनता के दुःख-दर्द का साथी बना हुआ है। निजी महकमों को ज्यादा महत्व देने वाली सरकारें व  आमजन आज टुकुर-टुकुर देख रही है कि इस विपत्ति की घड़ी में कौन सबसे ज्यादा उनका साथ दे रहा है?
हरेक महामारी व विपदा की घड़ी में सरकारी तंत्र ने हमेशा की तरह देश की सुरक्षा के लिए अपना शत-प्रतिशत योगदान दिया है।
          आज प्रवासी लोगों को कोरोना से बचाने व उनके भोजन के लिए सरकारी विद्यालयों को ही मुफीद समझी जा रही है। इस आपदा में भी जहाँ सरकारी अस्पतालों में चीखते-चिल्लाते रोगियों व परिजनों की ह्रदय विदारक चीखें है वहीं गंदगी, बदबू तथा दम तोड़ते रोगियों के मौत का मंजर भी मगर इन सबके बीच, आम लोगों को डाक्टर्स तथा लेडी विद द लैम्प फ्लोरेंस नाइटिंगल की भूमिका में डटी सरकारी नर्सों का ही आसरा है। बार-बार गर्दन सीधा करते हुए अपने काम पर डटे बैंक कर्मी, सफाईकर्मी, सरकारी बसों के ड्राइवर सभी अपनी-अपनी क्षमता के अनुरूप लोगों की सेवा में जुटे हैं। प्रशासनिक महकमे के लोग भी आम-जनों की सुरक्षा के लिए खूब जमकर पसीना बहा रहे हैं।
          कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए शिक्षक समाज भी पूरे बिहार में जागरूकता अभियान के साथ-साथ आम-जनों को आवश्यक सहयोग करने से पीछे नहीं रह रहे हैं। आज इस दुःख की घड़ी में ये समझने की जरूरत है कि सरकारी महकमा भी अपने जैसा है। उसे मजबूत बनाने, उसे सारी सुविधा मुहैया करवाने तथा उसके विकास के लिए सबों को सदैव सजग रहने की जरूरत है। 
          लोकतान्त्रिक व्यवस्था का ये तकाजा भी है कि हम अपनी सरकारी सम्पत्ति की सुरक्षा तथा उसकी बेहतरी की दिशा में हमेशा काम करते रहें। इसी आशा के साथ कि आप घर पर हीं रहे, अपनी बस्ती, मुहल्ले के लाॅकडाउन को सफल बनाएँ और अफवाह से बचें।

*👏💪कोरोना के खिलाफ जारी जंग में डटे तमाम देशभक्तों को जय हिंद। 🖋️🖋️🖋️*



अरविंद कुमार 
म.वि. रघुनाथपुर गोठ 
भरगामा अररिया

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