वह दिव्यांग बालिका--राजेश कुमार सिंह - Teachers of Bihar

Recent

Thursday, 2 April 2020

वह दिव्यांग बालिका--राजेश कुमार सिंह

वह दिव्यांग बालिका
=============

कल मैंने एक दिव्यांग बालिका को देखा;
जिनके हाथ काम नहीं कर रहे थे पर हाथों से काम करने की चाहत तो थी !

उस बालिका के पैर काम नहीं कर रहे थे पर चलने की चाहत तो होगी !

वह मुड़ नहीं पा रही थी पर
मुड़ने की चाहत तो उनमें भी थी !

वह स्वयं बिछावन से उठ भी नहीं पा रही थी पर उनमें उठ खड़े होने की चाहत तो दिखी !

वह दिव्यांग बालिका बोल भी नहीं पा रही थी पर
उनमें बोलने की अदम्य चाहत दिखी थी !

अपलक उनकी आँखें मुझे घूर रही थीं; कम-से-कम आँखों को काम करने की आदत तो थी !

मैंने महसूस किया कि वह बालिका सुन भी पा रही थी पर बयाँ न करने की शिकायत तब भी थी !

वह साँस भी ले रही थी पर कुलमिलाकर जीवित तो नहीं ही थी !

मैंने गोद में उठाकर जब उन्हें सुलाया था तब वह मुस्कुरा पड़ी थी पर वह शाश्वत मुस्कुराहट न थी !
 
तीन साल की उस बच्ची के आगे पूरा जीवन पड़ा था पर
क्या उनमें जीने की चाहत बची थी ?

मेरे आँसू छलक पड़े थे, मैंने पल-भर में ही सहानुभूति का खज़ाना लुटाया था फिर भी बहुत सारी चीज़ें देने को शेष रही थी !

उस बालिका को जीवन के रूप में मिला हुआ यह वरदान है या अभिशाप;
दोषी कौन हैं "वह दिव्यांग" या फिर "हे दिव्य भगवान् आप"?

राजेश कुमार सिंह
उत्क्रमित मध्य विद्यालय बलथारा
मोहिउद्दीननगर, समस्तीपुर

11 comments:

  1. दुनियाँ में कितना गम है मेरा गम कितना कम है
    औरों का गम देखा तो मैं अपना गम भूल गया।
    सब ईश्वर की महिमा है।
    मर्मस्पर्शी! ईश्वर बहुत जल्द बिलिका का दुःख हर लेंगे।
    विजय सिंह

    ReplyDelete
  2. मर्मस्पर्शी!
    ईश्वर बहुत जल्द हीं बालिका का दुःख हर लेंगे।
    विजय सिंह

    ReplyDelete
  3. Replies
    1. Rajesh Kumar Singh14 May 2020 at 06:16

      Thanks dear sir��

      Delete
  4. आपकी भावनाएं ऐसी ही बनी रहे
    भावनात्मक बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना

    ReplyDelete
  5. आप सभी श्रद्धेय पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।👏👏👏👏👏👏

    ReplyDelete
  6. Ishwar bahut dayalu hai vah sab theek Karega

    ReplyDelete